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तीसरी लहर के लिए तैयार इंदौर!:70% आबादी को लगा टीका, ऑक्सीजन-बेड और दवाई में काफी हद तक हुए आत्मनिर्भर



 इंदौर कोरोना की तीसरी लहर को लेकर गुरुवार को प्रशासनिक अफसरों की बैठक हुई। इसमें तैयारियों पर चर्चा की गई। एसीएस मो. सुलेमान की मौजूदगी में वायरस के नए और चार गुना ज्यादा संक्रामक बताए जा रहे डेल्टा प्लस वैरिएंट पर भी बात हुई।

प्रदेश में डेल्टा प्लस के अब तक पांच केस आ चुके हैं, जिन तीन मरीजों ने वैक्सीन लगवाई थी, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी। ऐसी स्थिति में इंदौर में यदि कोविड प्रोटोकॉल, मास्क, दूरी और वक्सीनेशन का ध्यान रखा तो तीसरी लहर ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी। देश में 18 प्लस की सर्वाधिक 70 फीसदी आबादी को इंदौर में टीका लग चुका है। ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता भी अब पर्याप्त है। कई दवाइयां जिनकी दूसरी लहर में शॉर्टेज थी, जैसे ब्लैक फंगस इंजेक्शन, फैवीफ्लू आदि भी अब इंदौर में ही बनने लगे हैं।

बड़ी चुनौती...डेल्टा+ वैरिएंट की जांच के लिए इंदौर से 60 सैंपल्स भेजे, रिपोर्ट का इंतजार

तीसरी लहर के लिए बड़ी चुनौती बस जांच की सुविधा ही है। इंदौर से डेल्टा प्लस व अन्य वैरिएंट की जांच के लिए सैंपल्स दिल्ली भेजे जा रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट आने में 3 से 4 महीने लग रहे हैं। वैरिएंट की जांच के लिए 4 व 17 जून को 30-30 सैंपल्स दिल्ली की एनसीडी लैब भेजे गए हैं। रिपोर्ट नहीं मिली है। इसके पहले भी 133 सैंपल्स भेजे गए थे, उनकी रिपोर्ट भी नहीं आई। इनमें मार्च में भेजे गए 33 सैंपल भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट्स सीधे भोपाल भेजी जा रही है, लेकिन इंदौर में अधिकारियों को इनके बारेे में नहीं पता। पूछे जाने पर सब चुप्पी साध लेते हैं।

नई उम्मीद... भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में लगेगी जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन

जांच रिपोर्ट को लेकर गुरुवार को एक नई उम्मीद जागी है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के अनुसार भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में जीनोम सिक्सवेंसिंग जांच के लिए मशीन लगाए जाने की तैयारी है। मशीन दो हफ्ते में इंस्टॉल हो सकती है। सारंग के अुनसार, दिल्ली की नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के सहयोग से मशीन यहां लगाई जा रही है। इसके लिए स्टाफ भी वहीं से दिया जाएगा। मशीन की कीमत करीब चार करोड़ है। प्रदेश को यह मशीन केंद्र सरकार उपलब्ध करा रही है। संभवत: यह पहला मामला है जब केंद्र ने किसी राज्य को कोरोना काल में इस तरह की मशीन उपलब्ध कराई है।

वैक्सीन डेल्टा प्लस पर भी असरकारक है

जब भी हम वैरिएंट बोलते हैं तो इसका मतलब है कि पुराने वायरस ने स्ट्रक्चर बदला है। वायरस बदलाव इसलिए करता है ताकि पुरानी एंटीबॉडी से बचकर संक्रमित कर सके। डेल्टा प्लस वैरिएंट में दो मुख्य बदलाव देखे गए हैं। इसकी संक्रामकता 4 गुना अधिक है। निमोनिया जल्दी व अधिक होता है। पेट की खराबी, तेजी से वजन कम होने की शिकायत होती है। अच्छी बात यह है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन,दोनों वैरिएंट पर असरदार है। टीके के बाद बीमारी की गंभीरता कम देखी गई है। -

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