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सिंधिया से एक सीट छीनने: भाजपा के पूर्व विधायक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे!

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भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कांग्रेस के 22 विधायक भारतीय जनता पार्टी में चले गए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने उनके स्थान पर टिकट देने के लिए भारतीय जनता पार्टी के दावेदारों को चुना है। शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट से कुछ ऐसा ही संकेत मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक नरेंद्र बिरथरे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।

ऐसा क्या हुआ जो चर्चाएं शुरू हो गई

 कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास सिपहसालार रहे रामनिवास रावत आज नरेंद्र बिरथरे के घर पहुंचे। दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई। उपचुनाव में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के दौरान रामनिवास रावत का इस तरह नरेंद्र बिरथरे के घर पहुंचना स्वाभाविक है चर्चाओं को जन्म देता है। 


रामनिवास और नरेंद्र ने क्या बताया

नरेंद्र बिरथरे खुद को भारतीय जनता पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता बताते हैं। इस मुलाकात के संदर्भ में दोनों नेताओं सिर्फ इतना कहा कि 'चाय पीने आए थे।' परंतु सूत्र बताते हैं कि रामनिवास रावत भोपाल में कमलनाथ से मुलाकात के बाद सीधे नरेंद्र बिरथरे के घर आए थे। वह अक्सर भोपाल से लौटते समय नरेंद्र बिरथरे के घर चाय नहीं पीते। 

भाजपा नेता नरेंद्र बिरथरे की निष्ठा पर सवाल क्यों 

नरेंद्र बिरथरे खुद को भारतीय जनता पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता बताते हैं। 
भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती के गुट में प्रमुख स्थान रखते हैं।
पोहरी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। 
हर बार इसी सीट से चुनाव की कामना रखते हैं। 
उमा भारती ने जब भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दिया था तब नरेंद्र ने भी उनके साथ पार्टी छोड़ दी थी।
2013 में सीएम शिवराज सिंह ने प्रह्लाद भारती को टिकट दिया और वह चुनाव जीत गए। 
2018 में शिवराज सिंह ने प्रह्लाद भारती को टिकट दिया और नरेंद्र बिरथरे की दावेदारी बेकार हो गई। 
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भारतीय जनता पार्टी में आ जाने के बाद नरेंद्र बिरथरे को भविष्य में कभी टिकट मिल पाएगा इसकी संभावना कम ही है। 
2022 का उपचुनाव यदि सुरेश राठखेड़ा हार भी गए तो आगामी विधानसभा चुनाव में प्रह्लाद भर्ती ज्योतिरादित्य सिंधिया की पहली पसंद हो सकते हैं। 
कहने को शिवपुरी जिले में 5 विधानसभा आए हैं परंतु नरेंद्र बिरथरे को पोहरी के अलावा किसी भी विधानसभा से टिकट मिलने की संभावना नहीं है। 
कुल मिलाकर नरेंद्र बिरथरे का पोलिटिकल फ्यूचर डार्क हो चुका है। ऐसी स्थिति में यदि वह कांग्रेस को अप्रोच करते हैं या फिर कांग्रेस की तरफ से बने ऑफर मिलता है तो इसमें चौंकाने वाली बात नहीं है।

एक एंगल यह भी है 

एक महत्वपूर्ण एंगल यह भी है कि रामनिवास रावत के एक चाय पी जाने से नरेंद्र बिरथरे की पार्टी बदलने की चर्चाएं शुरू हो गई। नरेंद्र बिरथरे इसका प्रॉपर फायदा उठा सकते हैं। यदि पार्टी ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो वह सौदेबाजी कर सकते हैं। आखिर मध्यप्रदेश में निगम निकाय की नियुक्तियां शेष है। वैसे भी नरेंद्र बिरथरे लंबे समय से लूप लाइन में पड़े हुए हैं। रामनिवास रावत की चाय से यदि नरेंद्र के पॉलीटिकल करियर में गर्मी आ जाती है तो अफवाहें अच्छी हैं।
 

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