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आरटीई से विद्यालयों में प्रवेश की आयु सीमा बढ़नी चाहिए

 


इंदौर,कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष शिक्षा के अधिकार के तहत निजी विद्यालयों में विद्यार्थियों के प्रवेश की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो पाई है। ऐसे में इंदौर पालक संघ के प्रतिनिधियों ने मांग की है कि यदि सरकार इस वर्ष आरटीई की लॉटरी नहीं निकालती है तो इस बार जो विद्यार्थी विद्यालय में प्रवेश लेने वाले थे उन्हें किसी भी विद्यालय में प्रवेश नहीं मिल पाएगा।

आरटीई में प्रवेश की आयु सीमा अधिकतम सात वर्ष तय की गई है। आरटीई की लॉटरी न खुलने से सात साल के विद्यार्थी उस आयुसीमा को पार करने से इस बार प्रवेश नहीं ले पाएंगे और अगले वर्ष उम्र के कारण उन्हें आरटीई की प्रवेश प्रक्रिया से बाहर होना पड़ेगा। इंदौर पालक संघ के अध्यक्ष अनुरोध जैन के मुताबिक हमारी मांग है कि ऐसे विद्यार्थियों को आरटीई का फायदा मिले। इसके लिए राज्य शासन को आरटीई में अगले वर्ष प्रवेश के लिए आयु सीमा को सात वर्ष से बढ़ाकर आठ वर्ष की जाए ताकि इस वर्ष आरटीई से वंचित रहने वाले विद्यार्थियों को अगले साल प्रवेश के लिए मौका मिल सके।

इंदौर में हर वर्ष आठ से नौ हजार विद्यार्थी लेते हैं प्रवेश

शिक्षा के अधिकार के तहत निजी विद्यालयों में गरीब व जरूरतमंद वर्ग के विद्यार्थियों को नि:शुल्क प्रवेश दिया जाता है। इंदौर के निजी विद्यालयों में प्रतिवर्ष नर्सरी से कक्षा पहली तक आरटीई प्रक्रिया के तहत विद्यार्थियों का चयन किया जाता है। इंदौर में हर वर्ष आरटीई की 20 हजार सीटें होती हैं और उन पर प्रतिवर्ष आठ से नौ हजार विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। वर्तमान में शहर के अलग-अलग विद्यालयों में करीब 45 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत् हैं। जिला परियोजना समन्वयक अक्षय सिंह राठौर के मुताबिक इस वर्ष आरटीई में प्रवेश की प्रक्रिया नहीं हुई। अब होने की संभावना भी बहुत कम है। आरटीई में इस वर्ष वंचित रहने वाले विद्यार्थियों के कारण आगामी वर्ष में आरटीई से प्रवेश के लिए आयु सीमा बढ़ाने का निर्णय राज्य शासन स्तर से लिया जाएगा।

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