ग्वालियर > अटल बिहारी वाजपेयी - भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर का 6वां दीक्षांत समारोह, निदेशक प्रो. श्री निवास सिंह की अध्यक्षता में शनिवार, १२ जुलाई, २०२५ को प्रातः १०:३० बजे से आरंभ होकर अप्रान्ह १:०० बजे सम्पन्न हुआ। संस्थान के समस्त शासी मण्डल एवं सीनेट के सदस्यगण की अगुवाही में षष्ठम दीक्षांत समारोह का आयोजन संस्थान के नवीन कन्वेंशन सेंटर, में हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के आशीर्वाद से दीप प्रज्वलित कर हुआ एवं माननीय चेयरमैन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स श्री दीपक घाइसस ने दीक्षांत समारोह की औपचारिक शुरुआत की घोषणा की । निदेशक प्रोफ़ेसर श्रीनिवास सिंह ने संस्थान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत कर संस्था की उपलब्धियों, शैक्षणिक पहल और भविष्य की योजनाओं से सभी को अवगत कराया।
इस कार्यक्रम में कुल 329 डिग्री प्रदान की गईं जिसमें कुल डी.एससी. 2, पीएच.डी. 12, एम.टेक. 13, एमबीए 27, आईपीजी बी.टेक. (सूचना प्रौद्योगिकी) और एम.टेक. (सूचना प्रौद्योगिकी) 110, आईपीजी बी.टेक. (सूचना प्रौद्योगिकी) और एमबीए 58 (आईपीजी कुल 168), बी.टेक. (कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग) 78, बी.टेक. बी.टेक. (आईटी) 29 को डिग्री प्रदान की गईं। 329 डिग्री प्राप्तकर्ताओं में से 68 महिलाएं हैं।
2025 पास आउट बैच के दो छात्रों को सीताराम जिंदल गोल्ड मेडल से अलंकृत किया गया । कुल 5 छात्रों को इंस्टीट्यूट गोल्ड मेडल प्रदान किया गया तथा कुल 6 छात्रों को सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट दिया गया। स्वर्गीय श्रीमती गुजरा सिंह की यादगार में गुजरा सिंह मेमोरियल गोल्ड मेडल पिछले वर्ष स्थापित किया गया था। गुजरा सिंह मेमोरियल स्वर्ण पदक अवार्ड उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन के साथ आईएमटी प्रोजेक्ट टॉपर की एक छात्रा को प्रदान किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण संस्थान के माननीय निदेशक प्रो. एस एन सिंह एवं शासी मण्डल के अध्यक्ष श्री दीपक घाइसस के द्वारा संस्थान की प्रगति प्रतिवेदन की प्रस्तुति रही तथा डिग्री प्राप्तकर्ताओं के लिए शपथ ग्रहण समारोह, सम्मानार्थ ऑनोरिस कॉसा उपाधि प्रदान करना, डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी डिग्री उपाधि प्रदान करना, मुख्य अतिथि द्वारा स्वर्ण पदकों एवं श्रेष्ठता प्रमाणपत्रों को प्रदान करना रहे।
संस्थान के कुलसचिव श्री पंकज गुप्ता की अगुवाई में माननीय बीओजी अध्यक्ष , निदेशक एबीवी-ट्रिपल आई टी एम ग्वालियर, मुख्य अतिथि, सम्मानित अतिथि और विशिष्ट अतिथि, संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर और सीनेट के सदस्य, डीन और विभागाध्यक्ष निर्धारित दीक्षांत समारोह की पोशाक पहन कर शोभा यात्रा में शामिल हुए ।
निदेशक प्रो. एस एन सिंह ने सर्वप्रथम मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों, छात्रों एवं उनके अभिभावकों का स्वागत करते हुए इस गौरवशाली दिवस की सभी को शुभकामनाएँ दीं। उन्होने कहा कहा कि याद रखें कि आपका ज्ञान और बौद्धिक योग्यता राष्ट्र की सबसे पवित्र संपत्ति है। इसलिए, आपको इसका उपयोग अपने देश और अपनी मातृसंस्था के सम्मान और गरिमा के अनुरूप करना चाहिए। आपको हर परिस्थिति में, अपने पेशे की गरिमा और अपने चरित्र की अखंडता को बनाए रखने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। आपको हर तरह से, मन, वचन और कर्म से, लोगों का कल्याण करने का प्रयास करना चाहिए। आपको एक अनुशासित जीवन जीना चाहिए। आज का यह दिवस इस संस्थान के विद्यार्थियों की बौद्धिक यात्रा की एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आप सभी ने यहाँ न केवल सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन की उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त की है, बल्कि मूल्य, नेतृत्व और नवाचार जैसे जीवन के महत्वपूर्ण स्तंभों को भी आत्मसात किया है। आज का दिन केवल सफलता का उत्सव नहीं है — यह दृष्टिकोण, धैर्य और दृढ़ संकल्प की जीत का प्रतीकहै। यह दिन हमें याद दिलाता है कि ज्ञान के साथ जब मूल्य जुड़ जाते हैं, तब वह राष्ट्र-निर्माण की शक्ति बन जाते हैं।
