"मोदी है तो मुमकिन है और देश झुकने नहीं, देश बिकने नहीं दूंगा" जैसे आकर्षण वाले नारों और राष्ट्र भक्त जैसे गैर जरुरी मुद्दे के और खुद के बल पर लोकसभा चुनाव -2019 जीतने का सपना देख रही भारतीय जनता पार्टी अब इन मुद्दों और नारों को छोड़कर धमकी पर उतर आई है। अब तक देश में चार चरण का चुनाव सपन्न हो गये हैं और जो खुफिया और सर्वे रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर पहुंची है, उससे यह तय हो गया है कि इससे भाजपा को कोई फायदा होने बजाय नुक्सान होता दिखाई दे रहा है। चूकी 'मोदी हैं तो मुमकिन है "नारा तो पहले चरण 11 अप्रैल को ही ढैर हो गया था ,इसलिये रातों-रात भाजपा अधिकृत बैवसाईड पर से ये नारा गायब हो गया था। तत्काल भाजपा के रणनीतिक कार नये तीर की तरह नया नारा लाये 'देश झुकने नहीं दूंगा, देश बिकने नहीं दूंगा'।मगर दूसरे, तीसरे और चौथे चरण की जो रिपोर्टें आई हैं वो भारत सरकार बनाने के लिए संसद के मुख्य द्वार उप्र को ही भाजपा के लिये बंद बता रही हैं। हालांकि भाजपा के कद्दावर नेता और देश के ग्रहमंत्री राजनाथ सिंह स्वयं स्वीकार कर चुके हैं कि उप्र में पार्टी को 20 से लेकर 25 सीट का नुक्सान हो सकता है? या हो रहा है। इसकी भरपाई के लिए उन्होने कहा कि इसके लिए पार्टी उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बहुमत से सबसे अधिक सीट ला रही है, उनका जौर पश्चिम बंगाल पर ज्यादा था।
मगर जब 29 अप्रैल को जब पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों में चौथे चरण के लिए मतदान जारी था। तभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसी पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर लोकसभा क्षेत्र में एक सभा को संबोधित करते यह कहकर सभी को सकते में डाल दिया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के 40 विधायक उनके सम्पर्क में हैं और आने वाली 23 मई को वे दीदी को छोड़कर भाजपा में शामिल हो जायेंगे। उनके इस बयान पर देश-विदेश की मीडिया और पत्रकार जो लोकसभा चुनाव को कवरेज कर रहे हैं आश्चर्य चकित रह गये की आखिर प्रधानमंत्री मुद्दों पर या अपने पांच साल के कामकाज पर वोट मांग रहे हैं? या फिर पूरे लोकतांत्रिक रुप से चुनी सरकार को अस्थिर करने की धमकी देकर वोट हथियाना चाहते हैं? मोदी द्वारा सरेआम लोकतंत्र को अंगूठा दिखाये जाने के दूसरे दिन ही उनकी कैबीनेट की मंत्री उमा भारती ने भोपाल में पार्टी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के प्रचार के दौरान ठीक मोदी स्टाइल कांग्रेस की अल्पमत की कमलनाथ सरकार को हड़काते हुये कहा कि कांग्रेस के छह विधायक हमारे सम्पर्क में हैं और 23 जनवरी को भाजपा की सरकार बनते ही ये विधायक कांग्रेस की सरकार को गिरा देंगे। हालांकि कर्नाटक में तो 12 म ई 2018 से कांग्रेस और जेडीएस की संयुक्त सरकार बनी है, तभी से भाजपा नेता यदुरप्पा जी पच्चीस दफा कह चुके हैं कि जिस हम चाहेंगे उसी इस सरकार को गिरा देंगे। संभवतः भारतीय लोकतंत्र में यह पहली दफा हो रहा है कि केन्द्र सत्तारुण पार्टी अपनी सरकार के नाम पर वोट न मांगते हुये विपक्ष की राज्यों चल रही सरकारों को गिराने के नाम पर वोट मांग रही है। हालांकि यह तो अब 23 मई को आम चुनाव के परिणाम आने के बाद ही मालूम पड़ेगा कि किस की सरकार आ रही है और किस राज्य मे किस पार्टी की सरकार गिर रही है। बहरहाल देश देख रहा है कि मुद्दों और नारों को छोड़कर सरकार के धमकी पर उतर आई है।
श्रीगोपाल गुप्ता

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