डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीके जयंती एवं शिक्षक दिवस पर ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता के माध्यम से विद्यार्थियों को आज दिनांक 5 सितंबर 20 को शिक्षक विशेषांक का नाम देकर 21 वीं कड़ी परंतु सांस्कृतिक -कार्यक्रम की तीसरी कड़ी की सफल प्रस्तुति पी एल सी सेमरिया ,संकुल करनौद, बम्हनीडीह के सौजन्य से दी गई ।बच्चों के अंतर्निहित, प्रतिभा को उकेरने के उद्देश्य से आज उनकी भावाभिब्यक्ति को उन्मुखीकरण करने का सार्थक प्रयास किया गया*जिसमें विद्यार्थियों ने शिक्षक के विषय के बारे में गीत मधुर स्वर में गाकर सुनाया साथ ही मेरे आदर्श गुरु की महिमा को भी भाषण के रूप में पढ़कर सुनाएगा साथ ही कई बच्चों ने पढ़ाई तुहर दुवार के अंतर्गत चित्रकला के भी प्रस्तुति की गई जिसे सभी ने सराहा।*
*👉*होस्ट कमलेश कुमार गुप्ता जी ने गुरु -शिष्य परंपरा से संबंधित दो- प्रश्न पुछकर मंच को बच्चों के सुपुर्द कर दिया ।जिसमें बच्चे संस्मरण, प्रेरणादायक,कहानी, ज्ञानवर्धक कविताएं, मनोरंजक चुटकुले ,एवं पहेली की प्रस्तुति देकर पूरे मंच का दिल जीत लिया*।
*प्रतिभागी के रूप में चंद्रमा ला कश्यप राजकमल देवांगन हरीश कश्यप सोमनाथ साहू अभय कश्यप रागनी देवांगन आयुषी चंद्रा विनीता बंजारे कृष्णा निराला आदि केसरवानी देव कुमारी आरव अग्रहरी अर्चना मेहरा परी अग्रहरि समीर मेहरा आयुष चंद्रा दीपांशु देवांगन सूरज आदि ने अपने गीत कविता संस्मरण चुटकुला शिक्षकों का सम्मान के लिए भाषण प्रस्तुत किया गया जोकि बहुत ही मनमोहक और लुभावना था।*
*💐💐मार्गदर्शक बी आर सी बम्हनीडीह हिरेन्द्र बेहार जी ने कहा कि 🎤गुरु- शिष्य का संबंध आत्मा का है, जो एक प्राचीन परंपरा है ।भारत के संस्कृति जितनी प्राचीन है, गुरु -शिष्य का अलौकिक एवं दिव्य संबंध भी उतना ही पुरातन है ।प्रत्येक योग इनकी महिमा का प्रमुखता एवं प्रखरता से गायन किया जाता है ।हम महर्षि व्यास के स्मृति में गुरु पूर्णिमा भी मनाते हैं एवं वर्तमान में प्रत्येक 5 सितंबर को सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के अवतरण दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं*।
*🎤बी आर सी मालखरौदा श्री मती सविता त्रिवेदी ने कहा कि गुरु -शिष्य परंपरा ने भारत को सद्विचार ,सुविचार एवं सद्ज्ञान का वरदान प्रदान किया है ,हमें जीवन जीना सिखाया है ,गुरु एक सांचा होता है ,जो हजारों शिष्यों को सही सांचे में डालकर उनका व्यक्तित्व निर्माण करके दिशा एवं दशा का परिष्कार कर देता है*।
*‼️ रमेश मेहरा ने अपने विचार व्यक्त करते कहा कि गुरु स्वयं दैदीप्यमान ,प्रकाश पुंज है, जो प्रज्वलित होगा विभिन्न सोच मनोवृति -व्यक्तित्व वाले शिष्यों को ज्ञानवान बनाता है। इसके साथ ही समाज का पथ -प्रदर्शक की भूमिका भी पुरी कर्मठता से निर्वहन करता है*।
*👉शिव पटेल ने कहा कि संसार में कई प्रकार के संबंध है माता -पिता, भाई- बहन ,पति- पत्नी आदि जो सांसारिक संबंध कहलाता है। इन संबंधों का आधार भावनात्मक होता है। जो अस्थाई होता है मां या पुत्र एक दूसरे को समझने में भूल कर सकते हैं ,पति- पत्नी के बीज भी असहमति हो सकता है, परंतु गुरु -शिष्य का संबंध आत्मिक एवं आध्यात्मिक है ।जो चिरस्थाई है*।
*💐💐राम शंकर पाण्डेय जी ने कहा कि गुरु के चरणों में बैठकर प्राचीन -समय में जो ज्ञान ग्रहण शिष्य ने किया। उसे उपनिषद् कहा गया ।उपनिषद् जैसे श्रेष्ठ ग्रंथ इसका परिणाम है, गुरु के सानिध्य में बैठने से महान उपलब्धि प्राप्त होने का शुभ अवसर प्राप्त होता है*।
*रेणुका मरावी ने अपना विचार रखते हुए कहा कि 🏵️मां -पुत्र को सतही तौर पर जानती है, परंतु गुरु- शिष्य को गहराई से जानता है। उसके संस्कारों एवं चित्त का जानता है, उसके व्यक्तित्व का कायांतरण करके समाजोपयोगी बनाता है, एवं श्रेष्ठ समाज का निर्माण प्रशस्त करता है*।
*श्री मती मंजूषा मिंज ने कहा कि गुरु -शिष्य परंपरा में गुरु जिससे पहले परिश्रम समय एवं समर्पण की मांग करते हैं जो सच्चा शिष्य है ,वह गुरु का विश्वास अर्जित करता है एवं अपना संपूर्ण निछावर कर देता है, जो पूरा देता है ,वह पूरा पता है ।जो देने में संकोच करता है, उसे पाने में भी मुश्किल खड़ी हो जाती है। गुरु -भगवान स्वरूप है ,कहा गया है--*
*🙏"*गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।*
*बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए*
*कार्यक्रम को सफल बनाने में पितांबर कश्यप जी का सफल योगदान रहा*।
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