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ऑपरेशन में आतंकियों को मार गिराने पर मिला कीर्तिचक्र


एनसीसी ग्रुप हेडक्वार्टर में कमांडिंग ऑफिसर हैं जोगिंदर
एसएएफ ग्राउंड में युवाओं को दे रहे आर्मी की ट्रेनिंग
राष्ट्रपति द्वारा कीर्तिचक्र से सम्मानित हो चुके 15 एमपी बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल जोगिंदर सिंह तंवर इन दिनों अपनी ड्यूटी से अलग युवाओं को एसएएफ ग्राउंड में आर्मी के लिए ट्रेंड कर रहे हैं। वह उन्हें नि:शुल्क ट्रेनिंग देते हैं। उनका उद्देश्य युवाओं को अधिक से अधिक सेना में भर्ती कराना है। वह शहर एवं बाहर कॉलेजेस में भी पहुंचकर युवाओं को आर्मी की खासियत एवं भर्ती होने के तरीके बताते हैं।
ट्रेनिंग पा चुके 50 युवा सेना में भर्ती
युद्ध के दौरान गोली लगने पर अपनी एक उंगली गंवा चुके कर्नल तंवर के द्वारा सिखाए गए 50 से अधिक युवा इन दिनों आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सेवाएं दे रहे हैं। तंवर एनसीसी ग्रुप हेडक्वार्टर में कमांडिंग ऑफिसर के पद पर पदस्थ हैं। 54 साल के होने के बाद भी जेएस तंवर पर एनर्जी लवेल बराबर बरकरार है। वह युवाओं को भी फिट रहने का राज अधिक से अधिक मेहनत करना बताते हैं।

50 आतंकियों ने किया था पोस्ट पर हमला
वर्ष 1999 में मेजर जेएस तंवर हरियाणा के मानेसर में राष्ट्रीय सुरक्षा अनुदेशक के पर पदस्थ थे। प्रशासनिक रूचि पर उनको 32 राष्ट्रीय राइफल्स कुपवाड़ा भेजा गया, जो विषम परिस्थितियों में था। कुछ ही समय बाद से आतंकवाद व अपहरणकर्ताओं के विरुद्ध लडऩे के लिए भेजा गया। अल्फा कंपनी का कमांडर होने पर चकनुटूस गांव से आदेश मिला कि वह अपनी कम्पनी के साथ कालारूच गांव की ओर कूच करें। जब वह कम्पनी के साथ जा रहे थे, तब 50 आतंकवादियों ने पोस्ट पर हमला कर दिया, जिससे कि कई सैनिक घायल हो गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत न हारते हुए मोर्चा संभाला।
अगले ही पल मार गिराए 4 आतंकी
कर्नल तंवर की कर्तव्यपरायणता को देखते हुए कमांडिंग अफसर ने उनकी कम्पनी को बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाने की योजना बनाई। रंगत जंगल में आतंकवादियों की खोज बीन शुरू की। तंवर की छह जवानों की टोली सर्चिंग खत्म कर एक जगह बैठी ही थी कि उन पर हमला हो गया और एक गोली तंवर के हाथ में लगी। इस पर अगले ही पल उन्होंने सामने चार आतंकियों को मार गिराया। कुछ ही समय में वह होश खो चुके थे। इस पर उन्हें राष्ट्रपति द्वारा कीर्तिचक्र से सम्मानित किया गया।
ऑपरेशन पराक्रम में भी निभाई भूमिका
कर्नल तंवर ने ऑपरेशन पराक्रम में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 8 बारूदी सुरंग लगाईं और लड़ाई के बाद वापस निकालीं। बेहतर परफॉर्मेंस को देखते हुए सीईओ बनाया गया।

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