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आमदनी का नया फंडा : फ्लाईओवर के नीचे दुकान-ऑफिस बनाकर बेचेगी सरकार


भोपाल। तंगहाली से निपटने के लिए कमलनाथ सरकार ने आमदनी बढ़ाने नया फंडा निकाल लिया है। सरकार ने प्रदेश में फ्लाईओवर के नीचे खाली पड़ी जमीन पर अब दुकानें, ऑफिस और शॉपिंग जोन बनाकर बेचने का फैसला लिया है। फ्लाईओवर के नीचे यह कमर्शियल प्रॉपटी भी पीपीपी मोड़ पर बनाई जाएगी, ताकि सरकारी खजाने पर बोझ नहीं आए और उलटे फायदा हो। इससे आम लोगों को भी बड़ा फायदा ये होगा कि शहर के व्यस्ततम इलाकों का कमर्शियलय स्पेस बढ़ जाएगा।
दरअसल, कमलनाथ सरकार ने आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए बेकार पड़ी सरकारी जमीन के इस्तेमाल का रोडमैप तैयार किया है। इसके तहत यह प्लान बनाया गया है कि भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर सहित अन्य प्रमुख शहरों में जहां पर फ्लाईओवर है, वहां पर उनके नीचे खाली पड़ी जमीन को कमर्शियल जोन के रूप में विकसित किया जाए। इसमें कुछ इलाके बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि भोपाल-इंदौर में शहर के भीतर मौजूद फ्लाईओवर बेहद पॉश व कमर्शियल इलाकों में आते हैं। इन इलाकों में पहले से प्रॉपटी रेट काफी है। इसलिए इन इलाकों में निर्माण से सरकार को तगड़ा मुनाफा होगा।
मुंबई-आगरा की जमीन भी लीज पर देेंगे, मिलेंगे ७०० करोड़-
सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए दूसरे राज्यों में मौजूद मध्यप्रदेश के मालिकाना हक वाली जमीन को भी लीज पर देने का फैसला लिया है। अभी जमीन बेकार पड़ी होने से कोई उपयोग नहीं हो रहा है, उस पर उन जमीनों पर अतिक्रमण व आर्थिक गड़बड़ी के प्रकरण बढ़ रहे हैं। इस कारण मुंबई, आगरा, झांसी और इलाहबाद में करीब छह एकड़ जमीन को लीज पर देना तय किया गया है। इससे मोटे तौर पर ७०० करोड़ रुपए की आमदनी होने का अनुमान है।
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प्रमुख शहरों की जमीन बेचेंगे-
दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग ने भोपाल, जबलपुर और इंदौर में अपने अधिकार वाली बेकार पड़ी सरकारी जमीन को बेचने का फैसला भी कर लिया है। इसके तहत जमीन का ई-ऑक्शन किया जाएगा। इन जमीनों को कमर्शियल उपयोग के लिए दिया जाएगा, जिसके लिए सरकार निर्धारित प्रक्रिया पूरी कर अनुबंध करेगी। इसमें भोपाल में जवाहर चौक स्थित चौदह एकड इंदौर में पलासिाया के पास चार एकड़ और जबलपुर में सिविल लाइन के पास की जमीन निजी सेक्टर को दी जाएगी। इसके लिए तीन अफसरों की कमेटी भी बना दी है। इसमें एमपीआरडीसी के एमडी सुदाम खाड़े सहित अन्य दो अफसर शामिल हैं। इन तीन शहरों की जमीन करीब ४५० करोड़ रुपए की होने का अनुमान है, लेकिन इन्हें नीलाम करने पर ७०० करोड़ से ज्यादा की आमदनी होने का अनुमान है।
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हर शहर में देख रहे राजस्व मॉडल-
लोक निर्माण विभाग ने भोपाल, इंदौर व जबलपुर के अलावा अन्य शहरों में भी राजस्व की दृष्टि से मॉडल तैयार करने पर काम शुरू किया है। इसके तहत अन्य शहरों की सरकारी जमीन व लोक निर्माण विभाग के अधिकार की जमीन को देखा जा रहा है। इसके अलावा जिन स्टेट हाईवे को लोक निर्माण विभाग ने बनाया है, उनके महत्वपूर्ण पाइंट जंक्शन को भी बिजनेस मॉडल पर विकसित करने को विचार हो रहा है। अभी यह शुरूआत चरण में हैं, लेकिन उच्च स्तर पर राजस्व बढ़ाने के लिए अन्य रास्तों को तलाशने के लिए भी मंथन किया जा रहा है।

ये होगा फायदा-
- ब्रिज के नीचे दुकानें बनने से बेकार पड़ी जमीनों का उपयोग होगा
- शहर में बीचों-बीच ब्रिज होने से कमर्शियल स्पेस जल्द विकसित होगा
- जनता को कमर्शियल खरीदी के लिए पास में उत्पाद मिल पाएंगे
- सरकार को जमीन का राजस्व मिलेगा, साथ ही निर्माण भी निजी सेक्टर से हो जाएगा
- निजी सेक्टर के लिए जगह मुनाफेमंद रहेगी, कारोबार बढ़ेगा
नुकसान की ये आशंका-
- नीचे दुकानों से ब्रिज को क्षति पहुंचने की आशंका बढ़ेगी
- नीचे कमर्शियल स्पेस में दुर्घटना-आग की स्थिति में ब्रिज में टूट-फूट
- ब्रिज में कोई दरार या नुकसान होने से कमर्शियल स्पेस भी ध्वस्त होगा
- शहर के मास्टर प्लान व विकास मॉडल पर दुष्प्रभाव पड़ेगा
- बेतरतीब विकास को बढ़ावा मिलेगा, संबंधित इलाके पर आबादी का दबाव बढ़ेगा
इनका कहना-
प्रदेश में शहरों के भीतर मौजूद फ्लाईओवर के नीचे दुकानें व ऑफिस तैयार किए जाएंगे। वही दूसरे राज्यों के शहरों में मौजूद जमीन को भी लीज पर दिया जाएगा। इससे सरकार को राजस्व बढ़ेगा।
- आरके मेहरा, ईएनसी, लोक निर्माण विभाग, मप्र