सरकार भले ही अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लाख दावे करे, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। इसकी तस्वीर देखने को मिली शिवपुरी जिले के झिरी प्रसव केंद्र में। रात 8 बजे एक गर्भवती प्रसव करवाने अस्पताल पहुंची थी, लेकिन 8 दिन से अंधेरे में डूबे अस्पताल में डिलिवरी करवाने के लिए उजाले की व्यवस्था नहीं थी। गर्भवती की हालत बिगड़ती देख मोबाइल और मोमबत्ती की रोशनी में डिलीवरी करवाई गई। ऑपरेशन चलने तक परिजनों की सांसें सांसत में रहीं। वहीं, पूरे मामले में अधिकारियों का जवाब है कि उन्हें इस बारे में पता ही नहीं है।
भदरौनी गांव के रहने वाले पति आनंद राव ने बताया कि शाम करीब 6 बजे पत्नी अनारकली (25) को प्रसव पीड़ा होने लगी। इसके बाद उसे झिरी के प्रसव केंद्र लेकर आने का सोचा। एंबुलेंस का इंतजार करता, तो काफी समय गुजर जाता, क्योंकि वह पोहरी से आती। हमारे गांव से झिरी अस्पताल करीब 6 किमी दूर है। इस पर पत्नी को बाइक से ही अस्पताल लेकर निकला। रात करीब 8 बजे अस्पताल पहुंचा, तो यहां अंधेरा पसरा था। भीतर दाखिल हुआ, तो पता चला कि 8 दिन से यहां लाइट नहीं है।
ऐसे में उसे शिवपुरी जाना होगा। यहां से शिवपुरी 20 किमी पड़ता। हाईवे तक पहुंचने के लिए 10 किमी कच्चे रास्ते से होकर गुजरना था। कच्चे रास्ते और पत्नी की हालत बिगड़ती देख उसने रिस्क लेते हुए झिरी में ही डिलिवरी करवाने का फैसला लिया। इसके बाद मोबाइल और मोमबत्ती की रोशनी में डिलिवरी करवाई गई, हालांकि सबकुछ ठीक रहा। उसे पत्नी ने स्वस्थ बेटी को जन्म दिया।
न बिजली, न पानी
परिजन को झिरी प्रसव केंद्र लेकर आए पूरन कुमार समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया, 8-10 दिन से अस्पताल अंधेरे में डूबा हुआ है। यहां पर न तो लाइट है और न ही पानी। हमें तो यह श्मशान घाट सा नजर आ रहा है। यह लेबर रूम है, लेकिन यहां के हाल देखकर जान लेने की जगह लग रही है। मरीज, परिजन तो ठीक कर्मचारी भी लाइट नहीं होने से परेशान हैं। अंधेरे के साथ ही गर्मी के कारण मां और बच्चे परेशान हैं। नौनिहालों को मच्छर काट रहे हैं, जिससे उनके बीमार होने का अलग डर सता रहा है।
चोरी हो गई सोलर लाइट
करीब 5 साल पहले अस्तपाल ताे अंधरे से दूर रखने के लिए यहां सोलर लाइट लगाई गई थी। कुछ दिन तो इससे प्रसव केंद्र रोशन हुआ, लेकिन कुछ समय बाद सोलर लाइट अचानक गायब हो गई। जिम्मेदारों से जब पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कोई चोरी कर ले गया, हालांकि इसकी शिकायत आज तक थाने में नहीं की गई।
मॉडल के रूप में किया गया था विकसित
झिरी प्रसव केंद्र पर 25 गांव की करीब 50 हजार आबादी निर्भर है। इसे देखते हुए सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर इसे माॅडल केंद्र के रूप में विकसित किया था। इसका उद्देश्य जच्चा-बच्चा मृत्यु दर में कमी लाना था। इसका प्रचार-प्रसार भी हुआ था। देश-विदेश की भी विभिन्न संस्थाओं के यहां आकर व्यवस्थाओं को देखा था। इस केंद्र को पिछले साल ही अपग्रेड करते हुए हेल्थ वेल्थ सेंटर में तब्दील किया गया, जिससे ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया हो सकें। वहां बिजली, पानी, साफ-सफाई सहित ट्रेंड स्टाफ उपलब्ध कराया। इतना सब होने के बाबजूद यहां के हाल ऐसे हैं कि मोमबत्ती से डिलिवरी करवाई जा रही है।
किसने क्या कहा...
- एएनएम राधा ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से अस्पताल में लाइट की समस्या बनी हुई है। लाइट नहीं होने से पानी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। बीएमओ के साथ ही सुपरवाइजर को भी समस्या से अवगत करवाया था। दो दिन में लाइट ठीक होने का कहा गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लाइट नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को रैफर करते हैं, लेकिन कई बार वे जिला अस्पताल जाने में असमर्थता जताती हैं, जिस कारण उनकी डिलीवरी ऐसी हालत में करना पड़ रहा है।
- सीएमएचओ डॉ. एएल शर्मा का कहना है कि इन स्वास्थ्य केद्रों के नोडल ऑफिसर डीएचओ डॉ. एनएस चौहान हैं, उन्हें ही इसकी जानकारी होगी। मुझे तो अभी तक इसके बारे में कुछ बताया ही नहीं गया है। मामला आपके द्वारा मेरे संज्ञान में लाया गया है। मैं बीएमओ से बात कर समस्या का निराकरण करवाता हूं।
- डीएचओ डॉ. एनएस चौहान कहा कि हेल्थ-वेल्थ सेंटर पर हफ्ताभर से लाइट नहीं होने की जानकारी मुझे नहीं है। मैं अभी मीटिंग में हूं। मीटिंग से फ्री होकर लाइट सुधरवाने के निर्देश देता हूं।
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