दीपावली पर विभिन्न प्रकार के पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। पटाखों के ज्वलनशील एवं ध्वनि कारक होने के कारण परिवेषीय वायु में प्रदूषण तत्वों और ध्वनि स्तर में वृद्धि होकर पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके साथ-साथ पटाखों के जलने से उत्पन्न कागज के टुकडे और अधजली बारूद बच जाती है तथा इस कचरे के सम्पर्क में आने वाले पशुओं एवं बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका रहती है।
कलेक्टर श्रीमती अनुग्रहा पी ने आम जनता से अपील की है कि निर्धारित ध्वनि स्तर के पटाखों का ही उपयोग निर्धारित समय में एवं सीमित मात्रा में करें तथा पटाखों को जलाने के पश्चात उत्पन्न कचरे को घरेलू कचरे के साथ न रखें। पटाखों के जलाने से उत्पन्न कचरे को प्राकृतिक जल स्त्रोत, पेयजल स्त्रोत के समीप न फेका जाए, क्योंकि विस्फोटक सामग्री खतरनाक रसायनों से निर्मित होती है। पर्यावरण संरक्षण तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी नागरिकों का सहयोग की अपील की है
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