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प्राचीन काल में क्या राजा-महाराजा भी खुले में शौच के लिए जाते थे

पुराने जमाने में राजा-महाराजा किला ...

 भारत देश में खुले में शौच की परंपरा काफी पुरानी है। लोग इसे भूमि की उर्वरता से भी जोड़ कर देखते हैं। पिछले दिनों जब भारत में स्वच्छता अभियान चलाया गया तो कुछ विद्वानों ने इस अभियान का इसलिए विरोध किया क्योंकि उनका तर्क था कि खुले में शौच करने से भूमि की उर्वरा क्षमता बढ़ती है जबकि शौचालय में शौच करने से कीटाणु पैदा होते हैं। खैर वह सही है या नहीं, आज का विषय यह नहीं है। सवाल यह है कि क्या प्राचीन काल में राजा महाराजा भी खुले में शौच के लिए जाते थे। आइए जानते हैं:

सिंधु घाटी सभ्यता के समय भारत में टॉयलेट थे


  क्या पुराने समय में राजा-महाराजा भी ...

प्रश्न में प्राचीन काल से क्या तात्पर्य है इसका निर्धारण करना मुश्किल है लेकिन हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी से शिक्षित इंजीनियर अभ्र शाक्य बताते हैं कि लगभग 5000 वर्ष पूर्व या 3100 ई० पु० में सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में भी टॉयलेट्स मिले है। खुदाई में मिले टॉयलेट्स में दोनों फ्लश टॉयलेट और नॉन फ्लश टॉयलेट मिले है। नालियों का जाल भी मिला है जो कचरे को बाहर करने में काम आता था। यह जो फोटो आपको दिखाई दिया है, खुदाई में मिला एक ड्राई टॉयलेट है। जैसे आज कल के सम्प टॉयलेट्स होते है। ये दिखने में वेस्टर्न टॉयलेट जैसा है। 
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मुगल काल में कुछ इस तरह के शौचालय बनाए गए 

क्या पुराने समय में राजा-महाराजा भी ...

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