ग्वालियर गोला का मंदिर निवासी मुद्रिका शुक्ला पर कोरोना कहर बनकर टूटा है। कुछ दिन पहले परिवार काे काेराेना ने एकसाथ अपनी चपेट में लिया, लेकिन ये इल्म नहीं था कि ये वायरस उनका संसार ही उजाड़ देगा। 10 दिन पहले भाई मितुल शुक्ला ने दम तोड़ दिया और गुरुवार को मां भी दुनिया छोड़ गई।
लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में गुरुवार को मुद्रिका मां की अंत्येष्टि के लिए पहुंची तो उनकी आंखों में आंसू थे और ये सवाल भी कि आखिर उनका क्या कसूर था। मां को मुखाग्नि देने के बाद मुद्रिका बिफर-बिफर कर रोयी। चाचा अजय शुक्ला ने खुद राेते हुए भतीजी को गले लगाया और सांत्वना देते रहे।
लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में यह मंजर देखकर अंतिम संस्कार करवाने में मदद करने वाले नगर निगम कर्मचारियों की आंखों में आंसू आ गए। मुद्रिका के चाचा अजय शुक्ला ने बताया कि भतीजे और भाभी मीनू की माैत के बाद भी दुख खत्म नहीं हुए हैं। मितुल के पिता और मेरे बड़े भाई भी बीमार हैं और अस्पताल में काेराेना से जंग लड़ रहे हैं। एक ही झटके में हमारा पूरा परिवार कोरोना महामारी के कारण बिखर गया है।
86 वर्षीय वृद्धा पर दुखाें का पहाड़ टूट पड़ा
डीडीनगर निवासी 86 वर्षीय वृद्धा पर दुखाें का पहाड़ टूट पड़ा है। पांच दिन पहले उनका बेटा 62 वर्षीय आरके श्रीवास्तव और बहू प्रीति संक्रमित हाे गईं। पहले उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद हालत बिगड़ने पर दोनों को दिन पहले सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा। खुद वृद्धा की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई लेकिन हल्के लक्षण होने के कारण वे घर पर इलाज ले रही थीं, लेकिन अस्पताल में भर्ती बेटे की हालत बिगड़ती गई। आखिरकार बुधवार को उनकी सांसें उखड़ गईं। उनकी पत्नी प्रीति की भी हालत खराब है। उन्हें सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है। बाहर रहने वाले नाती-नाती घर आ गए हैं और वे अब बुजुर्ग दादी की देखभाल कर रहे हैं

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