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सम्राट मिहिर भोज जाति विवाद...:सम्राट की जाति के संबंध में अब तक आ चुके हैं 250 से ज्यादा साक्ष्य, दस्तावेज, अभिलेख, इन पर मंथन आज

 


ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर 10 दिन में 250 से ज्यादा साक्ष्य, अभिलेख व दस्तावेज जांच समिति के पास पहुंचाए गए हैं। गुर्जर व क्षत्रिय राजपूत समाज की ओर से जो उनके पास था वो समिति को सौंप दिया है। इसके अलावा प्रतिमा स्थापना से लेकर ठहराव के संबंध में नगर निगम ने भी अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अभी तक सम्राट को लेकर जितने भी लेख प्रकाशित हुए हैं उनको भी संज्ञान में लिया गया है। अब बुधवार को हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई जांच समिति की बैठक है।

बैठक में अफसर, इतिहार के जानकार इन दस्तावेजों, साक्ष्य व अभिलेख पर मंथन करेंगे। बुधवार शाम तक समिति किसी निर्णय पर पहुंच सकती है। इसके बाद भी 13 अक्टूबर को समिति की दूसरी और आखिरी बैठक होगी। उसके बाद सील बंद लिफाफे में कमेटी अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप देगी। इसके बाद हाईकोर्ट कमेटी की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद सम्राट की जाति पर सुनवाई और फैसला करेगा।
क्या है पूरा विवाद
- 8 सितंबर को नगर निगम ग्वालियर ने शीतला माता मंदिर रोड चिरवाई नाका पर सम्राट मिहिर भोज महान की प्रतिमा का अनावरण किया था। अपने अनावरण के साथ ही सम्राट मिहिर भोज पर विवाद शुरू हो गया है। नगर निगम ने प्रतिमा स्थापना के ठहराव प्रस्ताव लाते समय साफ उल्लेख किया था कि सम्राट मिहिर भोज नाम से प्रतिमा लगाई जाएगी, लेकिन जब प्रतिमा का अनावरण किया गया तो सम्राट मिहिर भोज के आगे गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा गया था। उनको गुर्जर सम्राट लिखने के साथ ही विवाद शुरू हो गया। इसको लेकर क्षत्रिय महासभा और आखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने सम्राट को लेकर अपने-अपने दावे पेश किए। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का तर्क है कि सम्राट मिहिरभोज महान राजपूत क्षत्रिय हैं। इसके संबंध में उन्होंने इतिहास कारों के लेख, शिलालेख व परिहार वंश के सबूत भी रखे हैं तो इसके जवाब में अखिर भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने भी तर्क रखा है और इतिहास में उन्हें गुर्जर सम्राट बताते हुए सबूत रखे हैं। पर यहां तक बात नहीं रही। इसके बाद शहर में सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक उपद्रव हुआ। यह उपद्रव ग्वालियर तक ही नहीं रहा पड़ोसी शहर मुरैना, भिंड व उत्तर प्रदेश के शहरों तक भी पहुंच गया। कानून व्यवस्था बिगड़ने पर एक सामान्य नागरिक ने मामले को हाईकोर्ट में जनहित याचिका में पेश किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने एक जांच कमेटी सभांग आयुक्त की अध्यक्षता व आईजी ग्वालियर जोन की उपाध्यक्षता में बनाई। इसमें संबंधित क्षेत्र के SDM, दो हिस्ट्री के प्रोफेसर भी शामिल रहे हैं।
मंगलवार शाम 5 बजे तक पेश करने थे साक्ष्य
- जांच कमेटी बनने के बाद 5 अक्टूबर तक गुर्जर, राजपूत क्षत्रिय सहित अन्य सभी नागरिकों को सम्राट के संबंध में जो भी दस्तावेज हैं उनको रखने का समय दिया था। मंगलवार शाम 5 बजे तक जांच कमेटी के पास 250 से ज्यादा साक्ष्य, दस्तावेज व अभिलेख के प्रमाण पहुंच चुके हैं। अब कोई दस्तावेज व साक्ष्य पब्लिक से नहीं लिया जाएगा। इतना ही नहीं नगर निगम की जांच कमेटी से भी मूर्ति स्थापना से संबंधित रिपोर्ट ले ली गई है। बुधवार (6 अक्टूबर) को कमेटी की बैठक है। जिसमें कमेटी के सदस्य व अध्यक्ष बैठकर अभी तक आए साक्ष्य, अभिलेख व दस्तावेजों की समीक्षा करेंगे। इसके बाद इतिहासकार अपनी राय देंगे। यह अंतिम बैठक नहीं है। इसके बाद दूसरी और आखिरी बैठक 13 अक्टूबर को होगी। उस बैठक के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में हाईकोर्ट को सौंपेगी।

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