भोपाल। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का मिशन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुरू किया है। इसलिए पहली बार २०२०-२१ की शैक्षिक कार्ययोजना को भोपाल में बैठकर बनाने की बजाए सूबे के हर गांव के हर स्कूल तक पहुंचकर तैयार किया जाएगा। कमलनाथ के एजुकेशन विजन २०२० के तहत इसका रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इसके तहत अफसरों की टीमें प्रदेश के हर गांव-तहसील के स्कूलों तक जाकर जानेगी कि स्कूल व शिक्षा की वास्तविक जरूरतें क्या हैं, इसके बाद ही शैक्षिक सत्र २०२०-२१ की वार्षिक कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इस बार शिक्षा का बजट भी इसी आकलन के आधार पर तैयार किया जाएगा।
दरअसल, सीएम कमलनाथ के शैक्षिक सुधार के एजेंडे के तहत पहली बार इस प्रकार शैक्षक कार्ययोजना बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत जिला, विकासखंड और तहसील स्तर पर स्पेशल टीमें गठित करने के लिए कह दिया गया है। यह टीमें गांव-गांव तक जाकर सरकारी स्कूलों की हालत जानकर वार्षिक शैक्षिक कार्ययोजना के लिए सुझाव लेंगी। फिर इन सुझावों के आधार पर पहले विकासखंड, फिर जिला और उसके बार राज्य स्तर पर रिपोर्ट तैयार होगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य स्तरीय कमेटी शैक्षिक कार्ययोजना को फायनल करेगी।
हल की जाएंगी मैदानी दिक्कतें-
विशेष टीमों के आकलन के बाद स्कूलों की मैदानी दिक्कतों को भी दूर किया जाएगा। साथ ही इन दिक्कतों के हिसाब से पूरे साल की कार्ययोजना व शेड्यूल तय होंगे। इस बार बड़ी संख्या में शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया गया है, इसलिए इस हिसाब से भी कार्ययोजना को अपडेट किया जाएगा।
योजनाओं का भी होगा आकलन-
इस बार शिक्षा विभाग ने अपनी विभिन्न योजनाओं का भी आकलन करना तय किया है। इसके तहत अगले सत्र में योजनाओं की परफार्मेंस के हिसाब से शेड्यूल निर्धारित किए जाएंगे। इसके अलावा बजट आवंटन भी योजनाओं के परफार्मेंस के हिसाब से होगा।
भोपाल से बन जाती थी कार्ययोजना-
अभी तक भोपाल स्तर पर ही आला अफसर कार्ययोजना को तैयार कर लेते थे। इसमें जिला स्तर पर अफसरों के सुझाव जरूर लिए जाते थे, लेकिन स्कूलों तक नहीं पहुंचा जाता था। राज्य स्तर पर कार्ययोजना बनने के बाद उसे क्रियान्वयन के लिए स्कूलोंं में भेजा जाता था। सरकार का मानना है कि इसी कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ा है। इसलिए इस बार मैदानी जरूरतों के हिसाब से कार्ययोजना बनाना तय किया गया है।
इनका कहना-
शिक्षा सत्र २०२०-२१ की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसमें सुझाव भी लिए जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारा जाए। सरकारी स्कूलों का जो ढांचा पिछले पंद्रह सालों में कमजोर हुआ है, उसे वापस मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- प्रभुराम चौधरी, मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग, मप्र