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डीआईजी करैरा आइटीबीपी कैंपस में पौधरोपण

करैरा आइटीबीपी कैंपस में पौधरोपण करते डीआईजी
  • लंबे समय तक नमी बनी रहे, इसलिए पास में खोदे गहरे गड्‌ढे

आइटीबीपी करैरा के डीआईजी सुरिंदर खत्री ने पर्यावरण को सहेजने की अनूठी पहल की है। उनका पर्यावरण से ऐसा लगाव रहा कि उन्होंने आइटीबीपी कैंपस में पहाड़ी क्षेत्र व बंजर भूमि को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया। उनकी यही मंशा थी कि रोपे गए पौधे हर हाल में जीवित रहे, इसके लिए उन्होंने सीताफल जैसे पौधे इस पहाड़ी क्षेत्र में रोपे जाने का लक्ष्य रखा।

क्योंकि सीताफल के पौधों को ना तो नीलगाय जैसे जंगली जानवर खाते है और ना ही पानी की कमी इन पौधों के विकास में आड़े आती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए डीआईजी ने पहाड़ी क्षेत्र में आईटीबीपी जवानों से सीताफल के सैकड़ों पौधे लगवा दिए। इतना ही नहीं लंबे समय तक पानी नहीं बरसने पर पौधों के सूखने का संकट पैदा ना हो, इसलिए उन्होंने पौधों के पास एक से डेढ़ फीट गहरे गड्ढे भी खुदवा दिए, जहां इन गड्ढों में भरे पानी से पौधों में लंबे समय तक नमी बनी रहे। इस वजह से यह पौधे हर हाल में विकसित होकर पहाड़ी बाबा बंजर भूमि को हरा-भरा बना सकेंगे।

पेड़ पौधों से बच्चों की तरह प्रेम इसलिए ट्रेनिंग सेंटर व दफ्तर में भी लगवाए पौधे

डीआईजी की माने तो वे पेड़ पौधों से बच्चों की तरह प्रेम करते हैं। इतना हीं नहीं पेड़ पौधों से इतना लगाव है कि पहाड़ी, बंजर भूमि सहित खाली क्षेत्र में पौधारोपण के साथ ही कार्यालय के अंदर भी गमलों में पौधे लगाए गए हैं। खत्री का कहना है कि पौधारोपण करने से मन को शांति मिलती है। इतना हीं नहीं उनका कहना है कि पौधा लगाना ही उद्देश्य नहीं होना चाहिए बल्कि टास्क उसे संरक्षित करने तक का होना चाहिए।

ऐसे पौधे लगाए गए हैं जिन्हें जानवर नुकसान न पहुंचाएं

पेड़ पौधे लगाने के साथ ही उन्हें संरक्षित करने के लिए गहरे गड्ढे खुदवाने के अलावा उन्हें जंगली जानवर नील गाय आदि नुकसान न पहुंचाए इसलिए हमने सीता फल जैसे पौधे लगाए हैं। जल्द ही पेड़ हरे-भरे होंगे
सुरिंदर खत्री, पर्यावरण प्रेमी व डीआईजी आईटीबीपी आरटीसी करैरा

बंजर भूमि में वाटर लेवल के लिए बनवाए कई चेक डैम

डीआईजी सुरिंदर खत्री ने आईटीबीपी प्रशिक्षण क्षेत्र सहित आस-पास के क्षेत्र में वाटर लेवल अच्छा बना रहे इसके लिए प्रशिक्षण क्षेत्र सहित बंजर भूमि में कई चेक डैमों का भी निर्माण कराया है। इससे जमीन में वाटर लेवल कम न हो सके। साथ ही भविष्य में पेजयल संकट न उत्पन्न हो व लगाए गए पौधे बड़े होने के बाद भी उन्हें पानी की कमी महसूस न हो। खासबात यह है कि उन्होंने एक स्थान पर एकत्रित होने वाले पानी को भी चेक डेम निर्माण कर विभाजित कर दिया है। इससे ज्यादा से ज्यादा जमीन वाटर रिचार्ज हो सके।

मार्च से जुलाई तक लगवा चुके हैं 470 पौधे

आरटीसी क्षेत्र में आईटीबीपी से मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक 470 पौधे लगवा चुके हैं। इसके अलावा कई किलो बीज भी जंगल व बंजर भूमि में गहरे गड्ढों के पास डाला गया है। इससे बारिश के दौरान यह अंकुरित होकर पेड़ों में तब्दील हो सके। डीआईजी के अनुसार हार हाल में बंजर भूमि को हरीभरी करना है।

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