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श्योपुर : जिला अस्पताल 100 से बढ़ाकर 200 बेड का किया लेकिन स्टाफ की कमी


 जिला अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी दूर नहीं हो रही है। यहां डॉक्टरों के 34 पद हैं लेकिन इनमें से 19 खाली हैं। डॉक्टर की नियुक्ति की मांग सत्तादल के नेता और दोनों विधायक भी कर चुके हैं लेकिन उन्हें भी सिर्फ आश्वासन ही मिले। हालात यह हैं कि न डॉक्टर मिल रहे हैं न नर्सिंग स्टाफ। स्टाफ की कमी के कारण जिला अस्पताल में स्ट्रेचर भी मरीजों के अटेंडेंट व गार्डों को चलाने पड़ रहे हैं। हाल यह है कि यहां डॉक्टर्स की कमी से मरीजों को राजस्थान जाना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल में डॉक्टरों के खाली पदों को भरने की मांग को लेकर सत्ता दल के नेता भोपाल तक गए और यहां भी श्योपुर जिला अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी पर बताते हुए देने की गुहार लगाई लेकिन सालों से लंबित इस मांग पर सरकार ने डॉक्टर्स के रिक्त पड़े पद अब तक नहीं भरे। हालात यह है कि जिला अस्पताल में 22 नर्स व 20 से ज्यादा वार्ड बॉय के पद कुल मिलाकर 45 पद नर्सिंग स्टॉफ के खाली है, इस पर भी अब तक स्वास्थ्य विभाग ने पदस्थापना नहीं की है।

जिसके चलते जिला अस्पताल में मरीजों को स्ट्रेचर पर लाने-ले-जाने का काम या तो उनके परिजन को करना पड़ता है या फिर अस्पताल की सुरक्षा में लगे गार्डों को यह जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। वही अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी के चलते मरीजों को इलाज में भी परेशान होना पड़ता है। यहां 34 में से 19 डॉक्टर्स के पद खाली हैं, जिन पर तकरीबन चार सालों से नियुक्ति ही नहीं की गई।

ग्वालियर की दूरी ज्यादा, राजस्थान जाने काे मजबूर मरीज
श्योपुर जिले से ग्वालियर की दूरी 250 किमी है। ऐसे में मरीजों को यहां ले जाने में दिक्कत हाेती है जबकि राजस्थान का कोटा 160 किमी दूरी पर और सवाई-माधौपुर सिर्फ 60 किमी की दूरी पर है। ऐसे में श्योपुर के मरीजों को कोटा व सवाई-माधौपुर ही ले जाया जाता है। ऐसे में मरीजाें काे राजस्थान सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिल पाता। यहां मरीजों को जांच, भर्ती समेत अन्य खर्चें दोगुना वहन करने पड़ते है। श्योपुर में अगर डॉक्टर हाें ताे अधिकतर मरीजों को राजस्थान नहीं जाना पड़ेगा।

जनप्रतिनिधियों को भी सिर्फ आश्वासन मिले, विधानसभा में लगाया प्रश्न
श्योपुर से कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल और विजयपुर से भाजपा विधायक सीताराम आदिवासी, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बृजराज सिंह चौहान, भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र जाट, पूर्व जिलाध्यक्ष महावीर सिंह सिसौदिया समेत भाजपा के अन्य बड़े नेता कई बार भोपाल पहुंचकर जिला अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी की समस्या रख चुके हैं लेकिन इन नेताओं को भी सिर्फ आश्वासन ही मिला। विधायक जंडेल तो अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी को लेकर विधानसभा में प्रश्न तक लगा चुके हैं।

अस्पताल 200 बेड का, पद 100 बैड के हिसाब से
जिला अस्पताल में बेड क्षमता कोरोना काल के दौरान सरकार ने बढ़ा दी है। 100 बिस्तर के अस्पताल को अब 200 बिस्तर का कर दिया गया है। इसमें अतिरिक्त 100 बेड की भी व्यवस्था है लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने बिस्तर बढ़ाने के बाद भी यहां न डॉक्टर्स के पद बढ़ाए न नर्सिंग स्टाफ के। 100 बेड के मुताबिक 34 डॉक्टर के पद हैं जबकि सिविल सर्जन के मुताबिक 52 पद होने चाहिए। इसी तरह वार्ड बॉय के पद 8 हैं, जिसे बढ़ाकर 20 करना चाहिए और नर्सों के पदों में भी 22 की वृद्धि होनी चाहिए।

स्टाफ की कमी को लेकर लगातार पत्राचार कर रहे
हमारे द्वारा लगातार पत्राचार किया जाता है। जिला अस्पताल में कई सुविधाएं हैं लेकिन यह सही है कि डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ की कमी से परेशानी आती है। हम भी डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ की कमी को लेकर लगातार पत्राचार कर रहे हैं।
-डॉ. आरबी गोयल, सिविल सर्जन, श्योपुर

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