शिवपुरी. जिला अस्पताल की नवनिर्मित पांच मंजिला इमारत में आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं है। पुरानी बिल्डिंग में भी कई जगह ऐसी हैं जहां आग से बचाव के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। ज्ञात रहे कि शनिवार को जिला अस्पताल के लेबर रूम में आग लगने के बाद स्टाफ की सजगता से बड़ा हादसा टल गया। ऐसे में जिला अस्पताल में आग बुझाने के क्या इंतजाम हैं यह जानने पत्रिका ने रविवार को जिला अस्पताल के हालातों का जायजा लिया तो पाया कि अस्पताल में नवनिर्मित पांच मंजिला इमारत की किसी भी यूनिट में कोई फायर प्रूफ इक्यूपमेंट नजर नहीं आया। ऐसे में अस्पताल की पांच मंजिला इमारत में अगर कभी फॉल्ट या किसी अन्य कारण से आग लग जाती है तो वहां आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं है, जबकि इस इमारत में चौथी मंजिल पर ऑपरेशन थियेटर, क्रिटिकल केयर यूनिट, दूसरी मंजिल पर सर्जीकल वार्ड, पहली मंजिल पर आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट सहित नाक, कान, गला विभाग हैं। इसके अलावा ग्राउंड फ्लोर पर सभी एक्स-रे, सीटी स्कैन सहित कई डिपार्टमेंट्स की ओपीडी भी होती हैं। पुरानी बिल्डिंग में भी कई जगह ऐसी हैं जहां पर कोई फायर सिलेंडर या अन्य कोई आग बुझाने का उपकरण नजर नहीं आया।
पोस्ट नेटल वार्ड में नहीं कोई उपकरण
जिला अस्पताल की मेटरनिटी विंग के पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में तो सिलेंडर लगे हुए हैं लेकिन लेबर रूम के आस पास जहां कल सिलेण्डर होना बताया जा रहा था, वहां सिलेंडर लगे नहीं पाए गए। पोस्ट नेटल वार्ड में भी आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं थे और न ही यहां कोई सिलेण्डर मिला। हालांकि डायलेसिस यूनिट में सिलेण्डर लगा हुआ था, लेकिन डायलेसिस यूनिट में अगर कोई आगजनी की घटना घटित हो जाती है तो ऐसा कोई इमरजेंसी गेट नहीं है जहां से मरीजों को बाहर निकाला जा सके।
जिला अस्पताल की मेटरनिटी विंग के पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में तो सिलेंडर लगे हुए हैं लेकिन लेबर रूम के आस पास जहां कल सिलेण्डर होना बताया जा रहा था, वहां सिलेंडर लगे नहीं पाए गए। पोस्ट नेटल वार्ड में भी आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं थे और न ही यहां कोई सिलेण्डर मिला। हालांकि डायलेसिस यूनिट में सिलेण्डर लगा हुआ था, लेकिन डायलेसिस यूनिट में अगर कोई आगजनी की घटना घटित हो जाती है तो ऐसा कोई इमरजेंसी गेट नहीं है जहां से मरीजों को बाहर निकाला जा सके।
ट्रॉमा के आईसीयू में नहीं सिलेण्डर
जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में कोई सिलेण्डर नहीं मिला। इस आईसीयू में अगर कोई हादसा होता है तो स्टाफ को भाग कर ऑपरेशन थियेटर के बाहर लगे सिलेण्डर को लाना पड़ेगा या फिर कबाडख़ाने की तरफ लगे सिलेण्डर को लेकर आना पड़ेगा इसके अलावा इस इमारत में भी कहीं कोई सिलेण्डर नहीं लगा था। बात अगर मेडिकल वार्ड की करें इस विंग के मेल वार्ड में जहां सारे विद्युत कनेक्शन का सेंटर है वहां कोई सिलेण्डर नहीं है। जबकि यहां पूर्व के वर्षों में एक बार फाल्ट होने से आग लग चुकी है, जिसे बमुश्किल काबू किया गया था।
जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में कोई सिलेण्डर नहीं मिला। इस आईसीयू में अगर कोई हादसा होता है तो स्टाफ को भाग कर ऑपरेशन थियेटर के बाहर लगे सिलेण्डर को लाना पड़ेगा या फिर कबाडख़ाने की तरफ लगे सिलेण्डर को लेकर आना पड़ेगा इसके अलावा इस इमारत में भी कहीं कोई सिलेण्डर नहीं लगा था। बात अगर मेडिकल वार्ड की करें इस विंग के मेल वार्ड में जहां सारे विद्युत कनेक्शन का सेंटर है वहां कोई सिलेण्डर नहीं है। जबकि यहां पूर्व के वर्षों में एक बार फाल्ट होने से आग लग चुकी है, जिसे बमुश्किल काबू किया गया था।
एएनएम ट्रेनिंग सेंटर पूरी तरह से असुरक्षित
जिला अस्पताल परिसर में ही स्थित एएनएम टे्रनिंग में भी कोई फायर इक्यूमेंट अथवा फायर सिलेण्डर नहीं है। इस ट्रेनिंग सेंटर से बाहर निकलने का भी सिर्फ एक छोटा सा गेट है। यहां अगर कोई हादसा होता है और मुख्य द्वार से निकलना असंभव हुआ तो इस ट्रेनिंग सेंटर में रहने वाली स्टूडेंट्स को भागने का भी मौका नहीं मिल पाएगा। यहां बताना होगा कि इस ट्रेनिंग सेंटर के ऊपर ही एक ट्रेनिंग हॉल है जहां आए दिन विभाग की तमाम बड़ी मीटिंग होती रहती हैं। इस मीटिंग हॉल में जाने का भी सिर्फ एक ही रास्ता है, यानि वहां से भी बाहर निकलना नामुमकिन है।
जिला अस्पताल परिसर में ही स्थित एएनएम टे्रनिंग में भी कोई फायर इक्यूमेंट अथवा फायर सिलेण्डर नहीं है। इस ट्रेनिंग सेंटर से बाहर निकलने का भी सिर्फ एक छोटा सा गेट है। यहां अगर कोई हादसा होता है और मुख्य द्वार से निकलना असंभव हुआ तो इस ट्रेनिंग सेंटर में रहने वाली स्टूडेंट्स को भागने का भी मौका नहीं मिल पाएगा। यहां बताना होगा कि इस ट्रेनिंग सेंटर के ऊपर ही एक ट्रेनिंग हॉल है जहां आए दिन विभाग की तमाम बड़ी मीटिंग होती रहती हैं। इस मीटिंग हॉल में जाने का भी सिर्फ एक ही रास्ता है, यानि वहां से भी बाहर निकलना नामुमकिन है।
यह बात सही है कि नई बिल्डिंग में फायर इक्यूपमेंट नहीं हैं। इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारियों को विजिट के दौरान बता चुके हैं। इस विषय पर भी जल्द ही काम किया जाएगा।
डॉ केबी वर्मा, अस्पताल अधीक्षक मेडीकल कॉलेज
डॉ केबी वर्मा, अस्पताल अधीक्षक मेडीकल कॉलेज
वैसे तो सभी जगह पर फायर इक्यूपमेंट लगवा रखे हैं और बहुत से इक्यूपमेंट इस तरह से लगाए गए हैं कि उनका उपयोग दो विंग के बीच में भी किया जा सके। अगर इसके बाद भी कहीं कुछ कमी होगी तो रिव्यू करके कुछ नए सिलेण्डर वहां लगवाएंगे।
डॉ. एमएल अग्रवाल, सीएस जिला अस्पताल
डॉ. एमएल अग्रवाल, सीएस जिला अस्पताल
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