जब भी हम एलियंस की बात करते हैं तो एक यही तस्वीर उभर कर हमारे सामने आती है।
कई बार लगता कई बार लगता है की यह तस्वीर किसी ने एलियन को देखकर ही बनाई होगी, पर सच यह है की यह तस्वीर 1892 में प्रकाशित किसी लेखक के किसी उपन्यास से ली गई है।
और दूसरी तरह से देखा जाए तो, यह तस्वीर पूरी तरह पृथ्वी के प्राणियों से प्रेरित लगती है। इसके दो आंख एक नाक दो कान एक मुँह है और जरूरी नहीं की एलियन प्रजाति हमारी तरह ही दिखती हो। वह सूक्ष्मजीव हो सकती है या हमारी तरह अत्यंत विकसित प्रजाति भी हो सकती है। तो यह चित्र तो सिरे से ही गलत है। अब आते हैं प्रश्न पर।
इस प्रश्न में 3 प्रश्न छुपे हुए हैं पहला क्या वाकई एलियन होते हैं ?दूसरा कि वह पृथ्वी पर आते हैं या नहीं? और यदि वह आते हैं तो यह बात आम लोगों को क्यों नहीं पता?
चलिए पता लगाते हैं। पहली बात क्या एलियंस होते हैं?
तो मेरा उत्तर है जी हां परग्रही हो भी हो सकते हैं, बिल्कुल हो सकते हैं।
19 के दशक में एक वैज्ञानिक थे, उन्होंने एक समीकरण (Drake Equation)दिया था।
जिसके अनुसार ब्रह्मांड में ऐसे एक नहीं करोड़ों ग्रह हैं, जिन पर जीवन की संभावना हो सकती है। उनके अनुसार ऐसी दूरी जो कि पृथ्वी से निकटतम जीवित ग्रह की हो सकती है। वह लगभग 120 प्रकाश वर्ष है।
जैसा कि हम जानते हैं (आइंस्टीन के अनुसार) कि कोई भी ऐसा पदार्थ जिसमें कुछ द्रव्यमान हो, उसका प्रकाश की गति से गति करना संभव नहीं है। अतः केवल प्रकाश ही प्रकाश की गति से दूरी तय कर सकता है। किसी भी द्रव्यमान वाली वस्तु के लिए यह असंभव है। क्योंकि उसकी गति बनाए रखने के लिए अनंत ऊर्जा की जरूरत होगी जो की व्यवहारिक नहीं है। यह बात बस बोलने में अच्छी लगती है।
चलिए दूसरी स्थिति पर विचार करें। अगर उस एलियन सभ्यता के पास ऐसा विमान है जो प्रकाश की गति से उड़ सकता है। तो भी उसे हमारी पृथ्वी तक आने में सैकड़ों साल लग जाएंगे। ध्यान दीजिए प्रकाश की गति तीन लाख किलो मीटर प्रति सेकंड होती है। पृथ्वी पर उपस्थित बुलेट ट्रेन भी सिर्फ 500–600 Km/hr से चलती है।
अगर वह इस गति से पृथ्वी पर आ भी गए तो उनके लिए समय विचलन बड़ी समस्या बन जाएगी।
जो भी मित्र आइंस्टीन को जानते हैं, उन्हें पता होगा कि जब भी कोई वस्तु प्रकाश की गति से या उससे ज्यादा की गति से यात्रा करती है, तो उसके लिए समय लगभग रुक सा जाता है। इसे ऐसे समझ सकते हैं मान लीजिए यान में गए व्यक्ति के लिए अभी मात्र 2 महीने ही गुजरे हैं। तो हो सकता है, उस स्थिति में हमारे लिए सैकड़ों सदियां गुजर जाए।
यह नियम हर जगह सत्य है। अगर कोई एलियन सभ्यता पृथ्वी पर आ भी जाए तो उसे लौट कर जाने में और घर पहुंचने में कम समय भी लगे पर इतने समय में उनका खुद का ग्रह सदियों आगे निकल चुका होगा। तो इतनो संख्या में एलियन यहां आने का खतरा क्यों उठाएंगे? अब अगर मैं आपसे कहूं कि चलो एक यात्रा पर चलते हैं, यात्रा से वापस सदियों बाद लौटेंगे, तो एलियंस तो छोड़िए कोई इंसान भी नहीं जाना चाहेगा।
एक अलग मत है कि एक गैलेक्सी से दूसरे गैलेक्सी की यात्रा वार्म होल या वार्प ड्राइव से संभव है। तो हां बिल्कुल संभव है लेकिन अभी की तकनीक के हिसाब से हमें खुद को वॉर्म होल या वार्प ड्राइव बनाने में सदियां लगेंगे। तो फिर इसे एलियन कहां से बना लेंगे?
