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पुलिस हर मामले को SC-ST ACT के तहत दर्ज ना करे: हाईकोर्ट | NATIONAL NEWS 25 DECEMBER 2018  इलाहाबाद। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह को निर्देश दिया है कि वह इस आशय का सर्कुलर जारी कर पुलिस को आदेश दें कि यदि आरोपों से एससी-एसटी ऐक्ट के तहत अपराध बनता न दिख रहा हो तो वह प्राथमिकी में इस एक्ट का उल्लेख न करें। इसके साथ ही कोर्ट ने मुजफ्फरनगर के चर्थवाल थाने में दर्ज प्राथमिकी के तहत याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।  कोर्ट ने शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर राज्य सरकार सहित विपक्षी से एक माह में याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी। यह आदेश जस्टिस बीके नारायण तथा जस्टिस एसके सिंह ने नीरज कुमार मिश्र और 3 अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि दंड संहिता की धाराओं के तहत अपराध में 7 साल से अधिक की सजा नहीं हो सकती। एससी-एसटी ऐक्ट की धारा 3(1) व 3 (2), (1) के तहत प्राथमिकी के आरोपों से कोई अपराध बनता ही नहीं है।   याची ने यह भी कहा कि इस ऐक्ट के तहत अपराध का कोई आरोप ही नहीं है। ऐसे में उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने तर्कों में बल मानते हुए विचारणीय माना और याचिका पर पुलिस हर मामले को SC-ST ACT के तहत दर्ज ना करे: हाईकोर्ट | NATIONAL NEWS 25 DECEMBER 2018  इलाहाबाद। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह को निर्देश दिया है कि वह इस आशय का सर्कुलर जारी कर पुलिस को आदेश दें कि यदि आरोपों से एससी-एसटी ऐक्ट के तहत अपराध बनता न दिख रहा हो तो वह प्राथमिकी में इस एक्ट का उल्लेख न करें। इसके साथ ही कोर्ट ने मुजफ्फरनगर के चर्थवाल थाने में दर्ज प्राथमिकी के तहत याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।  कोर्ट ने शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर राज्य सरकार सहित विपक्षी से एक माह में याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी। यह आदेश जस्टिस बीके नारायण तथा जस्टिस एसके सिंह ने नीरज कुमार मिश्र और 3 अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि दंड संहिता की धाराओं के तहत अपराध में 7 साल से अधिक की सजा नहीं हो सकती। एससी-एसटी ऐक्ट की धारा 3(1) व 3 (2), (1) के तहत प्राथमिकी के आरोपों से कोई अपराध बनता ही नहीं है।   याची ने यह भी कहा कि इस ऐक्ट के तहत अपराध का कोई आरोप ही नहीं है। ऐसे में उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने तर्कों में बल मानते हुए विचारणीय माना और याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है।  से जवाब मांगा है। 

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25 DECEMBER 2018



इलाहाबाद। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह को निर्देश दिया है कि वह इस आशय का सर्कुलर जारी कर पुलिस को आदेश दें कि यदि आरोपों से एससी-एसटी ऐक्ट के तहत अपराध बनता न दिख रहा हो तो वह प्राथमिकी में इस एक्ट का उल्लेख न करें। इसके साथ ही कोर्ट ने मुजफ्फरनगर के चर्थवाल थाने में दर्ज प्राथमिकी के तहत याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। 

कोर्ट ने शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर राज्य सरकार सहित विपक्षी से एक माह में याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी। यह आदेश जस्टिस बीके नारायण तथा जस्टिस एसके सिंह ने नीरज कुमार मिश्र और 3 अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि दंड संहिता की धाराओं के तहत अपराध में 7 साल से अधिक की सजा नहीं हो सकती। एससी-एसटी ऐक्ट की धारा 3(1) व 3 (2), (1) के तहत प्राथमिकी के आरोपों से कोई अपराध बनता ही नहीं है। 

याची ने यह भी कहा कि इस ऐक्ट के तहत अपराध का कोई आरोप ही नहीं है। ऐसे में उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने तर्कों में बल मानते हुए विचारणीय माना और याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है। 

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25 DECEMBER 2018



इलाहाबाद। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह को निर्देश दिया है कि वह इस आशय का सर्कुलर जारी कर पुलिस को आदेश दें कि यदि आरोपों से एससी-एसटी ऐक्ट के तहत अपराध बनता न दिख रहा हो तो वह प्राथमिकी में इस एक्ट का उल्लेख न करें। इसके साथ ही कोर्ट ने मुजफ्फरनगर के चर्थवाल थाने में दर्ज प्राथमिकी के तहत याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। 

कोर्ट ने शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर राज्य सरकार सहित विपक्षी से एक माह में याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी। यह आदेश जस्टिस बीके नारायण तथा जस्टिस एसके सिंह ने नीरज कुमार मिश्र और 3 अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि दंड संहिता की धाराओं के तहत अपराध में 7 साल से अधिक की सजा नहीं हो सकती। एससी-एसटी ऐक्ट की धारा 3(1) व 3 (2), (1) के तहत प्राथमिकी के आरोपों से कोई अपराध बनता ही नहीं है। 

याची ने यह भी कहा कि इस ऐक्ट के तहत अपराध का कोई आरोप ही नहीं है। ऐसे में उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने तर्कों में बल मानते हुए विचारणीय माना और याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है। 

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