विदिशा जिले की कुरवाई तहसील के ग्राम सिहोरा की श्रीमती निर्मल शर्मा, सीहोर जिले के ग्राम हरिपुर की श्रीमती रीना परमार, सिंगरौली जिले के श्री विकेश शाह जैसे प्रदेश के साढ़े तीन हजार से अधिक ऐसे हितग्राही हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (PM-FME) के तहत बैकों के माध्यम से 298 करोड़ का ऋण उपलब्ध कराया गया है, इन आत्मनिर्भर हितग्राहियों की सफलता की कहानी से प्रदेश में योजना के क्रियान्वयन और उसकी सफलता का अनुमान लगाया जा सकता है।
श्रीमती निर्मला शर्मा ने स्वयं का रोजगार स्थापित करने का सोचा, PM-FME योजना के तहत 26.47 लाख रूपये का ऋण लेकर अपने ही गांव सिहोरा तहसील कुरवाई में फ्लोर मिल और पैकेजिंग यूनिट स्थापित की। वह आसपास के किसानों से शरबती, काला, लाल गेहूँ खरीद कर उनकी ग्रेडिंग करती हैं। आटा, दलिया, चापर तैयार कर, एक किलो, 5 किलो, 30 किलो की पैकिंग कर देश के साथ विदेशों में भी भेजती है। उनका वार्षिक टर्न ओवर 2022-23 में 12 करोड़ 42 लाख से भी अधिक रहा है। इसी प्रकार सीहोर के हीरापुर की श्रीमती रीना परमार ने 25 लाख रूपये के बैंक ऋण से गांव में ही डेयरी प्रोडक्ट बनाना प्रारंभ किया। प्रतिदिन 15 हजार लीटर दूध से घी, पनीर, मावा, श्रीखण्ड उत्पादन सीहोर और आसपास के क्षेत्र में अच्छी मांग पर बिक्री हो रही है। इससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो रही है।
सिंगरौली के विकेश कुमार शाह 18.20 लाख रूपये के ऋण से यूनिट स्थापित की। उनका वर्ष 2024-25 में 42 लाख रुपये का टर्न ओवर रहा। उन्होंने 12.50 लाख रूपये से अधिक का मुनाफा कमाया है। ये केवल चुनिंदा हितग्राहियों की कहानी है, जो अपनी मेहनत और योजना की मदद से अपना और लोगों को रोजगार देकर सामाजिक जिम्मेदारी भी निभा रहे है।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (PM-FME) के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में मध्यप्रदेश में सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अभूतपूर्व वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य बन गया है। इस योजना के तहत राज्य के 52 जिलों में कुल 3554 लाभार्थियों को 298.48 करोड़ रुपये के ऋण का वितरण किया गया है। यह योजना केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित की जा रही है, जिसे राज्य में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग क्रियान्वित कर रहा है।
योजना का उद्देश्य पारंपरिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को तकनीकी, वित्तीय और मार्केटिंग सहयोग देना है, जिससे ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा मिले और स्थानीय रोजगार सृजन हो। प्रदेश में जिलेवार आंकड़े दर्शाते हैं कि इस योजना ने बड़ी संख्या में उद्यमियों को लाभ पहुंचाया है।
जिलों में शीर्ष प्रदर्शन
सबसे अधिक लाभार्थियों को ऋण वितरण नरसिंहपुर जिले में किया गया, जहां 253 उद्यमियों को 24.38 करोड़ रुपये का ऋण मिला। इसके बाद खरगोन में 197 लाभार्थियों को 11.82 करोड़ रुपये तथा दमोह में 132 लाभार्थियों को 5.93 करोड़ रुपये का ऋण वितरित हुआ। ऋण राशि वितरण की दृष्टि से देखे तो भिंड जिला ऋण वितरण राशि में शीर्ष पर रहा, जहाँ केवल 116 लाभार्थियों को 22.24 करोड़ रुपये का ऋण मिला, जो प्रति इकाई औसत सहायता को दर्शाता है। इसके अलावा लाभार्थियों को शिवपुरी में 15.07 करोड़ रुपये, ग्वालियर में 15.18 करोड़ रुपये, मुरैना में 11.49 करोड़ रुपये और इंदौर में 11.04 करोड़ रुपये, छिंदवाड़ा में 7.62 करोड़ रुपये, मंदसौर में 9.25 करोड़ रुपये, सीहोर में 6.75 करोड़ रुपये, बालाघाट में 5.84 करोड़ रुपये और सागर में 7.66 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। यह स्पष्ट करता है कि योजना का प्रभाव राज्य के लगभग हर कोने तक पहुंचा है।
भोपाल जिले में भी योजना के तहत 51 उद्यमियों को 5.12 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया, जो राज्य की राजधानी के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे स्पष्ट है कि योजना नगरीय और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को साथ लेकर चल रही है।
प्रशिक्षण एवं समर्थन
योजना के अंतर्गत प्रदेश में सीहोर, मुरैना और ग्वालियर में 3 इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं, जहाँ लाभार्थियों को व्यवसाय प्रबंधन, गुणवत्ता नियंत्रण और उत्पाद ब्रांडिंग संबंधी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है, बल्कि प्रदेश के उद्यमशील व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनाने में एक सशक्त माध्यम बन रही है। जिला प्रशासन, राज्य सरकार और केंद्र के समन्वय से यह योजना ग्रामीण भारत की खाद्य अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
आगामी वर्षों में योजना का विस्तार और प्रभाव और अधिक गहराई तक पहुंचने की संभावना है, जिससे स्थानीय उत्पादों की वैल्यू चेन को सशक्त किया जा सकेगा।
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