शीत ऋतु में वायु में अत्यधिक नमी की कमी, कड़ाके की सर्दी एवं शाम के समय हवा के अचानक रूकने तथा भूमि के निकट का तापमान अत्यंत कम होने से रवी फसलों के तहत चना, मटर, मसूर, मिर्च, सरसों आदि की फसलें पाले से प्रभावित होने की संभावना है। पाले के प्रभाव से पत्तियां, फूल, मुरझाकर सूख जाती है, जिसके कारण उत्पादन प्रभावित होता है, अतः किसान भाई रवी फसलों को पाले से बचाने हेतु उक्त उपाय करें।
उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास श्री आर.एस.शाक्यवार ने बताया कि उत्तर पश्चित दिशा में जिस तरफ से हवा की दिशा हो, उस तरफ से खेत की मेड़ों पर 6-8 जगह घास-फूस जलाकर धुंआ करें, जिससे तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहे। फसल में पाले की संभावना को देखते हुए फसलों में हल्की सिंचाई स्पिंकलर आदि से अवश्य करें। थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें एवं 8 से 10 कि.ग्रा. सल्फर पाउडर का प्रति एकड़ भुरकाव करें। घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना भी पाले के लिए कारगर होता है।
उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास श्री आर.एस.शाक्यवार ने बताया कि उत्तर पश्चित दिशा में जिस तरफ से हवा की दिशा हो, उस तरफ से खेत की मेड़ों पर 6-8 जगह घास-फूस जलाकर धुंआ करें, जिससे तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहे। फसल में पाले की संभावना को देखते हुए फसलों में हल्की सिंचाई स्पिंकलर आदि से अवश्य करें। थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें एवं 8 से 10 कि.ग्रा. सल्फर पाउडर का प्रति एकड़ भुरकाव करें। घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना भी पाले के लिए कारगर होता है।
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