शिवपुरी। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और उपासना की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि पर मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के दिनों में माता के भक्त मां की विशेष कृपा पाने के लिए व्रत भी रखते हैं।
शिवुपरी में भी मां दुर्गा की भक्ति में लीन हो चुकी हैं आज नवरात्र का प्रथम दिन फिजीकल क्षेत्र में माता की प्रतिमा लेने लोगो का हुजुम उमडा पडा। सुबह से ही माता के पंडाल सजाने वाली समितिया मुर्तिया लेने फिजीकल क्षेत्र में पहुंच गई थी। कोई सुंदर विमान लेकर पहुंचा तो कोई टैक्सी लेकर तो कोई बाईक से ही अपनी जगतजननी को लेने पहुंचा था।
शहर भर सजेंगें माता के पंडालो को सजाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। आज सुबह से ही माता के पंडाल सजाने वाली समितिया फिजीकल क्षेत्र में पहुंच गई माता की मनोहरी प्रतिमा लेने के लिए क्या नाजारा था वहां,कितनी मुर्तिया बनाई गई इस साल,कोरोना में कैसे सजेंगें पंडाल इन्ही सब सवालो के जबाबो से रूवबर होने के लिए देखते रही हमारी संवाददाता काजल सिकरवार के साथ
तारकेश्वरी कॉलोनी में उडेगी देश भक्ति के साथ मां की भक्ति्
मां की उपासना अर्थात शक्ति की उपासना मानी जाती है। तारकेश्वरी कॉलोनी की समिति ने जो मां की प्रतिमा अपने पंडाल में ले गए हैं वह देश भक्ति के रंग में रंगी गई है। समिति के सदस्यो ने बताया कि हम अब मां की भक्ति के साथ देश भक्ति भी की जाऐगी।
जय माई महा सेवा समिति के सदस्य अपनी दुर्गा को लेकर पूरा मोहल्ला आया था। मां के लिए सुुंदर विमान सजाकर लाए थे ढोल नगाडो के और 100 कलशो के साथ बडी ही धूमधाम से अपनी दुर्गा को लेकर गए।
3 पीढी से बना रहे है हम मुर्ति:जीतू माहौर
मूर्तिकार जीतू माहौर ने बातचीत में बताया कि यह हमारा पुस्तेनी काम है मुझसे पहले यह काम मेरे दादाजी और पिता जी किया करते थे और आज हम भी कर रहे है और उन्होनें कहा की आगे हमारी बच्चे भी यह काम करेगें। उन्होनें बताया की कोविड के कारण इस साल मूर्तियां कम है कोविड आने से पहले मूर्तियां अधिक बनती थी। हमारे यहां 1 फिट से लगभग 20 फिट तक की मूर्तियां मिल जाती है। इस साल लगभग हमारी 20 मूर्तियां बिक गई है पिछली साल कोविड के कारण सरकार ने अनुमति नहीं दी थी।
सभी मुर्तिया आर्डर पर बनाते हैं:मूर्तिकार राजू
मूर्तिकार राजू माहौर ने बताई मातारानी की प्रतिमाऐं बनाने की प्रक्रिया उन्होनें बताया की 20 साल से में मूर्तियां बना रहा हूं पहले मिट्टी, घास—भूसा एकत्रित करते हैं। लकड़ी का ढांचा बनाकर मिट्टी लगाते हैं और तब तैयार होती हैं मुर्ति बडी प्रतिमा को बनाने में 15 दिन लग जाते हैं। हम 15 फुट की 30—35 प्रतिमाए बनाते हैं और यह सभी आर्डर पर बनती है। हमारे यहां काफी दूर—दूर से लोग मूर्तियां लेने आते है जैसे कि मुरैना, करैरा, कोलारस, श्योपूर, बदरवास से और शिवपुरी के लोकल गांव से काफी लोग मूर्तियां लेने आते है।
कोविड के बाद भी शहर में उत्साह की कमी नही:50 से अधिक पंडाल शहर में
कोविड काल होने के बाद भी भक्ति की कमी नही है। शहर में लगभग 50 पंडाल बने हैं और बडी ही सुंदर आर्कषक मातारानी की प्रतिमाए देखने को मिली। इस साल प्रतिमाए भी सुंदर और आर्कषक बनाई गई है।
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