अग्रवाल समाज के संरक्षक के साथ भाजपा को भी झटका
श्रीगोपाल गुप्ता
मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र के हजारो वैश्य वर्ग के लोग आज मुरैना के मान-सरोवर मैरिज पैलेस में एकत्रित हुये। वे यहां मुरैना अग्रवाल महासभा के संरक्षक और अग्रवाल संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रमेश गर्ग के द्वारा लोकसभा चुनाव में जारी किये गये फतवे के खिलाफ भारी आक्रोशित थे।मुरैना के पोरसा से लेकर श्योपुर जिले के बड़ोदा तक के वैश्य समाज के विभिन्न घटकों के हजारों प्रतिनिधी मुरैना का तापमान 43 डिग्री रहने और आसमान से उगलती आग के बावजूद यहां कांग्रेस समर्थित वैश्य सम्मेलन में पहुंचे। उनमें इस बात का रोश था कि बिना उनकी बात सुने हुये कोई किसी को पूरे समाज का समर्थन देने की हामी कैसे भर सकता है? उल्लेखनीय है कि श्री रमेश गर्ग ने भाजपा से कांग्रेस में और बसपा में गलवाईयां करते हुये वापिस भारतीय जनता पार्टी की शरण ले ली है और प्रत्येक चुनाव की तरह इस मर्तबा भी भाजपा को जिताने का फरमान वैश्य समाज के लिए जारी कर दिया है। वैश्य समाज के प्रतिनिधियों का गुस्सा इस फरमान खिलाफ पत्रकार वार्ता में पत्रकारों के सामने फूट पड़ा। अग्रवाल महासभा के जिलाध्यक्ष राकेश गर्ग वरिष्ठ अभिभाषक ने पत्रकारों को संबोधित करते हुये कहा कि वैश्य वर्ग बुद्धिजीवियों का समाज है, उसे कोई फतवे के नाम पर बहला नहीं सकता, वो किसको वोट देगा? वो यह जानता है। सीनियर एडवोकेट श्री करन सिंह जैन ने कहा कि वैश्य समाज को अपने मताधिकार के लिए किसी ठेकेदार की जरुरत नहीं है। श्योपुर से आये श्री कन्हैया लाल मंगल ने केन्द्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि भाजपा की मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में वैश्य समाज और व्यापार करने वाले व्यापारी भाईयों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है। नोटबंदी जैसा बेवकूफी भरा कदम उठाकर मोदी ने अपनी अज्ञानता का परिचय तो दिया ही साथ में व्यापारियों का कत्ले-आम कर दिया। ऊपर से तृटीपुर्ण जीएसटी लागू करके व्यापार का दिवाला ही निकाल दिया। लोग सड़कों पर आ गये और उनका सामने परिवार भी चलाने का संकट खड़ा हो गया है।
मंगल ने कहा कि बावजूद इसके कोई कथित वैश्य समाज का नेता भाजपा को समर्थन देने फरमान जारी कर रहा है तो इसका मतलब है कि वो वैश्य समाज का ही नहीं है और यदि है भी तो उसने कुछ सौदेबाज़ी जरुर की होगी! वीरपुर से आये गल्ला व्यापारी प्रदीप बंसल का तो साफ कहना था कि हम व्यापारियों का खुला समर्थन इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार रामनिवास रावत के साथ है।इससे पहले हमने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवायी थी इस बार केन्द्र सरकार की बारी है। समझा जा रहा है कि यह सम्मेलन जिसमें दूर-दूर से वैश्य समाज के लोग एकत्रित हुये हैं, रमेश गर्ग के साथ-साथ भाजपा के लिये तगड़ा झटका है ,क्योंकि लगभग तीन दशक की राजनीतिक पारी में रमेश गर्ग के खिलाफ इतना बड़ा वैश्य सम्मेलन वो भी विरोध में संभवतः पहली मर्तबा आहूत हुआ है। अभी होता यह आया है कि गर्ग जिसको अपना समर्थन दे देते थे, उसके विरोध में कोई आवाज नहीं उठाता और यह मान लिया जाता था मुरैना-श्योपुर जिलों का वैश्य समाज गर्ग के दिये समर्थन के साथ है। मगर अब हालात दीगर हो गये हैं, पहले विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की किसी सीट से वैश्य प्रत्याशी को टिकट न दिये जाने के बाद गर्ग भाजपा से रुष्ट होकर कांग्रेस के साथ हो गये और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिताने का काम किया फिर लोकसभा चुनाव का टिकट कांग्रेस से मांगा न मिलने पर पुनः भाजपा की चौखट पर मत्था टेक दिया। उनके द्वारा जारी किये जाने वाले फतवे का अन्य कई बिरादरियों भी बहुत असर पढ़ता था और वो भी वैश्य समाज की तरह उसी पार्टी का समर्थन कर देती थी। मगर अब इस सम्मेलन के बाद साफ हो गया कि वैश्य समाज ही उनके साथ नहीं है तो अन्य कई बिरादरियों का साथ आने का सवाल ही गायब हो गया है। बहरहाल बड़-बोले और बिना सूझबूझ के अप्रिय कदम उठाने वाले गर्ग के लिए यह सम्मेलन उनकी लोकप्रियता की समाप्ती का ऐलान है जो वैश्य समाज के प्रतिनिधियों ने आज कर दिया।
