शिवपुरी. जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चारों खाने चित्त हैं। एक ओर जहां डॉक्टर वैकल्पिक दवाओं के सहारे मरीजों का इलाज कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लेबोरेट्री में मरीजों की जांच उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। यहां इलाज की चाह में आने वाले मरीजों को सीबीसी व कल्चर जैसी महंगी जांचें बाजार में कराना पड़ रही हैं। कई गरीब मरीज तो पैसों के अभाव में इन जांचों को करा ही नहीं पा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि शासन ने जिला अस्पताल में लगभग सभी प्रकार की लेबोरेट्री जांचें नि:शुल्क मुहैया करा रखी हैं, परंतु हालात यह हैं कि 15 दिन से अधिक समय से जिला अस्पताल की लेबोरेट्री में न तो सीबीसी जैसी महत्वपूर्ण जांच हो रही है और न ही कल्चर संबंधी जांचें। दर्जनों मरीजों द्वारा हर रोज यह जांचें बाजार से करानी पड़ रही हैं। इस संबंध में जब पत्रिका ने पड़ताल शुरू की तो पता चला कि जिला अस्पताल में सीबीसी की जांच में उपयोग किए जाने वाला रियजेन्ट खत्म हो चुका है, जिसके कारण यह जांच नहीं की जा रही है। इसके अलावा कल्चर जांच न होने की संबंध में जानकारी जुटाई तो पता चला कि फ्रिज खराब होने के कारण यह जांच नहीं हो पा रही है, क्योंकि विशेषज्ञों द्वारा जो टेस्ट लगाए जाते हैं उनके लिए चार डिग्री तक का टेम्प्रेचर सेट करना होता है, फ्रिज खराब है इसलिए ऐसा नहीं हो पा रहा है।
क्यों होती है कल्चर व सीबीसी जांच
कल्चर जांच लगभग दर्जनभर प्रकार की होती हैं, जिनमें यूरिन कल्चर, पस कल्चर, थ्रोटसोप कल्चर, ब्लड कल्चर, स्पूटम कल्चर आदि जांचें होती हैं। यह जांच डॉक्टर उस समय करवाते हैं, जब मरीज को किसी दवा से फायदा नहीं होता है। कल्चर जांच से बीमारी के कीटाणु का पता चल जाता है और डॉक्टर यह तय कर पाता है मरीज को कौन सी दवा दी जानी चाहिए, ताकि मरीज की बीमारी सही हो सके। बाजार में कल्चर जांच के 400 से 500 रुपए लिए जाते हैं। वहीं सीबीसी टेस्ट से हमारे खून में कोशिकाओं विशेष रूप से लाल रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट्स, श्वेत रक्त कोशिकाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। इससे एनीमिया, इंफेक्शन या ल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है। इससे भी डॉक्टर यह तय कर पाता है कि मरीज को किस प्रकार की दवाएं देना है। बाजार में सीबीसी जांच के 120 से 150 रूपए लिए जाते हैं। बात अगर जिला अस्पताल में होने वाली जांचों की करें तो यहां हर रोज औसतन दर्जनभर से अधिक कल्चर जांच लिखी जाती हैं, वहीं दूसरी ओर ओर लगभग दो दर्जन से अधिक सीबीसी जांच लिखी जाती हैं। जो लोग बाजार से इन जांचों को नहीं कराते हैं, उनका इलाज नीम हकीम खतरे में जान की तर्ज पर चलता रहता है और उसे लंबे समय तक उपचार होने के बाद भी लाभ नहीं मिल पाता है।
कल्चर जांच लगभग दर्जनभर प्रकार की होती हैं, जिनमें यूरिन कल्चर, पस कल्चर, थ्रोटसोप कल्चर, ब्लड कल्चर, स्पूटम कल्चर आदि जांचें होती हैं। यह जांच डॉक्टर उस समय करवाते हैं, जब मरीज को किसी दवा से फायदा नहीं होता है। कल्चर जांच से बीमारी के कीटाणु का पता चल जाता है और डॉक्टर यह तय कर पाता है मरीज को कौन सी दवा दी जानी चाहिए, ताकि मरीज की बीमारी सही हो सके। बाजार में कल्चर जांच के 400 से 500 रुपए लिए जाते हैं। वहीं सीबीसी टेस्ट से हमारे खून में कोशिकाओं विशेष रूप से लाल रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट्स, श्वेत रक्त कोशिकाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। इससे एनीमिया, इंफेक्शन या ल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है। इससे भी डॉक्टर यह तय कर पाता है कि मरीज को किस प्रकार की दवाएं देना है। बाजार में सीबीसी जांच के 120 से 150 रूपए लिए जाते हैं। बात अगर जिला अस्पताल में होने वाली जांचों की करें तो यहां हर रोज औसतन दर्जनभर से अधिक कल्चर जांच लिखी जाती हैं, वहीं दूसरी ओर ओर लगभग दो दर्जन से अधिक सीबीसी जांच लिखी जाती हैं। जो लोग बाजार से इन जांचों को नहीं कराते हैं, उनका इलाज नीम हकीम खतरे में जान की तर्ज पर चलता रहता है और उसे लंबे समय तक उपचार होने के बाद भी लाभ नहीं मिल पाता है।
नहीं हो रही
कल्चर की जांच
डॉक्टरों ने मेरी बेटी परी की दो जांचें लिखी थीं। एक जांच तो हो गई लेकिन यूरिन कल्चर की जांच नहीं हुई है। जांच करने वालों ने मना कर दी है कि यह जांच यहां नहीं हो सकती, बाजार में करा लो।
जितेंद्र सिंह, मरीज का पिता
कल्चर की जांच
डॉक्टरों ने मेरी बेटी परी की दो जांचें लिखी थीं। एक जांच तो हो गई लेकिन यूरिन कल्चर की जांच नहीं हुई है। जांच करने वालों ने मना कर दी है कि यह जांच यहां नहीं हो सकती, बाजार में करा लो।
जितेंद्र सिंह, मरीज का पिता
बाजार में कराई जांच
डॉक्टर ने सीबीसी की जांच लिखी थी परंतु जब मैं जांच कराने के लिए पहुंची तो बताया गया कि सीबीसी की जांच अस्पताल में नहीं हो पाएगी, कहीं अन्य करा लीजिए। इसके बाद हमने बाजार में जांच कराई।
राधिका शर्मा, मरीज
पता करवाते हैं क्यों नहीं हो रही जांच
हमारे पास सिर्फ इमरजेंसी स्टॉक है, जिसका उपयोग हम आईपीडी के मरीजों के लिए कर रहे हैं। ओपीडी के मरीजों को यह सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हम आज ही ऑर्डर कर रहे हैं। कल्चर जांच नहीं होने की जानकारी मुझे नहीं है, मैं पता करवाता हूं।
डॉ एमएल अग्रवाल, सिविल सर्जन जिला अस्पताल
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