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आॅनलाईन औपचारिक शिक्षा कार्टून के साथ छत्तीसगढ़ बालगीत वीडियो व किस्से कहानियों से सीख रहे बच्चे,


कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए जारी लाकडाउन के कारण सभी आंगनबाड़ी केन्द्रो को बंद कर दिया गया है। राज्य सरकार ने ऐसे कठिन समय में भी आंगनबाड़ी केन्द्रों के पंजीकृत गर्भवती व शिशुवती महिलाओं और पंजीकृत छोटे बच्चों को घर में ही पौष्टिक आहार व औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था की है। सभी हितग्राही महिलाओं के घर पर ही राशन, रेडी टू ईट पहुंचाया जा रहा है।  साथ ही छोटे बच्चों की औपचारिक शिक्षा को जारी रखने के लिए चकमक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है।  अभिभावकों के मार्गदर्शन एवं बच्चों को सीखाने के लिए सजग कार्यक्रम भी प्रारंभ किया गया है। दोनों कार्यक्रम बच्चों को सीखाने के लिए कारगर साबितबित हो रहे हैं।
        महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती प्रीति खोखर चखियार  से प्राप्त जानकारी के अनुसार चकमक कार्यक्रम के तहत प्रति सोमवार को शार्ट फिल्मों की वीडियो ,मोबाईल फोन के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती है। जिसमें छत्तीसगढ़ी बोली के बाल गीत और बच्चों को आकर्षित करने वाला आकर्षक वीडियो भी तैयार किया गया है। ऐसे अभिभावक जिनके पास एनराईड फोन नही ंहै, उनके बच्चों को गृहभेंट के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता स्वयं अपने मोबाईल फोन से बच्चों को विडियो दिखाते हैं। सजग कार्यक्रम के तहत बच्चों को सीखने की गतिविधि से जोड़ने के लिए आडियो मैसेज के माध्यम से अभिभावको को सलाह दी जाती है। बच्चों को कहानी, कविता, पेंटिंग, मिट्टी से आकृति बनाने आदि की जानकारी  दी जाती है। इसके माध्यम से सीखने के लिए अनुकूल वातावरण घर में ही तैयार करने के सुझाव भी आडियो मैसेज के माध्यम से अभिभावकों को दिया जाता है।

सप्ताह के पांच दिन की गतिविधिया -

 साप्ताहिक गतिविधियों में सप्ताह के प्रथम दिन सोमवार को अभिनय के साथ गायन, मिट्टी के खिलौने बनाने, ड्रा स्केच पेंट आदि  कौशल के संबंध में बताया जाता है। इसी प्रकार मंगलवार को रंगोली, कागज पर अगुंठे का निशान बनाकर आकार बनाना, कागज से पत्ते की आकृति बनाकर, कलर करके कागज पर चिपकाना, बुधवार को चित्र बनाकर रंग भरना, माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी के साथ बाल गीत गाना, माता-पिता के साथ पेड़-पौधों की फोटो खींचना, गुरूवार को पेपर काट कर पत्ते की आकृति बनाना, रंग भरना, क अक्षर से शुरू होने वाले वस्तुओ का एकत्रित करना, शुक्रवार को गाना गाकर डांस करना, माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी से कहानी सुनना, बिंदुओ को जोड़कर चित्र बनाना आदि गतिविधियों को शामिल किया गया है।

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