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मप्र के बालक और उप्र की बालिकाओं ने जीता खिताब । shivpuri news


शिवपुरी. शहर के हैपीडेज स्कूल में खेली गई 65वीं अंडर-14 बालक-बालिका नेशनल हैंडबॉल प्रतियोगिता के फायनल मुकाबले गुरुवार को हुए। इन मुकाबलों के दौरान कांटे की टक्कर के बीच मप्र ने दिल्ली को हराकर तो उप्र की लड़कियों ने बिहार को हराकर खिताबी जीत हासिल की।
फायनल मैच के पूर्व गुरुवार को आसमान पूरी तरह से साफ था और सर्दी भी और दिनों की अपेक्षा काफी कम थी, इसलिए मैच निर्धारित समय पर शुरू हुए। बालिका वर्ग का मैच उप्र और बिहार के बीच खेला गया। इस दौरान उप्र की लड़कियां जहां लगतार अटैक कर रही थीं तो बिहार की लड़कियों का डिफेंस भी देखने लायक रहा। आखिर कर मैच 9-9 की बराबरी पर खत्म हुआ। खेल के लिए दिए गए अतिरिक्त समय में उप्र ने 5 गोल दागे तो बिहार ने 3 गोल। इस तहर उप्र ने आखिरकार यह मुकाबला 14-12 से अपने नाम कर लिया। फायनल मुकाबले में उप्र की तरफ से सोम्या ने 5 तो कनिष्का ने 4 गोल दाग कर टीम की जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बिहार की तरफ से सोनाली के 4 और अंजली के 3 गोल ने पूरे मैच के दौरान बिहार की पकड़ को ढीला नहीं होने दिया। बालक वर्ग का मुकाबला मप्र और दिल्ली के बीच खेला गया। इस मैच में दोनों ही टीमों के खिलाडिय़ों और कोच की रणनीती देखने लायक थी। जब मौका अटैक करने का आया तो दोनों ही टीमों ने जोरदार अटैक किया और आवश्यकता पडऩे पर डिफेंस में भी कोई टीम पीछे नहीं रही। दिल्ली का डिफेंस काबिले तारीफ रहा। मैच का समय पूरा होने पर मप्र की टीम 19 के स्कोर पर थी और दिल्ली की 17 के स्कोर पर। आखिरकार मैच मप्र के नाम हुआ।
गुजरात की लड़कियों ने जीता हार्ड लाइन मैच
तीसरे स्थान के लिए बालिका वर्ग में हार्ड लाइन मैच हरियाणा और गुजरात के बीच खेला गया। इस मैच में भी दोनों ही टीमों के बीच जोरदार टक्कर हुई। आखिरकार गुजरात ने यह मैच 23-20 के स्कोर से जीत लिया और तीसरा स्थान हासिल किया। बालक वर्ग में हार्ड लाइन विद्याभारती व बिहार के बीच खेला गया। यह मैच विद्याभारती ने 26-24 से अपने नाम किया। इस तरह से बालिका वर्ग में गुजरात व बालक वर्ग में विद्याभारती की टीम तीसरे नंबर पर रहीं।
दो भाइयों ने लिखी जीत की पटकथा
बात अगर मप्र को राष्ट्रीय विजेता बनाने वाले खिलाडिय़ों की करें तो पूरे टूर्नामेंट में सूरज और रणधीर ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने फायनल मैच में तो मप्र के कुल 19 गोलों में से 11 गोल दागे ही थे। इसके अलावा भी इन दोनों भाइयों का प्रदर्शन पूरे टूर्नामेंट में लाजबाब रहा। अगर पोहरी क्षेत्र के रहने वाले दो भाई सूरज राजभर और रणधीर राजभर न होते तो शायद आज रिजल्ट कुछ और होते।
राजे के प्रयासों ने बदली मप्र की दिशा और दशा
समापन कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि करैरा विधायक जसमंत जाटव ने खुले मंच से स्वीकार किया कि खेल के क्षेत्र में मप्र ने जितनी ऊंचाईयां हासिल की हैं, उसमें पूर्व खेल मंत्री और शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया के अथक प्रयास हैं। जसमंत जाटव ने कहा कि जब उन्हें खेल मंत्री बनाया गया था तब कोई भी खेल मंत्रालय लेने तैयार नहीं होता था, और खेल बजट सिर्फ 40 से 50 करोड़ रूपए होता था। अब इस मंत्रालय का बजट सैकड़ों करोड़ रुपए है और मप्र के खिलाडी न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पदक जीत रहे हैं। उन्होंने इस अवसर पर मप्र के वर्तमान खेल मंत्री जीतू पटवारी की भी तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने जिला और प्रदेश स्तर पर प्रतिभाओं को निखारने का काम किया है।