बीओजी अध्यक्ष, एबीवी-आईआईआईटीएम ग्वालियर श्री दीपक घाइसस ने अपने सम्बोधन में कहा कि एबीवी-आईआईआईटीएम ग्वालियर के छठे दीक्षांत समारोह 2025 में आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। मुझे यह जानकर बेहद खुशी हो रही है कि यह संस्थान 2025 उत्तीर्ण छात्रों के लिए इस दीक्षांत समारोह का आयोजन करने वाला आईआईआईटी और एनआईटी में प्रथम है। विभिन्न कठिनाइयों के बावजूद, संस्थान अपने कामकाज में अधिक स्वायत्त बनने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं कि नई शिक्षा नीति 2020 को अक्षरशः लागू किया जाए और उसका पालन किया जाए।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर अभय करंदीकर, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार थे । प्रोफेसर अभय करंदीकर जी, एक प्रख्यात वैज्ञानिक, गहन अनुसंधानकर्ता और शिक्षा जगत के अग्रणी स्तंभ हैं। प्रो. करंदीकर जी, को दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास और वैश्विक 5G/6G मानकों के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए जाना जाता है प्रो. करंदीकर को दिसंबर 2016 में न्यू जर्सी में IEEE SA के मानक पदक से सम्मानित किया गया था। उन्होने सभआ में उपस्थित सभी को संबोधित करते हुए कहा कि यहां बैठे सभी स्नातकों को, मैं आपकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए हार्दिक बधाई देता हूं और आपके गौरवान्वित परिवारों को उनके अटूट समर्थन के लिए सराहना करता हूं। आपकी यात्रा चुनौतियों, विकास और विजय से भरी रही है, और जैसे ही आप इस प्रतिष्ठित संस्थान के हॉल से बाहर कदम रखते हैं, याद रखें कि आप केवल स्नातक नहीं हैं - आप नवाचार, नेतृत्व और परिवर्तनकारी सोच के राजदूत हैं, जो हमारे देश और दुनिया में सार्थक योगदान देने के लिए तैयार हैं। "राष्ट्र की सेवा में विज्ञान" कोई नारा नहीं है—यह प्रगति की एक रणनीति है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर ए.के. सूद, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, भारत सरकार और डॉ. के. मल्लेश्वरी, कुलपति, दिल्ली खेल विश्वविद्यालय थीं, जिन्हें डीएससी डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की गयी।
प्रो. सूद को विज्ञान में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक, पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। वे प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) के अध्यक्ष भी हैं। प्रोफ़ेसर अजय कुमार सूद का जन्म 26 जून 1951 को ग्वालियर, भारत में हुआ था।. सूद ने 2003 में अपने प्रयोगों के माध्यम से, ठोस पदार्थों के ऊपर या नैनोट्यूब के माध्यम से तरल पदार्थों को प्रवाहित करके विद्युत संकेत उत्पन्न किए और इस घटना को अब वैज्ञानिक जगत ने सूद प्रभाव कहा है। प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने अपने उद्बोधन में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर से डी.एससी. (ऑनर्स कॉसा) की यह प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त कर मुझे अत्यंत सम्मानित महसूस हो रहा है। एक शोधकर्ता, शिक्षाविद और सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में अपनी पूरी यात्रा के दौरान, ज्ञान की खोज और उसकी प्रासंगिकता मेरे प्रयासों के केंद्र में रही है। मैं अपनी यात्रा में साथ देने वाले सभी सहयात्रियों - छात्रों, सहयोगियों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों का आभार व्यक्त करता हूँ। आज ABV-IIITM ग्वालियर में उपस्थित होना जिज्ञासा, दृढ़ता और ज्ञान की निरंतर खोज पर आधारित मज़बूत नींव का एक सार्थक स्मरण है। शिक्षा को आगे बढ़ाने, उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करने के लिए ABV-IIITM ग्वालियर का समर्पण वास्तव में प्रशंसनीय है। मैं इस संस्थान के सभी पदक विजेताओं, योग्यता प्रमाणपत्र पुरस्कार विजेताओं और उपाधि प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूँ और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
