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देश में सभी वयस्कों को टीका:4 महीने में 18 करोड़ वैक्सीन लगीं, अब अगले 7 महीने में 249 करोड़ लगाने का दावा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को दावा किया कि भारत इस साल के आखिर तक कोरोना की 267 करोड़ डोज हासिल कर लेगा। यानी हम अपनी पूरी वयस्क आबादी को टीका लगाने की स्थिति में होंगे। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के 51 करोड़ डोज जुलाई तक और 216 करोड़ अगस्त से दिसंबर के बीच उपलब्ध कराई जाएंगी। पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के 8 राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ कोरोना के हालात पर की गई वर्चुअल मीटिंग में हर्षवर्धन ने ये बातें कहीं।

डॉ. हर्षवर्धन भले इतना बड़ा दावा कर रहे हों, लेकिन देश में वैक्सीनेशन की हालिया स्थिति कुछ और ही कहानी कर रही है। देश में 16 जनवरी को वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद से अब तक 18.58 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं। इनमें 14.35 करोड़ से ज्यादा लोगों को पहला और 4.22 करोड़ को दूसरा डोज लगाया गया है।

शुरुआती 4 महीने में करीब साढ़े 18 करोड़ डोज लगा पाई सरकार अब अगले 7 महीने में करीब 249 करोड़ डोज लगवाने का दावा कर रही है। ऐसा करने के लिए हर महीने करीब 35 करोड़ यानी हर दिन 1 करोड़ से ज्यादा डोज लगाने होंगे। अभी वैक्सीनेशन की रफ्तार देखी जाए तो यह लक्ष्य हासिल कर पाना दूर की कौड़ी लग रही है।

बीते 24 घंटों में 12 लाख से ज्यादा लोगों को टीका लगा
धीमी रफ्तार के बावजूद भारत कोरोना के खिलाफ देश भर में चल रहे टीकाकरण अभियान में हर दिन नए रिकॉर्ड बना रहा है। दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले देश में सबसे तेज वैक्सीनेशन हो रहा है। इसके 123वें दिन यानी 18 मई को देशभर में 12 लाख से ज्यादा लोगों को टीका लगाया गया। इनमें 10.96 लाख को पहला और सिर्फ 1.83 लाख को दूसरा डोज लग पाया।

   फोटो नोएडा के सेक्टर-18 की है। यहां बारिश के बावजूद वैक्सीनेशन किया जाता रहा।

बीते 24 घंटों में इतने लोगों को लगी वैक्सीन

  • 18 से 44 साल उम्र के लोगों को - 5.14 लाख
  • हेल्थ केयर वर्कर्स - 13,244 को पहला, 5 हजार को दूसरा डोज
  • 45 से 60 साल - 3.62 लाख लोगों को पहला, 1.02 लाख को दूसरा डोज
  • सीनियर सिटिजन - 1.44 लाख को पहला, 62, 227 को दूसरा टीका

अब तक कुल वैक्सीनेशन

  • 18 से 44 साल उम्र के लोगों को - 64 लाख (1 मई से अब तक)
  • हेल्थ केयर वर्कर्स - 96 लाख को पहला, 66.59 लाख को दूसरा डोज
  • फ्रंटलाइन वर्कर्स - 1.45 करोड़ को पहला डोज, 82.36 लाख को दूसरा डोज
  • 45 से 60 साल - 5.80 करोड़ को पहला, 93.51 लाख को दूसरा डोज
  • 60 साल से ज्यादा - 5.48 करोड़ को पहला, 1.79 करोड़ को दूसरा डोज

राज्यों में महाराष्ट्र सबसे आगे (पहला डोज)

महाराष्ट्र1.56 करोड़
राजस्थान1.24 करोड़
यूपी1.19 करोड़
गुजरात1.10 करोड़
दिल्ली37.06 लाख
पुडुचेरी1.82 लाख
नगालैंड1.90 लाख
लद्दाख88 हजार
लक्षदीप20 हजार

दक्षिण भारत में

कर्नाटक1.13 करोड़
केरल85.35 लाख
आंध्र प्रदेश76.29 लाख
तमिलनाडु70.40 लाख
ओडिशा67.44 लाख
तेलंगाना54.50 लाख

उत्तर-पूर्वी राज्यों में

मणिपुर3.90 लाख
मेघालय4.13 लाख
त्रिपुरा14.74 लाख
अरुणाचल प्रदेश3.06 लाख



10 राज्यों को मिलीं 66.70% वैक्सीन

18 मई तक देशभर में कुल वैक्सीन की 66.70% डोज 10 राज्यों को दी गई हैं। इनमें महाराष्ट्र (10.75%), राजस्थान (8.28%), उत्तर प्रदेश (8.13%), गुजरात (8.06%), पश्चिम बंगाल (6.85%), कर्नाटक (6.12), मध्य प्रदेश (4.97), केरल (4.60%), बिहार (4.85%) और आंध्र प्रदेश (4.10%) शामिल हैं।

छोटे राज्यों में बढ़ रहे केस
मीटिंग में स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों को सलाह दी कि वे अपने सभी हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन जरूर लगाएं, क्योंकि उन्हें संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में रोज मिल रहे नए केस, डेथ रेट और पॉजिटिविटी रेट काफी ज्यादा है। उन्होंने देश में नए उभरते ट्रेंड की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब छोटे राज्यों में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। इस बारे में सतर्क रहने की जरूरत है।

पूर्वोत्तर में हालात बिगड़े
इस मीटिंग में डॉ. हर्षवर्धन ने पूर्वोत्तर के राज्यों और पश्चिम बंगाल के सामने आने वाली चुनौतियों पर बात की। उन्होंने कहा कि मिजोरम के सभी जिलों में नए केस बढ़ रहे हैं। नगालैंड में एक दिन में मिल रहे संक्रमितों की संख्या 15-20 से 300 तक बढ़ गई है। हफ्ते का पॉजिटिविटी रेट 1% से 34% पहुंच गया है। यहां शहरी और ग्रामीण इलाकों में टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने की जरूरत है।

असम में कामरूप (मेट्रोपॉलिटन) की नए मामलों में हिस्सेदारी लगभग 45% है। मेघालय में पूर्वी खासी हिल्स और रिघबोई में संक्रमण में तेज बढ़ोतरी हुई है। मणिपुर की 78% रिकवरी दर चिंता का विषय है। सिक्किम को सलाह दी गई कि वह कम्युनिटी सर्विलांस मजबूत करे और होम क्वारैंटाइन की सख्त निगरानी की जाए। पश्चिम बंगाल के सभी जिलों में पॉजिटिविटी रेट में तेज बढ़ोतरी हो रही है।

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