
आप भारत के उत्तर में हो या दक्षिण में, पूर्व में या पश्चिम में या फिर मध्य में यदि आपकी जन्म पत्रिका में अकाल मृत्यु का योग है। आपको या आपके परिजनों में से कोई असाध्य रोग या फिर गंभीर दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो आपने अवश्य देखा होगा कि ज्योतिष के सभी विद्वान 'महामृत्युंजय मंत्र' के सवा लाख पाठ का विधान हेतु सुझाव देते हैं। प्रश्न यह है कि अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला महामृत्युंजय मंत्र ही क्यों। मृत्यु के कारक ग्रह को शांति करने वाला अनुष्ठान क्यों नहीं।
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