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सीएम कमलनाथ ने की केंद्रीय मंत्री से मुलाकात, तो ऐसे बनी बात…

भोपाल. यह कमलनाथ के राजनीतिक अनुभव का नतीजा है या फिर कहे कि नरेंद्र मोदी 2.0 की न्यू इंडिया की इबारत. इंदौर भोपाल हाईवे निर्माण, विकास का इंजन बनेगा औऱ फायदा भी राज्य के लोगों को होगा. दो दिन पहले दो मंझे हुए राजनीति खिलाड़ियों की मुलाकात से अच्छा नतीजा निकला कि इंदौर भोपाल हाईवे निर्माण को लेकर सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने राज्य सरकार पर छोड़ दी. यह भी तय कमलनाथ को ही करना है कि निर्माण कार्य कब शुरू होगा और राज्य सरकार करेगी या केंद्र सरकार.
अभी तक की राजनीति में दो अलग अलग दलों की केंद्र और राज्य सरकारें ‘विकास’ के नाम पर भेदभाव का आरोप मढ़ती आ रही हैं. लेकिन कमलनाथ और केंद्रीय भूतल परिवहन नितिन गडकरी की मुलाकात ने केंद्र -राज्य सरकार के रिश्तों में आई कड़वाहट को जरूर कम किया है. इसका अंदाज इसी बात से लगता है कि खुद मुख्यमंत्री कहते हैं कि नितिन गडकरी से मुलाकात से संतुष्ट हैं और केंद्र ने गेंद हमारे पाले में डाल दी है. हाईवे निर्माण कार्य कब शुरू होगा और कौन करेगा यह भी राज्य सरकार को तय करना है. वहीं, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एक कदम आगे बढ़कर कहते हैं देश सब का, राजनीति से ऊपर उठकर सबका साथ सबका विकास की नीति पर केंद्र सरकार चल रही.
मध्य प्रदेश के लोग और आने वाला वक्त तय करेगा कि हाईवे निर्माण कमलनाथ के राजनीतिक अनुभव की देन है या केंद्र सरकार की नीतियों का परिणाम. कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ की रणनीति और अनुभव को श्रेय देती हैं. उन्होंने कहा UPA की सरकार में मंत्री रहे कमलनाथ ने कभी राज्यों के साथ भेदभाव नहीं किया. यही बात कमलनाथ भाजपा नेताओं को याद दिलाते हैं और अब बिना भेदभाव मध्य प्रदेश का विकास करने में मदद मांग रहे हैं. शोभा ओझा ने कहा कि नरेंद्र मोदी दूसरे कार्यकाल में बदले नहीं हैं, केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के किसानों का गेहूं नहीं खरीदा, यूरिया का कोटा कम कर दिया. यह सब देख रहे हैं, मगर कमलनाथ दबाव बनाना जानते हैं और काम करवाना जानते हैं. साथ ही केंद्र से कैसे अपने अधिकार लेने है. दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार सबका साथ सबका विकास की नीति पर चल रही है. केंद्र सरकार मध्य प्रदेश को बिना मांगे उसका हिस्सा दे रही है.हाईवे निर्माण में नितिन गडकरी का फैसला खुद साबित करता है कि केंद्र भेदभाव नहीं करता है.

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