मध्यप्रदेश में नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों में सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा ऐसी महिलाएं जो आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें आर्थिक और सामाजिक संबल प्रदान कर नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में अपनी भागीदारी निभा रहा हैं। विभाग की योजनाओं का मुख्य उद्देश्य नारी को सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। विशेष रूप से निर्धन परिवारों की कन्याओं और विधवा महिलाओं को केंद्र में रखकर बनाई गई मुख्यमंत्री कन्या विवाह एवं निकाह सहायता योजना और मुख्यमंत्री कल्याणी (विधवा) विवाह सहायता योजना इसके सशक्त उदाहरण हैं।मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की कन्याओं के विवाह के लिये 55,000 रूपये की सहायता राशि दी जाती है। इस योजना के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2024-25 में 43,532 कन्याओं को लाभ मिला, जो सामाजिक सुरक्षा एवं नारी गरिमा को बढ़ावा देता है।मुख्यमंत्री कल्याणी विवाह सहायता योजना, विधवा महिलाओं के पुनर्विवाह को सामाजिक स्वीकृति प्रदान करती है। योजना के अंतर्गत 18 वर्ष या अधिक आयु की कल्याणियों को 2 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। वर्ष 2024-25 में 750 महिलाओं को इसका लाभ दिया गया।राज्य सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों की कन्याओं के विवाह के साथ ही विपरीत परिस्थितियों में असमय विधवा हो चुकी महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा कल्याणी पेंशन योजना के माध्यम से 600 रूपये प्रतिमाह पेंशन राशि प्रदान करती है। प्रदेश में 12 लाख से अधिक आयकर दाता रहित कल्याणी महिलाओं को सहायता दी जा रही है। इसके साथ ही 40 वर्ष से कम उम्र की ऐसी महिलाएँ जिनका अपने पति से तलाक हो गया है उन्हें भी सामाजिक सुरक्षा परित्यक्ता पेंशन योजना में 600 रूपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। वर्तमान में 37 हजार महिलाएँ लाभांवित हो रही है। इतना ही नहीं राज्य सरकार ऐसे दम्पति जिनके केवल कन्या ही संतान है और वह आयकर दाता नहीं है। ऐसे दंपत्तियों को सामाजिक सुरक्षा कन्या अभिभावक पेंशन योजना के तहत 600 रूपये प्रतिमाह पेंशन प्रदान की जा रही है। प्रदेश में सर्वाधिक 40 वर्ष उम्र की वीपीएल परिवार की 5लाख 46 हजार महिलाओं को 600 रूपये मासिक पेंशन प्रदान कर संबल प्रदान करने का काम किया जा रहा है।इन योजनाओं के माध्यम से महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं, बल्कि समाज में उन्हें एक सम्मानजनक स्थान भी प्राप्त हो रहा है। यह नारी सशक्तिकरण की दिशा में सामाजिक न्याय विभाग की दूरदर्शी सोच और संकल्प का प्रतीक है।
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