भारत देश में खुले में शौच की परंपरा काफी पुरानी है। लोग इसे भूमि की उर्वरता से भी जोड़ कर देखते हैं। पिछले दिनों जब भारत में स्वच्छता अभियान चलाया गया तो कुछ विद्वानों ने इस अभियान का इसलिए विरोध किया क्योंकि उनका तर्क था कि खुले में शौच करने से भूमि की उर्वरा क्षमता बढ़ती है जबकि शौचालय में शौच करने से कीटाणु पैदा होते हैं। खैर वह सही है या नहीं, आज का विषय यह नहीं है। सवाल यह है कि क्या प्राचीन काल में राजा महाराजा भी खुले में शौच के लिए जाते थे। आइए जानते हैं:
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