इंदौर चोरल नदी से पाइप बिछाकर पानी चुराया जा रहा है। इसी पानी से जंगल पर कब्जा कर ग्रामीण सिंचाई करने में लगे हैं। अतिक्रमण की भनक लगते ही वन विभाग फिर एक बार सर्तक हो गया है। ग्रामीणों को राजनीतिक संरक्षण है। इसलिए विभाग ने योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई का विचार किया है। रूपरेखा बनाई जा रही है। अब जिला प्रशासन और पुलिस की मदद लेंगे।
चोरल रेंज में आने वाले रसकुडिया वनक्षेत्र से गुजरने वाली नदी से ग्रामीण पानी चुरा रहे हैं। यहां तक जंगल में कई पेड़ भी काटे गए हैं। कब्जा कर जमीन पर सिंचाई हो रही है। पिछले सप्ताह चोरल रेंजर मुकेश अलावा के नेतृत्व में वनकर्मियों के दल ने ग्रामीणों को रोका। इसके बारे में रेंजर ने तुरंत वन संरक्षक किरण बिसेन को जानकारी दी। तत्काल निरीक्षण के बाद अतिक्रमण हटाने का फैसला लिया गया। टीम ने रसकुडिया, बैका, उमठ, राजपुरा का जंगल देखा। बकायदा पूरे मामले में वन संरक्षक ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी। वे कार्रवाई के दौरान सहयोग करने को राजी हैं। अब रेंजर को स्थानीय पुलिस यानी सिमरोल थाने से समन्वय करने के निर्देश दिए हैं।
दस्तावेज खंगालेंगे
बताया जाता है कि जंगल की जमीन ग्रामीणों को पट्टे पर मिली थी, लेकिन उन्होंने दायरा बढ़ाने के लिए वनक्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है। अब अधिकारियों ने तय किया है कि वहां ग्रामीण के पट्टे संबंधित दस्तावेज खंगाले जाएंगे। ताकि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर सकें।
एक्शन प्लान बनाया
वन संरक्षक किरण बिसेन ने बताया कि जिला प्रशासन को पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा। इसके लिए पत्र लिखेंगे। यहां तक अगले कुछ दिन में कार्रवाई कर कब्जा हटाया जाएगा। अन्य विभागों से समन्वय बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण अपने क्षेत्र का दायर बढ़ाने के लिए जंगल साफ कर रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए एक्शन प्लान बनाया है।
काट दी थी पाइप लाइन, फिर जोड़ ली
महीनों से ग्रामीण पाइप बिछाकर सिंचाई कर रहे हैं। जनवरी 2020 में भी वनकर्मियों ने पाइप लाइन काट दी थी। बाद में ग्रामीण और वनकर्मियों के बीच जमकर विवाद हुआ था। वन चौकी पर ग्रामीणों ने पथराव किया। यहां तक वनकर्मियों ने स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए हवाई फायर भी किए थे। कुछ महीनों तक वहां स्थिति काफी तनावपूर्ण बनी थी। इसके चलते चौकी खाली भी रही। फिर ग्रामीणों ने पाइप बिछा लिए हैं और पानी ले रहे हैं।
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