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Shivpuri News : जनमन आवास योजना की कुटीरें अधूरी, सेहरिया आदिवासियों की छत पर संकट

शिवपुरी तहसील के ग्राम सीर, पंचायत बांसखेड़ी के आदिवासी परिवार इन दिनों बेहद कठिन हालातों में जीवन जीने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना के तहत स्वीकृत कुटीरों की दूसरी किश्त न मिलने के कारण इन गरीब परिवारों का निर्माण कार्य अधर में लटक गया है। परिणामस्वरूप दर्जनों सेहरिया आदिवासी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्राम सीर की बजरंग कॉलोनी में बसे इन परिवारों ने योजना के अंतर्गत आवश्यक दस्तावेजों सहित आवेदन किया था, जिसमें से कई कुटीर स्वीकृत हो गईं। प्रथम किश्त की राशि भी जारी हुई, जिससे उन्होंने बुनियाद खोदकर पिलर निर्माण तक का कार्य पूरा कर लिया। मगर द्वितीय किश्त की राशि अब तक नहीं मिली है।

प्रशासन भूमि को लेकर बना रहा बहाना - 

इन आदिवासी परिवारों का कहना है कि अब उन्हें बताया जा रहा है कि जिस भूमि पर वे निर्माण कर रहे हैं, वह 'ट्रांसपोर्ट' के लिए आरक्षित है। सवाल यह उठता है कि यदि भूमि आरक्षित थी, तो पहले किश्त की स्वीकृति, ऑनलाइन सर्वे और भू-अवलोकन किस आधार पर किया गया? लोगों का यह भी कहना है कि कई साल पहले इसी भूमि पर अन्य परिवारों को पट्टे भी प्रदान किए जा चुके हैं।

झुग्गियों से निकले, अधूरी कुटीरों में अटके - 

ग्रामीणों का कहना है कि दशकों से वे इस भूमि पर झुग्गियों में रह रहे हैं और अब जब एक पक्के घर की उम्मीद जगी, तो प्रशासनिक असमंजस ने उन्हें अधर में लाकर छोड़ दिया है। कई परिवारों की अधूरी कुटीरें अब कंकाल बन चुकी हैं, और लोग फिर से प्लास्टिक-टीन की झुग्गियों में लौटने को मजबूर हैं।

कई समस्याएं, एक समाधान – किश्त जारी हो

पीड़ित परिवारों ने जिलाधीश शिवपुरी को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि उन्हें योजना की द्वितीय किश्त तत्काल दिलवाई जाए ताकि वे अपना अधूरा निर्माण पूरा कर सकें। उनका कहना है कि उनके पास कोई वैकल्पिक भूमि नहीं है और वे उसी जगह पर रहकर वर्षों से जीवनयापन कर रहे हैं।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें - 

अधूरी कुटीरों को पूर्ण कराने हेतु द्वितीय किश्त की तत्काल स्वीकृति।

विवादित बताई जा रही भूमि को पुनः परीक्षण में लाया जाए।

प्रशासन द्वारा स्थिति स्पष्ट कर समस्या का शीघ्र समाधान सुनिश्चित किया जाए।

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