अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों को पर्ची पर लिखी जा रहीं बाजार की दवाइयांसामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोलारस में इलाज के लिए आए लोगों को अस्पताल से नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही...
पर्ची पर लिखी जा रहीं बाजार की दवाएं
ओपीडी में आने वाले मरीजों को अस्पताल से ही सारी जरूरी दवाइयां नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है, लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर ओपीडी के पर्चे पर दवाएं न लिखकर कागज की स्लिप पर दवाएं लिखकर बाजार की मेडिकल से मंगवाते हैं जहां पर कमीशन फिक्स होने की बातें सामने आई हैं। इतना ही नहीं अस्पताल में दवाओं का स्टॉक न हो, पर्याप्त दवाएं होने के बावजूद बाहर से मरीजों से दवाएं मंगाने का मामला दिन ब दिन तूल पकड़ता जा रहा है। कुछ दिन पूर्व ही विधायक वीरेंद्र रघुवंशी भी अस्पताल में जाकर नियमानुसार काम करने के निर्देश देकर आए थे और 19 जुलाई को ही सहायक संचालक ने निरीक्षण किया था। बावजूद इसके अस्पताल में मरीजों का शोषण थमने का नाम नहीं ले रहा है। इलाज कराने आए राजेश जाटव निवासी देहरदा गणेश एवं अनीता रजक निवासी लुकवासा ने बताया कि उन्हें ओपीडी का पर्चा होने के बाद भी सफेद पर्ची पर बाजार की दवाएं खरीदने को लिख दिया गया है।
पर्यापत मिली दवाएं फिर भी लिखी जा रही है बाजार की राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के सहायक संचालक द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोलारस का निरीक्षण किय गया था जिसमें सरकार द्वारा मरीजों को नि:शुल्क दिए जाने वाली 107 प्रकार की दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध मिली इसके बाद भी डॉक्टरों द्वारा निरीक्षण के दूसरे दिन ही मरीजों को बाहर की दवाइयां लिखी गई है। जिससे मरीज परेशान बने हुए हैं।
ओपीडी के पर्चे पर नहीं लिखते दवा: स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने आने वाले मरीज भले ही ओपीडी का पर्चा बनवा लेते हैं परंतु ओपीडी डाक्टर अधिकांशतः मरीजों को बिना जरूरत के बाहर की दवाइयां लिखते हैं। जिनकी अवश्यक्ता भी नहीं होती है। जबकि सारी जरूरी 107 प्रकार की दवाएं अस्पताल में उपलब्ध हैं। साथ ही डॉक्टरों द्वारा ओपीडी के पर्चे की जगह मरीजों को सादा सफेद स्लिप पर बाजार की दवाएं लिखीं जाती हैं
कोलारस अस्पताल में बाजार की दवाएं लिखी पर्ची दिखाता मरीज।
कमीशन के फेर में लिखी जा रही हैं बाहर की दवा
अस्पताल में नि:शुल्क दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद भी बाजार की दवाएं सादा स्लिप पर लिखने के पीछे कुछ डाॅक्टरों का कमीशन लालच भी हो सकता है। जानकारी तो यहां तक मिल रही है कि डॉक्टरों ने प्रत्येक मेडिकल संचालक से दवाओं पर कमीशन फिक्स कर लिया है। जिस पर 20 प्रतिशत कमीशन तक उपलब्ध कराया जाता है। जबकि संयुक्त संचालक की विजिट में स्टोर कीपर ने अस्पताल में सभी 107 जरूरी नि:शुल्क दवाओं का पर्याप्त स्टॉक होने की जानकारी मीडिया के सामने दी थी।
निरीक्षण की सूचना पर अस्पताल में हुई व्यवस्थाएं
मरीजों के शोषण को छुपाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने 19 जुलाई को हुए संयुक्त संचालक के निरीक्षण कार्यक्रम की पहले से ही सूचना मिल गई थी, जिससे सभी व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गईं। आमतौर पर 200 ओपीडी की संख्या वाले इस अस्पताल में 20 मरीज हमेशा भर्ती रहते हैं, लेकिन निरीक्षण से ठीक पहले एक भी मरीज भर्ती नहीं था। मरीजों को बाहर की दवाइयां लिखी जाती हैं। कही कोई मरीज पोल न खोल दे इसलिए अस्पताल को दौरे से पहले खाली करा लिया गया था।
बारह की लिखी दवा
जांच कराई जाएगी
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