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प्रशासन और अस्पतालों के बीच समनवय के अभाव जा रही लोगो की जान-गगन जयपुरिया

 

जिला पंचायत सभापति और भाजपा जिला कोषाध्यक्ष गगन जयपुरिया ने कहा की कोरोना  की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने लगी हैं। रोजाना रिकॉर्ड मामलों के सामने आने की वजह से मरीजों को बेड्स, ऑक्सीजन मिलने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। कई मरीज तो बीसों अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं, जिसके बावजूद भी उन्हें सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा। दूसरी लहर का कई दिन बीत जाने के बाद भी ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड्स की किल्लत जल्द दूर होती हुई नहीं दिखाई दे रही है। अस्पताल की बदतर स्थिति का कारण सरकार, शाशन -प्रशाशन और अस्पताल के बीच समन्वय की कमी है। गगन जयपुरिया  ने कहा कि जिले के सरकारी अस्पतालों या प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में यदि इलाज की स्थिति अच्छी  होती तो अन्य प्राइवेट अस्पतालो पर मरीजों का बोझ कम पड़ता। उन्होंने आगे कहा कि कुछ दिन पूर्व जिला प्रशासन की ओर से कोविड मरीजों की भर्ती के लिए जांजगीर - चाम्पा के 18 निजी अस्पताल के  बेड की वर्तमान स्थिति के साथ सूची जारी की गई।  लेकिन अब जारी सूची में जोड़े गए 90 प्रतिशत अस्पतालों से कोविड संक्रमित मरीजों को किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल पा रही है। ऐसे में प्रशासन की व्यवस्थाओं पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा होने लगा है I जिला प्रशाशन द्वारा कई प्रमुख बिंदुओं पर आदेश जारी हुआ था। जारी आदेश में इन अस्पतालों को साफ तौर पर कहा गया था कि कोई भी कोरोना संक्रमित मरीज इन अस्पतालों में बेड खाली होने की स्थिति में बिना सीएमओ के रेफ़रर लेटर के सीधे भर्ती हो सकता है। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि इन सभी अस्पतालों को रोजाना सुबह - शाम  अपने अपने अस्पतालों में खाली बेड़ों की स्थिति को अस्पताल के बाहर प्रदर्शित करने के साथ कोविड कमांड सेंटर व जिला प्रशासन को अवगत कराएंगे। उन्होंने आगे कहा कि अस्पतालों के साथ जिला प्रशासन की ओर से हो रही लापरवाही का पोल  उस समय खुला जब उनके द्वारा सोंठी गाव के एक मरीज को चाम्पा में स्थित  NKH अस्पताल में भर्ती करने के लिए हॉस्पिटल में डॉक्टर इंचार्ज  को फ़ोन लगाया I प्रशाशन  द्वारा जारी सूची में 25 तारीख की रात्रि से 26 तारीख की सुबह तक 4 ऑक्सीजन वाले बेड रिक्त थे किन्तु अस्पताल प्रबंधन द्वारा उन्हें ये कहकर मना कर दिया गया की कोई भी बेड खाली नहीं है I समय पर इलाज नहीं मिलने से तथा प्रशाशन और अस्पताल के बीच से सूची के गलत जारी होने का खामियाजा मरीज को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी I ऐसे में जारी सूची पर सवाल खड़ा होता ही कि जब अस्पतालों के मुताबिक, पहले से ही उनके पास बेड मौजूद नहीं हैं तो खाली बेड़ों के आंकड़े किस प्रकार जारी हो गए। उनका कहना है की अस्पताल पहुंचने पर पता चलता है कि वहां बेड खाली ही नहीं है। ऐसे में मरीजों की स्थिति बिगड़ती है और समय बीतता जाता है। गगन जयपुरिया ने जिला प्रशाशन से मांग की है की इस प्रकार के सभी अस्पतालों को सख्त हिदायत दे की वो अपने संस्थान में रिक्त बेड की सही जानकारी प्रेषित करे और रिक्त होने की स्थिति में मरीजों को भर्ती करे I रिक्त होने की स्थिति में अस्पतालो द्वारा मरीजों को भर्ती नहीं किये जाने पर क़ानूनी कार्यवाही करने की मांग गगन जयपुरिया द्वारा की गई है I

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