प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग 20 अप्रैल से कोरोना संक्रमित क्षेत्रों को छोड़कर शेष ग्राम पंचायतों में मनरेगा की रोजगार मूलक गतिविधियांं संचालित कर रहा हैं। अब तक 22 हजार 70 ग्राम पंचायतों में एक लाख 25 हजार 61 कार्य शुरू हो गये हैं। इनमें 11 लाख 25 हजार 893 श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार मिलने लगा है।
इस संबंध में जनसंपर्क अधिकारी अनिल वशिष्ठ ने बताया कि कोरोना संकट के बीच प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में होम मेड मास्क निर्माण की प्रक्रिया से महिलाओं को घर बैठे रोजगार प्राप्त हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने में म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिशन की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को होम-मेड मास्क, सेनेटाइजर, पी.पी.टी. किट, हैंड सोप बनाने जैसी गतिविधियों से जोड़ने का अभिनव प्रयोग मध्यप्रदेश में किया जा रहा है ।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में लगभग 5 हजार स्व-सहायता समूहों के 13 हजार महिला सदस्यों द्वारा 7 लाख से अधिक मास्क, 58 हजार लीटर से अधिक सेनेटाइजर, 9 हजार लीटर हैंड वॉश और लगभग डेढ लाख साबून का उत्पादन किया गया है।
'जीवन-शक्ति' योजना में शहरी महिलाएं बना रही मास्क
इसी प्रकार, शहरी क्षेत्रों में 'जीवन-शक्ति' योजना के माध्यम से शहरी महिलाओं को भी मास्क निर्माण के कार्य से जोड़ा गया है। इसके बारे में सीएम का मीडिया देख रहे पंकज मित्तल ने बताया कि योजना के अंतर्गत प्रदेश में 10 हजार से अधिक महिलाओं ने ऑनलाइन पंजीयन कर उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया गया है। इन उत्पादों को राज्य सरकार द्वारा मार्केट में उपलब्ध कराया गया है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग में लगे पुलिस के जवानों, मेडिकल स्टाफ सहित मनरेगा के श्रमिकों को इन समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री प्रदान की जा रही है, इतना ही नहीं, प्रदेश में 15 अप्रैल से शुरू हुए गेहूँ उपार्जन कार्य में नया प्रयोग करते हुए 5 जिलों में महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़ा गया है। जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिल सके हैं।
गेहूं उपार्जन में दो लाख लोगों को मिला रोजगार
राज्य में शुरू किए इन संगठित प्रयासों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में आमजन को होम डिलीवरी से जरूरी सामान की आपूर्ति जैसी सुविधाओं से भी जरूरतमन्दों को काम मिल सका है। पिछले 15 अप्रैल से प्रदेश में प्रारंभ किया गया गेहूंं का उपार्जन भी रोजगार का बड़ा जरिया बना है। अनिल वशिष्ठ बताते हैं कि इसमें डेढ़ से दो लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार गतिविधियों से जोड़ा जा सका है। प्रदेश में आर्थिक गतिविधियांं प्रारंभ कर शीघ्रता से रोजगार मुहैया कराने का निर्णय भी राज्य सरकार द्वारा लिया जा चुका है। वन क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्रहण और निर्माण गतिविधियांं भी शीघ्र प्रारंभ की जा रही हैं।
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