जिले की 587 पंचायतों में लगे हैंडपंप पर प्लेटफार्म बनाने के साथ-साथ पशुओं के लिए हौदी और सोख्ता पिट बनाए जाने की तैयारी है। जिला प्रशासन द्वारा मनरेगा योजना से इन संरचनाओं का निर्माण कराया जा रहा है। अब तक जिले में 190 हैंडपंप पर यह संरचना बन चुकी है, जबकि 15 अगस्त तक 2800 हैंडपंप पर यह संरचना बन जाएगी।
खास बात यह है कि एक हैंडपंप पर तकरीबन 200 लीटर पानी प्रतिदिन व्यर्थ बह जाता है, जो प्लेटफॉर्म के जरिए पशु हौदी में पहुंचेगा, जहां से पशु पानी पी सकेंगे। शेष पानी नाली से होते हुए जमीन में सोख्ता पिट में पहुंचेगा, जिससे जमीन का जल स्तर भी बढ़ेगा और पानी व्यर्थ होने से बचेगा।
कीचड़ मुक्त होगी सड़क, पशुओं को मिलेगा भरपूर पानी
जिला पंचायत सीईओ एचपी वर्मा की मानें तो जिले की संपूर्ण पंचायतों में हैंडपंप के साथ प्लेटफार्म और पशुओं के लिए हौदी के साथ सोख्ता पिट बनाने 35 हजार खर्च किए जा रहे हैं। जिससे गांव में कीचड़ होने की संभावना खत्म होगी। वही बहने वाले पानी को जब पानी की टंकी से जोड़ दिया जाएगा तो इसे भरने के बाद यहां पशु आसानी से दिन भर पानी पी सकेंगे। जो पानी व्यर्थ निकलेगा उसे सीमेंटेड नाली के जरिए सोख्ता गड्ढा में पहुंचाया जाएगा जो हार्वेस्टिंग का काम करेगा।
एक हैंडपंप से प्रतिदिन 200 लीटर पानी व्यर्थ बहता है इसे सहेजा, तो 3000 हैंडपंप से 6 लाख लीटर पानी बचेगा
आरईएस के ईई राजीव पांडे की मानें तो एक हैंडपंप से 24 घंटे में तकरीबन 200 लीटर पानी व्यर्थ निकलता है। सरकार ने प्लान तैयार किया है कि व्यर्थ पानी का क्यों न उपयोग किया जाए इसीलिए हर हैंडपंप के पास हैंडपंप प्लेटफार्म, पशुओं के लिए हौदी और फिर सोख्ता पिट बनाकर उसके उपयोग की संरचना तैयार की गई। जिस पर 35000 खर्च आया। संरचना के निर्माण से जहां पानी की बचत हुई और व्यर्थ पानी बहने से रोका। वहीं इसको बनाने में गांव के मजदूरों को रोजगार भी मिला। यदि हम एक हैंडपंप से 200 लीटर व्यर्थ पानी के बहाव को माने तो 3000 हैंडपंप के लिए यह पानी 6 लाख लीटर प्रतिदिन हो जाएगा, जो व्यर्थ बहने से बचेगा।
15 अगस्त तक हो जाएंगे निर्माण कार्य पूरे
आरईएस के ईई राजीव पांडे की माने तो 15 अगस्त तक ग्रामीण क्षेत्रों में तकरीबन 2800 हैंडपंप पर प्लेटफार्म, पशु हौदी और सोख्ता पिट बनकर तैयार हो जाएंगे। हमारी योजना जिले में 527 पंचायतों में 5-5 हैंडपंपों को इसी संरचना के जरिए व्यर्थ पानी को सहेजने की तैयारी है। जिससे 12 महीने ग्रामीणों को पानी मिल सकेगा।

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