मध्य प्रदेश में एक दिन पहले तक माना जा रहा था कि सीएम कमलनाथ अपनी सरकार बचाने में कामयाब हो गए हैं लेकिन गुरुवार रात को पासा पलट गया। कांग्रेस के एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया। उधर, बीजेपी की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं
भोपालमध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच जारी विधायकों की खरीद-फरोख्त गुरुवार रात को सियासी युद्ध में तब्दील हो गई। शाम को कांग्रेस के एक 'लापता' विधायक ने इस्तीफा दे दिया। इसके ठीक बाद बीजेपी के दो विधायक सीएम कमलनाथ के सरकारी आवास पहुंच गए। इस वार-पलटवार से अब दोनों ही दलों की टेंशन काफी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि आज कांग्रेस के कुछ और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं।गुरुवार रात 8 बजे सत्तारूढ़ कांग्रेस के 4 'लापता' विधायकों में शामिल हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस ने भी पलटवार किया। बीजेपी के बागी विधायक नारायण त्रिपाठी सीएम कमलनाथ के घर पहुंच गए। त्रिपाठी ने इसके बाद स्पीकर से भी मुलाकात की। पहले ऐसी अफवाह थी कि बीजेपी विधायक ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन उन्होंने कहा कि अपने 'विधानसभा क्षेत्र के विकास' के लिए उन्होंने सीएम से मुलाकात की है।
बीजेपी विधायक सीएम आवास में देखे गए
ऐसी अटकलें हैं कि एक या दो और बीजेपी विधायक सीएम आवास में देखे गए हैं। रात को करीब 1 बजे बीजेपी विधायक संजय पाठक को सीएम आवास से निकलते देखे गए। त्रिपाठी के सीएम आवास पहुंचने से पहले राज्य सरकार में मंत्री गोविंद सिंह ने घोषणा की कि दो बीजेपी विधायक रात में कांग्रेस जॉइन करेंगे। इसके बाद ऐसी अटकलें शुरू हो गईं कि बीजेपी विधायक शरद कोल दूसरे विधायक हो सकते हैं लेकिन वह सीएम आवास में नहीं देखे गए।
सूत्रों के मुताबिक ठीक इसी समय बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र सिंह तोमर नई दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करते देखे गए। देर रात तक कांग्रेस के दो 'लापता' विधायकों बिसाहूलाल सिंह और रघुराज सिंह कंसाना और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की ओर से चुप्पी छाई रही। माना जा रहा है कि डंग के साथ ये तीनों ही विधायक बेंगलुरु में हैं। इससे पहले मंदसौर की सुवसरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हरदीप सिंह डंग ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
डंग के इस्तीफे के बाद कांग्रेस सकते में
विधायक डंग के इस्तीफे के बाद कांग्रेस सकते में आ गई। अपने इस्तीफे की चिट्ठी में हरदीप सिंह डंग ने लिखा है कि वह कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया या दिग्वजिय सिंह, किसी के भी खेमे के नहीं हैं इसलिए परेशान होते हैं। हरदीप सिंह डंग ने मंत्री पद ना दिए जाने पर भी नाराजगी जताई। डंग ने लिखा, 'बड़ी उम्मीद से जनता ने मुझे विधायक बनाकर भेजा लेकिन लगातार मेरी उपेक्षा की जा रही है। कोई भी मंत्री काम करने को तैयार नहीं है। जनता को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है और बजट का बहाना बताया जा रहा है। जबकि दूसरे क्षेत्रों में काम हो रहे हैं।' उधर, सीएम कमलनाथ ने कहा कि डंग उनकी पार्टी के सदस्य हैं लेकिन उन्हें अभी इस्तीफा नहीं मिला है। मैं उनसे निजी तौर पर बात करुंगा या मुलाकात करुंगा।
सरकार बचाने के लिए कांग्रेस की रणनीति
कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी एक फॉर्म्युले पर काम कर रही है। इसके तहत जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है। पूरे संकट को सुलझाने के लिए कमान खुद सीएम कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने संभाल ली है। कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल भी बीजेपी के इस दांव को फेल करने में लग गए हैं। कांग्रेस की रणनीति है कि विधायकों के विश्वास को बनाए रखा जाए और बीजेपी के विधायकों को तोड़ा जाए। कांग्रेस की कोशिश है कि बीजेपी किसी भी तरह से 8 विधायकों को न तोड़ सके। निर्दलीयों से कहा जा रहा है कि वे जो मांगेंगे, उन्हें तत्काल मिलेगा। यही नहीं निर्दलीय विधायकों को मंत्री भी बनाया जा सकता है। संभावना है कि जल्द ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की भी नियुक्ति कर दी जाए जिसके लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रयासरत हैं।
बीजेपी को 'कर्नाटक फॉर्म्युले' पर भरोसा
मध्य प्रदेश में बीजेपी 'कर्नाटक फॉर्म्युले' पर काम कर रही है। इसके तहत उसकी कोशिश कांग्रेस के विधायकों को कम करने पर है। बताया जा रहा है कि यह पूरा अभियान दिल्ली में जेपी नड्डा के नेतृत्व में चल रहा है। इस 'ऑपरेशन लोटस' में शिवराज सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर, धर्मेंद प्रधान, वीडी शर्मा, नरोत्तम अरविंद मेनन शामिल हैं। जिन विधायकों को कर्नाटक के बेंगलुरु में ठहराया गया है, उन्हें संभालने का काम बीएस येदियुरप्पा के बेटे को दिया गया है।
क्या है मध्य प्रदेश की सत्ता का गणित
बता दें कि देश का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में 220 विधायक हैं और बहुमत का आंकड़ा 110 है। अगर कांग्रेस पार्टी के 8 विधायक इस्तीफा देते हैं तो उसकी संख्या घटकर 106 हो जाएगी। बीजेपी के पास अभी 107 विधायक हैं लेकिन अगर नारायण त्रिपाठी और शरद कोल कांग्रेस में शामिल हो जाते हैं तो भगवा पार्टी के केवल 105 विधायक रह जाएंगे। इस तरह कांग्रेस के 106 विधायक और बीजेपी के 105 विधायक हो जाएंगे। ऐसे में 7 अन्य विधायकों यह तय करेंगे मध्य प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी।
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