कोरोना काल में लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी सतर्कता बरत रहे हैं। लेकिन मानसिक स्वास्थ्य की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को इसके प्रति भी जागरूकता रखनी होगी। क्योंकि पिछले छह महीने में मनोरोगियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। इसी मददेनजर शनिवार को प्रियदर्शनी कन्या महाविधालय में एक सैकड़ा छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रशिक्षित किया जिसका आयोजन जिला स्वास्थ्य समिति एवं शक्तिशाली महिला संगठन ने शासकीय कन्या महाविधालय के सहयोग से किया। सर्वप्रथम मां सरस्वती को दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभांरभ मुख्य अतिथि एवं वक्ताओं ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ पवन जैन सीएमएचओ ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का सबसे बड़ा कारण भविष्य की चिंता और अकेलापन है। प्रायः यह देखने में आता है कि कोई भी समस्या आने पर हम तनाव में आ जाते है। कोरोना काल में लोग शारीरिक सेहत पर ध्यान दे रहे हैं परंतु उन्हें मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना होगा। लोगों को भावनात्मक रूप से परस्पर संपर्क में रहने की जरूरत है। सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि जब भी लोगों को यह लगे कि वे अकेले पड़ रहे हैं तो दूसरों की मदद लेने में गुरेज न करें। लगातार अपने परिजनों और मित्रों से बातचीत करते रहें और कोई भी समस्या उनसे साझा करने में परहेज न करें। आपके सबसे अच्छे मित्र आपके माता पिता है उनसे हर बात शेयर करें और उनको अपना दोस्त माने । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कालेज के प्राचार्य प्रो. एन के जैन ने कहा कि कोरोना महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी अनेक परेशानियां खड़ी कर दी हैं जिनमें सेहत को लेकर चिंताए भविष्य से जुड़ी अनिश्चितताएं, दैनिक जीवन में व्यवधान और भावनात्मक स्तर पर अलगाव जैसे मसले प्रमुख हैं। माता पिता का अत्यधिक व्यस्त होना अपने बच्चो से खुलकर बात न करना मानसिक तनाव को बढ़ावा देता है
कोरोना काल में मानसिक समस्याएं काफी ज्यादा बढ़ी है। इन लोगों में नींद न आना, घबराहट, तनाव, डर भविष्य की चिंता जैसे लक्षण हैं। कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते मानसिक समस्याएं हो रही है।
कार्यक्रम में जिला चिकित्सालय में पदस्थ मनोरागी डा0 अर्पित बंसल ने कहा कि दुनिया में हर 40 सेकेंड में दुनिया में एक मानसिक रोगी आत्महत्या कर लेता है और प्रति वर्ष यह संख्या 8 लाख से अधिक है। कोरोना वायरस के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव के चलते लोगों में घबराहट, तनाव, अवसाद, नींद न आना और काम में मन न लगने जैसे लक्षण बढ़ रहे हैं। इन बीमारियों का समय पर इलाज न हो तो लोग आत्महत्या कर लेते हैं। इसलिए जरूरी है कि इन लक्षणों की समय पर पहचान और इलाज हो सके। इसके लिए मनोचिकित्सकों और काउंसलरों की मदद लें।
कार्यक्रम में शक्तिशाली महिला संगठन के संयोजक वं विशिष्ट वक्ता रवि गोयल ने कहा कि मनोरोगों से बचाव और उपचार के लिए मित्रों और परिवार के सदस्यों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं। अपनी समस्या के बारे में उनसे चर्चा करें। पर्याप्त नींद व संतुलित भोजन लें। नियमित रूप से व्यायाम करें। धीमी आवाज में संगीत का आनंद लें। प्रकृति के सानिध्य में रहें। हमेशा सकारात्मक रहें और ऐसे ही लोगों की संगति में रहें। प्रतिदिन योग करके भी आत्मिक शांति मिलती है। किशोरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर समस्या है। मन को सेहतमंद रखने की चुनौती के लिए संस्था द्वारा 25 गांव में हैप्पीनेस कार्यक्रम संचलित किए गए जिसमें सुपोषण सखी, न्यूट्रीशन चैम्पियन ने पेड़ के नीचे बैठकर खुलकर मन की बात की केवल सकारात्मक सोच अपनायी, सकारात्मक खबरे पढ़ी, सकारात्मक लोगों के साथ समय व्यतीत किया जो पाया कि किशोरियों मे मानिसक तनाव में धीरे धीरे कमी आने लगी। कार्यक्रम का संचालन एंव आभार प्रदर्शन प्रो. ज्योत्सा सक्सैना वरिष्ट प्राध्यापिका के द्वारा किया गया कार्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य जिला चिकित्सालय की टीम, कन्या महाविधालय के प्राध्यापक डा0 एसएस खण्डेलवाल, डा0 मोर्य, डा0 अनीता जैन, डा0 रेनू राय, के साथ अन्य प्राध्यापक , स्टाफ एवं कालेज की एक सैकड़ा छात्राओं ने भाग लिया एवं मानसिक स्वास्थ्य के बारे मे कम से कम 10 लोगो को जागरुक करने का निश्चय किया।
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