अदालत ने कहा कि यह देश अपनी विभिन्नता पर गर्व करता है, यहां अलग-अलग विचारधारा और सोच हो सकती है जिसमें राजनीतिक विचारधारा भी शामिल है। यह प्रजातंत्र का एक अहम तत्व है। ‘राज्य की ताकतों का इस्तेमाल कभी भी राजनीतिक विचारों या पत्रकारों को डराने के लिए नहीं करना चाहिए जो सार्वजनिक डोमेन में है, उसका परिणाम पत्रकारों को भुगतना पड़ता है।’ अदालत ने यह भी कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि एक पत्रकार किसी मामले में किस तरह रिपोर्ट करते हैं इसे लेकर वो अपनी जिम्मेदारियों से भागें
अदालत में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे मौजूद थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को बताया कि राज्य सरकार ने तय किया है कि वो Opindia.com की संपादक नुपुर जे शर्मा, यूट्यूबर अजीत भारती और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस लेगी। सुनवाई के दौरान अदालत ने यह साफ किया कि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उन्हें कुछ ऐसा बोलने का अवसर मिल गया जिससे समाज में समस्या खड़ी हो जाए।
वार्ड 09 में गेहूं का वितरण करते वार्ड पंच एकांश पटेल (ग्राम पंचायत बिर्रा में वार्ड प…
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