चलिए मान लेते हैं उन्होंने बना लिया, इतने इंटेलिजेंट है कि उन्होंने वर्महोल तकनीक का उपयोग कर पृथ्वी पर आवागमन शुरू कर दिया है।
तो अभी तक ऐसी कौन सी बात है जिसने एलियन को विश्व के किसी भी देश की सरकार से संपर्क करने से रोक रखा है?? ऐसा कोई भी कारण नहीं नजर आता, जिसके कारण अभी तक वे छुपे हुए हैं, या सिर्फ अमेरिका में ही दिखाई देते हैं।
मुझे एक भी ऐसा कारण नहीं दिखाई देता जिसके कारण एलियन ने आज तक किसी भी देश की सरकार से संपर्क नहीं किया। जो सभ्यता सभ्यता वॉर्म होल बना सकती है, उसे किसी भी जीवित व्यक्ति से संपर्क करना कोई कठिन काम नहीं है। तो यह विचार भी सिरे से ही गलत है।
कई लोग यह मानते हैं अमेरिका के एरिया फिफ्टी वन में अमेरिकी सरकार ने एलियंस को छुपा के रखा है। चलिए मान लेते हैं नासा बहुत बड़ा संस्थान है और उसके पास अरबों रुपए हैं तो वह आराम से अपने लोगों का मुंह बंद रख सकती हैं। पर नासा के अलावा ऐसी कई और संस्थाएं भी हैं, जिनके पास ऐसा सामर्थ्य नहीं है कि वह अपने कर्मियों का मुंह बंद रख सकें, तो आज तक कभी ना कभी किसी ना किसी वैश्विक संस्था को कोई सबूत तो मिला होता। दोस्त छोड़िए अमेरिका के दुश्मन देशों ने भी ऑफिशल तौर पर कभी भी ऐसा दावा नहीं किया कि अमेरिका के पास एलियन है तो यह दावा भी दमदार नहीं लगता।
अब बात आती है कि कुछ लोगों के पास एलियन उड़न तश्तरी या ऐसे ही किसी चीज के वीडियोस हैं। जहां तक मुझे पता है आज के 5-जी के युग में हर किसी व्यक्ति के पास ऐसा स्मार्टफोन तो होता ही है, जो एक ढंग से वीडियो बना सके।
यूट्यूब खोल कर देख लीजिए एक भी क्लियर वीडियो नहीं मिलेगा। सारे के सारे वीडियो धुंधले होते हैं। ऐसा लगता है कि वे किसी पुरानी 0.3 मेगापिक्सेल के कैमरा से लिये गए हैं। ऐसा क्यों?? क्या आज तक एक भी स्मार्टफोन वाले व्यक्ति को उड़न तश्तरी नही दिखी??
अमेरिका में हर साल लगभग 500 शिकायतें उड़नतश्तरी देखने से संबंधित आती हैं। जबकि पूरे विश्व में कुल शिकायतें भी देखें तो अमेरिका के बराबर नहीं आती। और इस चीज के पीछे कोई लॉजिक नहीं है, कि कोई विकसित सभ्यता सिर्फ अमेरिका में ही दिखाई देती है और अमेरिका के साथ अपनी तकनीक बांटती है। अब मान भी लें कि वह अमेरिका के साथ वॉर्म होल, वार्प ड्राइव की तकनीक बांट रहे हैं तो फिर अमेरिका ने उनकी अति आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर किसी दूसरे ग्रह पर मानव को क्यों नहीं पहुंचाया? लाखों प्रकाश वर्ष दूर ग्रह तो छोड़िए आज तक हम मंगल पर भी किसी इंसान को नहीं उतर पाए तो यह बात भी बकवास लगती है।
आकाश में नजर आने वाली यह वस्तुएं कभी कभी कोई वेदर बलून यानी मौसम की निगरानी वाला गुब्बारा होती हैं,
कभी-कभी उल्काये हो सकती हैं
या कभी कभी कोई खुफिया तंत्र का ड्रोन।
तो संक्षिप्त में कहें तो एलियंस तो है, पर आज तक ऐसा कोई भी वैज्ञानिक सबूत नही है, जो यह कह सके कि वो पृथ्वी पर आते हैं।
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