आज ऐसे शिक्षक व कर्मचारी बहुतेरे है, जिन्हें लगता है कि जो मिलेगा - सभी को मिलेगा,, *वे किंकर्तव्य विमूढ़* के अनुयायी होते है, इनका दिन ही शुरू और अंत होता है, आलोचना से।
शासन के वेतन से जेब भरकर परिवार चलाते है, न ही शासन के लिए दायित्व निर्वाह कर उत्पादक होते है और न ही अपने अधिकार प्राप्ति में सहयोग देते है, ऐसे व्यक्ति और आलोचक की खोज कर एक विद्रूप विचार को बीच बीच मे प्रस्फुटित करते रहते है।
2004 से नई पेंशन लागू हुई किन्तु इसका बड़ा विरोध छत्तीसगढ़ में कभी नही हुआ, क्योकि तत्कालीन प्रभावी संघ के सभी सदस्य पुरानी पेंशन के दायरे में थे, फिर जो भर्ती हुई वह अस्थाई ही हुआ, जिन्हें पेंशन की कोई योजना में शामिल नही किया गया, तो आखिर पुरानी पेंशन की मुखरता ही कौन करे?
एक बड़ी संख्या केवल शिक्षको की थी, जिन्हें भी पेंशन की कोई योजना में शामिल नही किया गया था, पेंशन की मांग की जाती रही किन्तु शासन द्वारा अस्थायी कर्मचारी बताकर उन्हें दूर ही रखा गया, तब एक प्रयास छत्तीसगढ़ शिक्षा कर्मी संघ द्वारा किया गया, जिसके तहत केंद्रीय कार्यालय के मुख्यालय कर्मचारी भविष्य निधि रायपुर में 1 लाख 7 हजार शिक्षको के निजी आवेदन को सौंपते हुए पेंशन की मांग की गई, छत्तीसगढ़ शासन को केंद्रीय कार्यालय ने बुलाकर लागू करने कहा, तब जाकर 1 अप्रैल 2012 से शिक्षको को नई पेंशन दी गई।
2012 में नई पेंशन मिलने के बाद पुरानी पेंशन की मांग तेज नही हो पाई, इसका कारण था कि समान काम - समान वेतन व संविलियन की मांग, कम वेतन में काम कर रहे हजारो शिक्षक वेतन बढ़ोत्तरी चाहते थे, पुनरीक्षित वेतनमान लागू हो गया, समयांतर में 1 जुलाई 2018 से संविलियन/शासकीय भी होने लगा ।
अब समझ आने लगा कि नई पेंशन से रिटायर होने पर 800 से 1200 रुपये ही मिल पाएंगे, नई पेंशन योजना वाले सैकड़ो शिक्षक रिटायर हो गए, अभी उनका मासिक पेंशन राशि शून्य है, जो कर्मचारी के भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया,, कर्मचारी को अपना जमा पूरा पैसा भी नही मिलेगा, यह बाजार व्यवस्था पर आधारित योजना है, ऐसे में पुरानी पेंशन की मांग और नई पेंशन का विरोध संगठित समूह से होने लगा है, जो आने वाले समय मे निर्णायक दिशा में होगा।
अभी भी शिक्षक और कई विभाग के कर्मचारी यह सोचते है, कि पुरानी पेंशन की मांग किसी एक विभाग के संघ को नही करना चाहिए,,,शिक्षक समूह को क्रमोन्नति, पदोन्नति, वेतन विसंगति, अनुकम्पा, एरियर्स, महंगाई भत्ता की मांग ही करना चाहिए,,,हालांकि यह मांग भी लगातार जारी है, पर केवल केवल यही मांग किया जावे, कोई अन्य नही यही सोच घातक है
यह वे इसीलिए बोलते है कि यही विषय उनके लिए आज मुख्य है, परन्तु उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जितनी जल्दी पुरानी पेंशन लागू होगी, उतना ही ज्यादा मासिक राशि उन्हें सेवानिवृति के बाद मिलेगा,,,उन्हें उन हजारो लोगो के लिए भी उदार भाव से समझना होगा जो रिटायर हो रहे है,,,होते जा रहे है व कुछ सालों बाद रिटायर होने जा रहे है, वे शून्य में है और शून्य में होंगे,,,समूह की नैतिक जिम्मेदारी सभी के लिए होती है, अतः शिक्षा सहित सभी विभाग के कर्मचारियों को अपने मूल विभागीय मांग के साथ, पुरानी पेंशन बहाली की सामूहिक मांग के साथ व्यक्तिगत रूप से जुड़ना होगा, समय समय के सभी आगाज में आपकी भूमिका जरूरी है, अन्यथा आप परजीवी ही होंगे,,, क्योकि सेवानिवृति आपकी भी होगी।
संजय शर्मा✍️
प्रदेश संयोजक छत्तीसगढ़
NOPRUF
मो. 9424174447
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