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धर्म के लिए काम छोड़ दो पर काम के लिए धर्म न छोडें-सुश्री पूजा किशोरी

 

*(जन्मदिन पर भागवताचार्य पूजा किशोरी की कलम से)*

(समस्त देशवासियों को शारदीय नवरात्रि पर्व की हार्दिक-हार्दिक शुभकामनायें. माता रानी की कृपा आप सभी पर बना रहें!)

बिर्रा-बहुत ही विडंबना की बात है कि इस वर्ष हम सभी नवरात्रि का महापर्व धूम -धाम से नहीं मना पा रहे हैं। चैत्र वासंती नवरात्रि में भी पूजन नहीं कर पाए।कारण कोरोना महामारी के आने से। और क्यों नहीं मना सकते, पूजन नहीं कर सकते क्योंकि शासन ने कई तरह के नियम धार्मिक कार्यों में लागु किये है।जैसे मंदिर का न खुलना।यदि मंदिर खुलते तो हर सभी कि आस्था विश्वास से यह जो महामारी आई है वह संभल जाता।क्योंकि "भक्ति मे वह शक्ति है" जो वीरानो में भी फूल खिला दे ।कहते है कि यदि समस्या है तो उसका समाधान भी और इसका समाधान है कि लोगों के द्वारा यज्ञ हो, पूजन -पाठ हो, सत्संग हो और यह तभी संभव है जब धार्मिक स्थल खुलेंगे। तो क्या कानून और कोरोना धार्मिक स्थलों पर ही लागू होता है, राजनैतिक क्षेत्र में नहीं ! जब शराब दुकानों में जाने के लिये कोई नियम नहीं है, चुनाव के लिए वोटिंग प्रचार -प्रसार के लिये कोई नियम नहीं तो फिर धार्मिक स्थलों पर इतना नियम रोकथाम क्यों और किसलिए? क्या यह विपरीत कार्य तो नहीं हो रहा है जहाँ शराबो की दुकान पर रोकथाम होनी चाहिए वह आज खुला है, और जो खुला होना चाहिए वो बंद है यह तो बहुत ही गंभीर बात हो गई है !कहते है कि जो काम दवा नहीं कर सकता वो काम दुआ करता है. यदि इस संसार में पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन, सत्संग ही नहीं होगा तो जीवन की कल्पना नहीं कर सकते।इस कलिकाल को कोई रोक कर रखा है तो वो है यज्ञ-हवन, पूजा -पाठ, सत्संग धार्मिक कार्यक्रम और यदि ऐ सब ही नहीं होगा तो विश्व का स्तर भयानक होगा।जैसे "पेड़ को काटकर छाया ढूंढना जैसा"। क्या मंदिर का खुलना जरुरी है तो बिलकुल जरुरी है भगवान तो हर जगह में है तो मंदिर किसलिए है, ताकि हम धर्म को कभी न भूले इसलिये हर जगह मंदिर है। शास्त्रों में कहा गया है कि "धर्म" के लिए काम छोड़ दो किन्तु काम के लिये "धर्म " मत छोड़ो !और हम सबका धर्म यही है की यज्ञ हो सत्संग में जाये !यदि हमें पुस्तक चाहिए तो पुस्तकालय जाना पड़ेगा, केश कटवाने है तो नाई के पास जाना पड़ेगा ठीक उसी प्रकार इस महामारी पर नियंत्रण पाना है तो मंदिर तो जाना पड़ेगा ही !

*आज मेरा जन्मदिन है पर सभी का आशीर्वचन की अभिलाषा में- आपकी पूजा किशोरी भागवताचार्य सक्ती जांजगीर चांपा*

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