
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया है। तीन मंत्रियों का यह समूह कमलनाथ सरकार के पिछले 6 महीनों के फैसलों की ऑडिट करेगा। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स को फ्री हैंड दिया गया है। मंत्रियों के समूह को यदि ऑडिट में भ्रष्टाचार मिला तो मामले दर्ज कराए जाएंगे, फैसला गलत पाया गया तो उसे बदल दिया जाएगा। कहा जा रहा है कि यह सब कुछ इसलिए क्योंकि उप चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस पार्टी पर दबाव बनाया जा सके एवं उप चुनाव में जनता का मूड देखकर उसके अनुसार कमलनाथ सरकार पर हमले के लिए पर्याप्त आधार बनाया जा सके।
भ्रष्टाचार के प्रमाण मिले तो मामले दर्ज किए जाएंगे
एमपी की शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार के कामकाज की जांच का ऐलान कर दिया है। इसके लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स बना दिया है। यह समिति बीते 6 महीनों में हुए फैसलों की समीक्षा करेगी। समिति इस बात की भी जांच करेगी कि आखिरी छह महीनों में लिए गए फैसलों में कितना भ्रष्टाचार और गड़बड़ी हुई है। गड़बड़ी वाले मामलों में तथ्य मिलने पर संबंधित के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी। इसके अलावा जनविरोधी फैसलों की भी समीक्षा की जाएगी। जरूरत पड़ी तो सरकार पुरानी सरकार के फैसलों को रद्द या बदल भी सकती है। प्रदेश सरकार का फोकस पुरानी सरकार के आखिरी समय में लिए गए फैसलों पर है।
नरोत्तम मिश्रा के हाथ में कमान
राज्य सरकार को अंदेशा है कि कांग्रेस सरकार में आखिरी समय में लिए गए फैसलों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं। कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए फैसले लिए गए। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स में तीन मंत्रियों को शामिल किया गया है। प्रदेश के गृह और स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और कृषि मंत्री कमल पटेल इसके सदस्य हैं। यह समिति पुराने फैसलों की समीक्षा कर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर की रिपोर्ट पर सरकार फैसला लेगी
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