श्रीगोपाल गुप्ता
मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र के हजारो वैश्य वर्ग के लोग आज मुरैना के मान-सरोवर मैरिज पैलेस में एकत्रित हुये। वे यहां मुरैना अग्रवाल महासभा के संरक्षक और अग्रवाल संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रमेश गर्ग के द्वारा लोकसभा चुनाव में जारी किये गये फतवे के खिलाफ भारी आक्रोशित थे।मुरैना के पोरसा से लेकर श्योपुर जिले के बड़ोदा तक के वैश्य समाज के विभिन्न घटकों के हजारों प्रतिनिधी मुरैना का तापमान 43 डिग्री रहने और आसमान से उगलती आग के बावजूद यहां कांग्रेस समर्थित वैश्य सम्मेलन में पहुंचे। उनमें इस बात का रोश था कि बिना उनकी बात सुने हुये कोई किसी को पूरे समाज का समर्थन देने की हामी कैसे भर सकता है? उल्लेखनीय है कि श्री रमेश गर्ग ने भाजपा से कांग्रेस में और बसपा में गलवाईयां करते हुये वापिस भारतीय जनता पार्टी की शरण ले ली है और प्रत्येक चुनाव की तरह इस मर्तबा भी भाजपा को जिताने का फरमान वैश्य समाज के लिए जारी कर दिया है। वैश्य समाज के प्रतिनिधियों का गुस्सा इस फरमान खिलाफ पत्रकार वार्ता में पत्रकारों के सामने फूट पड़ा। अग्रवाल महासभा के जिलाध्यक्ष राकेश गर्ग वरिष्ठ अभिभाषक ने पत्रकारों को संबोधित करते हुये कहा कि वैश्य वर्ग बुद्धिजीवियों का समाज है, उसे कोई फतवे के नाम पर बहला नहीं सकता, वो किसको वोट देगा? वो यह जानता है। सीनियर एडवोकेट श्री करन सिंह जैन ने कहा कि वैश्य समाज को अपने मताधिकार के लिए किसी ठेकेदार की जरुरत नहीं है। श्योपुर से आये श्री कन्हैया लाल मंगल ने केन्द्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि भाजपा की मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में वैश्य समाज और व्यापार करने वाले व्यापारी भाईयों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है। नोटबंदी जैसा बेवकूफी भरा कदम उठाकर मोदी ने अपनी अज्ञानता का परिचय तो दिया ही साथ में व्यापारियों का कत्ले-आम कर दिया। ऊपर से तृटीपुर्ण जीएसटी लागू करके व्यापार का दिवाला ही निकाल दिया। लोग सड़कों पर आ गये और उनका सामने परिवार भी चलाने का संकट खड़ा हो गया है।
मंगल ने कहा कि बावजूद इसके कोई कथित वैश्य समाज का नेता भाजपा को समर्थन देने फरमान जारी कर रहा है तो इसका मतलब है कि वो वैश्य समाज का ही नहीं है और यदि है भी तो उसने कुछ सौदेबाज़ी जरुर की होगी! वीरपुर से आये गल्ला व्यापारी प्रदीप बंसल का तो साफ कहना था कि हम व्यापारियों का खुला समर्थन इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार रामनिवास रावत के साथ है।इससे पहले हमने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवायी थी इस बार केन्द्र सरकार की बारी है। समझा जा रहा है कि यह सम्मेलन जिसमें दूर-दूर से वैश्य समाज के लोग एकत्रित हुये हैं, रमेश गर्ग के साथ-साथ भाजपा के लिये तगड़ा झटका है ,क्योंकि लगभग तीन दशक की राजनीतिक पारी में रमेश गर्ग के खिलाफ इतना बड़ा वैश्य सम्मेलन वो भी विरोध में संभवतः पहली मर्तबा आहूत हुआ है। अभी होता यह आया है कि गर्ग जिसको अपना समर्थन दे देते थे, उसके विरोध में कोई आवाज नहीं उठाता और यह मान लिया जाता था मुरैना-श्योपुर जिलों का वैश्य समाज गर्ग के दिये समर्थन के साथ है। मगर अब हालात दीगर हो गये हैं, पहले विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की किसी सीट से वैश्य प्रत्याशी को टिकट न दिये जाने के बाद गर्ग भाजपा से रुष्ट होकर कांग्रेस के साथ हो गये और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिताने का काम किया फिर लोकसभा चुनाव का टिकट कांग्रेस से मांगा न मिलने पर पुनः भाजपा की चौखट पर मत्था टेक दिया। उनके द्वारा जारी किये जाने वाले फतवे का अन्य कई बिरादरियों भी बहुत असर पढ़ता था और वो भी वैश्य समाज की तरह उसी पार्टी का समर्थन कर देती थी। मगर अब इस सम्मेलन के बाद साफ हो गया कि वैश्य समाज ही उनके साथ नहीं है तो अन्य कई बिरादरियों का साथ आने का सवाल ही गायब हो गया है। बहरहाल बड़-बोले और बिना सूझबूझ के अप्रिय कदम उठाने वाले गर्ग के लिए यह सम्मेलन उनकी लोकप्रियता की समाप्ती का ऐलान है जो वैश्य समाज के प्रतिनिधियों ने आज कर दिया।

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