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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश अध्यक्ष पद की दावेदारी छोड़ी, बोल: मुझे कुर्सी का मोह नहीं

'Example Of Bravery': Jyotiraditya Scindia Backs Deepika Padukone On JNU
 लॉबिंग, दबाव और हड़ताल पर जाने के बाद भी जब प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी नहीं मिली तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने बयान बदल दिए। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आए कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि उन्हें कुर्सी का कोई मोह नहीं। मैं तो बस जनता की सेवा करने के लिए राजनीति में हूं। इसी के साथ पिछले 6 महीने से चल रहे एक घटनाक्रम का अंत हो गया

मैंने 18 साल में कोई पद नहीं मांगा

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिए जाने और राज्यसभा भेजे जाने के लिए चल रही अटकलों के बीच रविवार को भोपाल में साफ कर दिया कि वे किसी पद के पीछे नहीं हैं। एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि मैंने बीते 18 साल में कोई पद नहीं मांगा, अब क्यों मांगूंगा। कुर्सी का मुझे कभी मोह नहीं रहा। राजनीति मेरे लिए जनता की सेवा का माध्यम रहा है जिसे में आम कार्यकर्ता के रूप में करता रहूंगा। पार्टी जो जिम्मेदारी सौंपेगी उसका निर्वहन करूंगा। सिंधिया रविवार को यहां कांग्रेस सेवादल के कार्यक्रम में भाग लेने भोपाल आए थे

इस्तीफे तक पहुंच गई थी प्रदेश अध्यक्ष पद की लड़ाई 

बता दें कि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश अध्यक्ष पद को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था जबकि दिग्विजय सिंह उनके खिलाफ मैदान में उतर आए थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोनिया गांधी से मुलाकात करके नियुक्ति की प्रक्रिया को ही टाल दिया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया नियुक्ति ना होने से इस कदर नाराज हुए उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ संवाद तक बंद कर दिया था। उन्होंने कांग्रेस से रिश्ता तोड़ लिया था। अपने लेटर हेड और सोशल मीडिया इत्यादि से कांग्रेस का नाम हटा दिया था। कुल मिलाकर वह बार-बार संकेत दे रहे थे कि वह बेहद गुस्से में हैं और इस्तीफा दे सकते हैं।

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