एंटी करप्शन न्यूज़
31 दिसंबर 2018
पवन भार्गव
विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और रतलाम के सांसद कांतिलाल भूरिया के अलावा दूसरी सीटों से इन चुनाव में कांग्रेस अपने बड़े नेताओं को मैदान में उतार सकती है, जिनमें विधानसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों के अलावा मोदी लहर में लोकसभा चुनाव हारे हुए उम्मीदवार शामिल हैं।
हालांकि प्रत्याशियों के नाम पर पार्टी का मंथन अभी प्रारंभिक स्तर की चर्चा में है। छिंदवाड़ा से सांसद कमलनाथ के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद इस सीट से उनके लिए विधानसभा सीट रिक्त करने वाले दीपक सक्सेना या कमलनाथ के पुत्र नकुल उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं।
विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस को हुए बड़े नुकसान को भरने के लिए इस बार वहां से हारे प्रत्याशी लोकसभा चुनाव मैदान में उतारे जा सकते हैं। इस क्षेत्र के तीन बड़े नाम विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह और पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी का लोकसभा में पुनर्वास किया जा सकता है।
सतना से जहां अजय सिंह 2014 की मोदी लहर में भी मात्र 8688 वोटों से हारे थे तो वहां से उनका दावा डॉ. सिंह और तिवारी से ज्यादा भारी है। वहीं सीधी से पूर्व मंत्री स्व. इंद्रजीत पटेल के निधन के बाद उनके स्थान पर अजय सिंह भी सतना में दूसरे दावेदार के उतारे जाने पर यहां से प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं।
रीवा से 2014 में लोकसभा चुनाव हारे सुंदरलाल तिवारी को फिर से प्रत्याशी बनाया जाता है तो सतना से डॉ. राजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। विंध्य की शहडोल लोकसभा सीट पर उप चुनाव हारी हिमाद्री सिंह के प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चाएं हैं।
लक्ष्मण सिंह का नाम चर्चा में
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