जर्जर हो रहा उप स्वास्थ्य केंद्र। स्थानीय लोगों को नहीं मिल पा रहा इलाज।
सरकार ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा तो कर रही है, लेकिन आदिवासी
विकासखंड के ज्यादातर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ती नजर आ रहीं हैं। प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं और दवाएं उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए उपस्वास्थ्य केंद्र जर्जर अवस्था में पहुंचकर पिछले लंबे समय से मरम्मत का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन का इन भवनों की मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं है।
जिससे यह भवन अब गिरने की कगार पर पहुंच गए हैं। ऐसी स्थिति में ज्यादातर स्टाफ भी अस्पताल में नहीं रुकता है। कराहल के विकासखंड के अंतर्गत पांच उपस्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जिनमें इलाज तो दूर स्टाफ के लिए बैठना तक दूभर है। कराहल के बुडेरा, आमेठ, सूंसवाड़ा, सुबकरा और सलमान्या में भवन बैठने लायक स्थिति में नहीं है।
कराहल स्वास्थ्य प्रबंधन की ओर से बीएमओ ने ऐसे 20 उपस्वास्थ्य केंद्र भवनों को चिन्हित कर नए भवन बनाने के लिए भोपाल प्रस्ताव भेजा गया था। इनमें से 15 भवनों को स्वीकृति देकर नए भवनों का निर्माण कराया जा चुका है, जबकि पांच उपस्वास्थ्य केंद्रों के नए भवनों को स्वीकृति नहीं मिली है। चूंकि उपस्वास्थ्य केंद्रों पर 24 घंटे इलाज मुहैया कराने के लिए एएनएम को रुकना पड़ता है, लेकिन जर्जर हो चुके भवनों में रुकना तो दूर बैठना तक मुश्किल है।
उपस्वास्थ्य केंद्रों की हालात ऐसी है कि भवन जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं और यह कभी धाराशायी हो सकते हैं। ऐसे में स्टाफ रात में रुकने की बजाए गांव से चला जाता है। जिससे ग्रामीणों को रात के समय में इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती है। हालाकि बीएमओ डॉ. राजेंद्र वर्मा का कहना है कि वह उपस्वास्थ्य केंद्र के नए भवनों का निर्माण कराने के लिए विभागीय स्तर पर पत्राचार कर चुके हैं, जैसे ही प्रस्ताव को स्वीकृति मिलेगी भवनों का निर्माण शुरू कराया जाएगा।
उपस्वास्थ्य केंद्र पर यह होती हैं सुविधा
उपस्वास्थ्य केंद्र पर एक ओपीडी की सुविधा होती है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए अलग से कक्ष होता है। स्टाफ के रुकने के लिए कमरा और लेट बाथ की सुविधा भी होती है। इसके अलावा दवाओं के वितरण का कक्ष भी होता है। इससे ग्रामीणों को रात के समय में भी उपस्वास्थ्य केंद्र पर सुविधा उपलब्ध होती है। लेकिन उपस्वास्थ्य केंद्र के अभाव में पांचों उपस्वास्थ्य केंद्र पर रात के समय में इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है।
उपस्वास्थ्य केंद्र नहीं, चौपाल लगाकर हो रहा है टीकाकरण
सूंसवाड़ा, आमेठ, सुबकरा, सलमान्या और बुडेरा में उपस्वास्थ्य केंद्र की सुविधा नहीं होने के चलते गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों को लगने वाले टीकाकरण में परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रति मंगलवार और शुक्रवार को जब टीकाकरण किया जाता है तो उपस्वास्थ्य केंद्र का स्टाफ गांव में एक चौपाल के नीचे जाकर बैठ जाता है और महिलाओं व बच्चों का टीकाकरण किया जाता है। जो गर्भवती महिलाएं चौपाल में आकर अपना या बच्चों का टीकाकरण नहीं करातीं हैं तो एएनएम घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करतीं हैं।
आमेठ में क्षतिग्रस्त हुआ भवन, महिलाओं की डिलीवरी में परेशानी
कराहल की पर्तवाड़ा पंचायत के आमेठ गांव में ग्रामीणों की सुविधा के लिए कई साल पहले उपस्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग तैयार की गई थी। लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में अब यह बिल्डिंग अब जर्जर हो चुकी है। आमेठ निवासी रामेश्वर यादव ने बताया कि भवन क्षतिग्रस्त होने से स्टाफ उपस्वास्थ्य केंद्र पर नहीं रुकता है। ऐसे में रात के समय में गर्भवती महिलाओं को परेशानी होती है। वह कई सालों से यहां उपस्वास्थ्य केंद्र का नया भवन बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन नया भवन नहीं बनाया जा रहा है।
प्रस्ताव भेजा गया है
कराहल में 39 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं, इनमें से 20 जर्जर हो गए थे इनमें से 15 का निर्माण हो चुका है। जिसमें स्टाफ के लिए सभी सुविधाएं मिल रहीं हैं। पांच उपस्वास्थ्य केंद्रों की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भोपाल भेजा गया है। स्वीकृति मिलने का इंतजार है।
-डॉ. राजेंद्र वर्मा, बीएमओ, कराहल
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