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एकतरफा शर्तों पर दूध वाहनों में लगाया GPS, अनुबंध में दूध संघ के अफसरों के साइन तक नहीं


भोपाल. क्राइम ब्रांच की कार्रवाई में मिलावटी दूध से भरा टैंकर पकड़ में आने के बाद एक और धांधली सामने आई है। दूध परिवहन करने वाले वाहनों और टैंकरों की ट्रैकिंग के लिए पांच दिसंबर 2015 को जीपीएस तो लगाया गया, लेकिन आज तक इस सिस्टम की समीक्षा नहीं की गई।
खास बात है कि अनुबंध पर भोपाल दुग्ध संघ के अधिकारियों के हस्ताक्षर तक नहीं हैं। चंडीगढ़ की हाईटेक पॉइंट टेक्नोलॉजी प्रालि. को टैंकरों में जीपीएस लगाने का काम दिया गया था। इसी बीच कंपनी ने नाम बदलकर ब्लैक बॉक्स कंपनी कर लिया।
अफसरों ने इसकी परवाह नहीं की। इंदौर दुग्ध संघ ने जीपीएस टै्रकिंग सिस्टम लगाने के लिए जुलाई 2015 में टेंडर निकाला था और हाईटेक पॉइंट टेक्नोलॉजी प्रालि. को उसकी मनमाफिक शर्तों पर काम दे दिया। इसके बाद भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और बुंदेलखंड दुग्ध संघों ने भी कंपनी को इंदौर दुग्ध संघ की तर्ज पर काम दिया। किसी ने भी अनुबंध शर्तों को नहीं पढ़ा।
शर्त के मुताबिक यदि दुग्ध संघों और कंपनी के बीच विवाद होता है तो उसका केस चंडीगढ़ कोर्ट में चलेगा। कंपनी ने प्रदेश में काम करने के बाद भी यहां कार्यालय नहीं बनाया है। इसी तरह की खामियों के साथ कंपनी चार साल से जीपीएस का काम कर रही थी। टैंकर चालकों और टैंकर माफियाओं द्वारा जीपीएस से छेड़छाड़ करने पर इसकी इसकी सूचना अधिकारियों को नहीं दी जाती थी। नतीजतन दूध वाहनों से दूध की चोरी, मिलावट के मामले बढ़ गए।
महासंघ ने मांगी एक साल की रिपोर्ट
मामला उजागर होने के बाद दुग्ध महासंघ ने सभी संघों को टेंडर निरस्त कर नए सिरे से टेंडर करने के निर्देश दिए हैं। महासंघ को जानकारी मिली है कि ब्लैक बॉक्स कंपनी के तकनीशियनों ने टैंकरों चालकों से साठगांठ की है। इसके कारण जीपीएस में खराबी या बंद होने की सूचना समय पर नहीं दी जाती थी। इसी का फायदा उठाकर टैंकरों में मिलावट की गई। अब महासंघ ने एक साल की जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम की रिपोर्ट तलब की है।
शर्तें ऐसी जो संघ के पक्ष में नहीं हैं
-कंपनी यदि ठीक से काम नहीं करती है तो किसी तरह की आर्थिक सजा या अन्य सजा का प्रावधान अनुबंध में नहीं किया गया।
-विवाद की स्थिति में केस चंडीगढ़ कोर्ट में चलेगा। कंपनी का ऑफिस चंडीगढ़ में है, जबकि काम मध्यप्रदेश में दिया गया है।
-कंपनी का मप्र में फुल टाइम दफ्तर, कंट्रोल रूम या सर्विस सेंटर बनाने का प्रावधान था, लेकिन कंपनी ने इसका पालन नहीं किया।
-जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम में खराबी होने पर समय रहते मेन्टेनेंस नहीं किया गया।
टेंडर निरस्त करने की कार्रवाई शुरू की है। नए टेंडर किए जाएंगे। जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम की एक साल की रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। - शमीमउद्दीन, एमडी, मप्र दुग्ध महासंघ

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