डॉ. कर्णम मल्लेश्वरी जी, जिन्होंने कठिन परिश्रम, समर्पण और अद्भुत कौशल के दम पर भारत को ओलंपिक में पदक दिलाया। भारत की गौरव, ओलंपिक पदक विजेता, और करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत माननीया कर्णम मल्लेश्वरी जी न सिर्फ एक खिलाड़ी हैं, बल्कि युवाओं की आदर्श भी हैं। 1 जून, 1975 को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में जन्मी डॉ. कर्णम मल्लेश्वरी जी एक प्रतिष्ठित भारतीय भारोत्तोलक हैं, जो अपनी अभूतपूर्व उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 2000 के सिडनी ओलंपिक में 69 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक हासिल करके ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रच दिया। 240 किलोग्राम का उनका असाधारण भारोत्तोलन न केवल उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाता है, बल्कि देश भर के अनगिनत एथलीटों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। डॉ. के. मल्लेश्वरी ने अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज मैं आपके प्रतिष्ठित संस्थान से यह सम्मान प्राप्त करके अत्यंत विनम्र और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। यह मेरे हृदय को असीम कृतज्ञता से भर देता है, न केवल इस क्षण के लिए, बल्कि उस यात्रा के लिए भी जिसने मुझे यहाँ तक पहुँचाया—एक ऐसी यात्रा जो आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के एक छोटे से गाँव वूसावनिपेटा से शुरू हुई थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं अकादमिक मान्यता के ऐसे मंच पर खड़ी होउंगी। खेलों ने मुझे अनुशासन, दृढ़ता और विश्वास की शक्ति सिखाई—और सबसे बढ़कर, इसने मुझे वैश्विक मंच पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का सम्मान दिया। मेरे आस-पास के लोग सवाल करते थे कि एक लड़की को भारोत्तोलन जैसे खेल में क्यों जाना चाहिए। कानाफूसी, संदेह और निराशा थी। लेकिन मुझे अपने परिवार का समर्थन और यह विश्वास था कि अगर मैं कड़ी मेहनत करूँ, तो कुछ भी असंभव नहीं है। मेरा लक्ष्य भारत से ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता तैयार करना है। यहाँ उपस्थित सभी युवा छात्रों से: मैं आपको यह बताना चाहती हूँ कि आपकी पृष्ठभूमि आपके भविष्य को परिभाषित नहीं करती। आपके सपने करते हैं। आगे बढ़ते रहें, विश्वास बनाए रखें, और उस रास्ते पर चलने से कभी न डरें जिस पर पहले कोई नहीं चला। अगर मैं एक छोटे से गाँव से आकर ओलंपिक पोडियम तक पहुँच सकती हूँ, तो आप भी कर सकते हैं। मुझे यह सम्मान देने के लिए मैं निदेशक, संकाय और पूरे ABV-IIITM ग्वालियर समुदाय का धन्यवाद करती हूँ। यह मुझे खेलों के विकास के लिए अपना काम जारी रखने और अगली पीढ़ी के चैंपियनों का समर्थन करने के लिए प्रेरित करता है। इस वर्ष के दीक्षांत समारोह के मुख्य समन्वयक प्रो. के के पटनायक व सह समन्वयक डॉ. वीनल पटेल थे । संस्थान के कुलसचिव श्री पंकज गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होने सभी उत्तीर्ण छात्र- छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ देते हुए, सभी के प्रति आभार प्रकट किया । अंत में राष्ट्र्गान के उपरांत समारोह का समापन हुआ। उक्त जानकारी संस्थान की मीडिया प्रभारी श्रीमती दीपा सिंह सिसोदिया के द्वारा दी गयी।
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