Music

BRACKING

Loading...

कोलारस और शिवपुरी चुनाव परिणाम पर मध्यप्रदेश की नजर---


! अप्रत्याशित हो सकते है चुनावी नतीजे!
!महल प्रभावी राजनीति के कारण शिवपुरी जिले की सीटें सुर्खियों में!
//दिशा बदले तो दशा बदले //विवेक व्यास।।।
@ कोलारस उपचुनाव के जलवा जुलूस को देखने के बाद हालहि में सम्पन्न हुआ आमचुनाव कोलारस की जनता को रिझा नही सका।
मुख्यमंत्री सहित 40 मंत्रियों की फौज फाटा और कई दिग्गज हस्तियों का मेला कोलारस उपचुनाव के आकर्षण का केंद्र रहा।
महल का प्रभाव उपचुनाव में भी प्रमाणित साबित हुआ। सिंधिया का प्रभाव परिणाम को कांग्रेस के पक्ष में करने में सफल रहा।
आम चुनाव के रूप में एक बार फिर कोलारस और शिवपुरी का चुनाव दोनों ओर महल की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है।
शिबपुरी में उक्त मुकावला भाजपा की यशोधरा राजे और कांग्रेस के सिद्धार्थ लड़ा के बीच तो कोलारस में उक्त संग्राम कांग्रेस के महेंद्र यादव और महल विरोधी भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र रघुवंशी के बीच काफी रोचक रहा।
इस चुनाव में शिवपुरी की जनता ने खुलकर इस बार भाजपा की  यशोधरा राजे का विरोध किया जो पूर्व में कभी देखने को नही मिला था।
शिवपुरी कई वर्षों से यशोधरा राजे की अजेय सीट रही है।मध्यप्रदेश में राजे और महल के कारण ही शिवपुरी की विशेष पहचान है। इस बात में कोई शक नही की प्रशासनिक तंत्र पर राजे का पूरा नियंत्रण रहा है ।
पूरे मध्यप्रदेश में मिहिला चेहरे के रूप में राजे की पहचान भी कद्दावर नेता की है।
जनता को उनसे बहुत अधिक अपेक्षा रही है और विगत 4 बर्ष में ये अपेक्षा और अधिक बलबती रही उसी के एन्टी इंकॉम्वनसी का वोट बैंक सिद्दार्थ को प्राप्त होने की संभावना है अन्यथा एक नेता और दमदारी के नाम पर कांग्रेस उम्मीदवार की पहचान शून्य है।
साररूप में जनता के विरोध के कारण शिवपुरी में महल का प्रभाव कुछ हद तक बहुत कम हुआ है जिसके चलते उक्त चुनाव जीतना राजे और महल के लिए प्रतिष्ठा की बात बन गया है।
कोलारस विधानसभा में भी कमोबेश यही राजनीतिक परिस्तिथि द्रष्टिगोचर हो रही है।
अंतर इतना है शिवपुरी में भाजपा के लिए महल की आन दाव पर है
तो कोलारस में कांग्रेस के लिए महल की गरिमा दाव पर है।
ज्ञात हो कि पूर्व में वीरेंद्र रघवंशी कांग्रेस पार्टी में थे और सांसद सिंधिया ने शिवपुरी उपचुनाव में भरशक प्रयास कर उन्हें विधायक बनाया । किन्ही राजनीतिक कारणों के चलते वीरेंद्र रघुवंशी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और महल के खिलाफ विगुल बजा दिया।
उनके दिल के ठेस कितनी गहरी है इसका अंदाजा तो उन्हें ही है
लेकिन उनकी बगावत सिंधिया को रास नही आई अब कोलारस में यही राजनैतिक और प्रतिष्ठा के पेच फशा हुआ है।
कोलारस में सांसद सिंधिया ने भाजपा नहीं वीरेंद्र रघुवंशी के विरोध में अपने पूरे सिपाह सालार लगा दिये।
वेरेन्द्र रघुवंशी को उक्त चुनाव में कांग्रेस सहित भाजपा का विरोध का दम से सामना करना पड़ा है
लेकिन उक्त बात में कोई शक नही की विगत 4 वर्ष में रघुवंशी ने क्षेत्र में जो जनसेवक और नेता की छाप बनाई है उसके चलते सभी के विरोध में वेरेन्द्र के चेहरे ने ही पूरा चुनाव लड़ा।
अब इस राजनीतिक परिवेश में कोलारस की सीट भी महल के लिए और सिंधिया के लिए आन की बात बनी हुई है।
इस गला काट प्रतियोगिता के चलते कोलारस का राजनैतिक
माहौल विल्कुल भूमिगत रहा ।
पूरे चुनावी वेला में मतदाता पूरी तरह शांत बना हुआ है।
अभी भी जनता कुछ भी कहने से बच रही है।
आगमी 11 दिसम्बर को चुनावी परिणाम आने को है पूरे मध्य्प्रदेश में जनता की नजर जितनी मध्य्प्रदेश की सरकार पर नही जितनी शिबपुरी और कोलारस की सीटों पर है।
मतदान से 2 दिन पूर्व इन सीटों पर राष्ट्रीय स्तर के फ़ोन कॉल से चुनाव का मैनेज होना हाइप्रोफाइल राजनीति का बातावरण बनाने में सफल रहा।
जो भी हो शिवपुरी-कोलारस विधानसभा सीटे पूरे मध्य्प्रदेश के नेताओं और भाजपा-कांग्रेस के बागियों के लिए राजनीति का केंद्र विंदु के रूप में देखी जा रही है।
उक्त दोनों सीटें ही महल के लिए बर्चस्व की सीटें हैं और आगमी राजनीति में महल के राजनैतिक भविष्य को तय करने वाली होंगी।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