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जब हम एक इलेक्ट्रिक हीटर को ऑन करते हैं तो उसके अंदर से उष्मा पैदा होती है। जिसके कारण खाना पकाया जा सकता है, नहाने के लिए पानी गर्म किया जा सकता है। सवाल यह है कि यदि विद्युत तरंगों में इतनी ऊष्मा होती है तो फिर स्विच बोर्ड से हीटर तक विद्युत तरंगों को ट्रांसपोर्ट करने वाले इलेक्ट्रिक वायर में आग क्यों नहीं लग जाती।
लार्सन एंड टुब्रो कंपनी में सेवा दे रहे इलेक्ट्रिक इंजीनियर धर्मेंद्र शाह कहते हैं कि मन में सवाल उठना लाजमी है की आखिर सिर्फ फिलामेंट ही क्यों गर्म होके प्रकाश देता है, बल्ब तक पहुंचने वाली वाली तार क्यू नहीं गर्म होती और जलती ? विद्युत् में प्रतिरोध का कांसेप्ट है। प्रतिरोध किसी चीज की ऐसी गुण है जो विद्युत् प्रवाह को रोकने का काम काम करता है। धातु जैसे ताम्बा, एल्युमीनियम, इनकी प्रतिरोध वैल्यू कम होती है और इंसुलेटर जैसे पेपर, की प्रतिरोध बहुत ज्यादा होता है -इतना ज्यादा की करंट फ्लो ही नहीं हो पाता।
ताम्बा विद्युत का एक अच्छा सुचालक है। टंग्स्टन भी अच्छा सुचालक है परन्तु ताम्बे, एल्युमीनियम के मुकाबले कम और लोहा, स्टील इत्यदि से अच्छा सुचालक है।
घरों में इस्तेमाल होने वाला तार ताम्बे या एल्युमीनियम के थोड़े मोटे तार होते है सो इनका प्रतिरोध कम है।
बल्ब में थोड़ा ज्यादा प्रतिरोध वाला फिलामेंट है।
अब प्रतिरोध और गर्मी का सीधा सम्बन्ध है।
H=i2×r×t
यहा पर, H = Heat, i = करंट, t = टाइम है।
इस प्रकार प्रतिरोध ज्यादा होगा तो हीट भी ज्यादा होगा तो ज्यादा गर्मी बनेगा और फलस्वरूप ज्यादा प्रकाश बनेगा या फिर ऊष्मा उत्पन्न होगी। इसी वजह से सिर्फ फिलामेंट ही गर्म होता है —आग की तरह। थोड़ा बहुत गर्म तो तार भी होता है पर हमें पता नहीं चलता।
सरल शब्दों में समझिए
क्योंकि हीटर में फिलामेंट (विद्युत तरंग प्रवाहित करने वाला तार जो गोल-गोल घुमावदार होता है) होता है इसलिए वह गर्म हो जाता है और ऊष्मा उत्पन्न करता है। यदि फिलामेंट के तार को सीधा कर दिया जाए तो वह गर्म नहीं होगा बल्कि विद्युत तरंगों को प्रवाहित कर देगा। बोर्ड से हीटर तक आने वाला था सीधा होता है इसलिए विद्युत तरंगों को प्रवाहित करता है। यदि उस कार को फिलामेंट बना दिया जाए तो वह भी गर्म हो जाएगा और उसमें आग लग जाएगी
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