MP में 12 जुलाई से प्राइवेट स्कूलों की हड़ताल की घोषणा के बाद अब अभिभावकों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। जबलपुर में जहां नागरिक उपभोक्ता मंच ने निजी स्कूल एसोसिएशन को 48 घंटे का नोटिस भेजकर हड़ताल वापस लेने को कहा है तो भोपाल में पेरेंट्स सरकार के ट्यूशन फीस लेने और तीसरी लहर की आशंका के चलते अभी स्कूल नहीं खोलने के निर्णय का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है तो हम पूरी फीस क्यों चुकाएं? यदि जरूरत पड़ी तो वे हड़ताल के विरोध में कोर्ट जाएंगे।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 6 जुलाई को स्कूल नहीं खोलने एवं सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेने का ऐलान किया था। 8 जुलाई को प्राइवेट स्कूलों की संस्था एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल्स मध्य प्रदेश के पदाधिकारियों ने इस घोषणा के विरोध में 12 जुलाई से स्कूल बंद करने की चेतावनी दे दी थी। इसी दिन शाम को सरकार ने ट्यूशन फीस लेने का आदेश भी जारी कर दिया था। इसके चलते प्राइवेट स्कूल संचालकों ने 12 जुलाई से ऑनलाइन पढ़ाई बंद करने एवं फर्स्ट टर्म यानि त्रैमासिक एग्जाम नहीं लेने की बात कहते हुए अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।
सरकार का अच्छा निर्णय, हम समर्थन में- पेरेंट्स
भोपाल के कोलार निवासी पेरेंट्स नीलम सिंह ने कहा कि बेटा कोलार के एक प्राइवेट स्कूल में 5वीं में पढ़ता है। स्कूल बंद है, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर पूरी फीस ली जा रही है। इनमें बस, कंप्यूटर समेत स्कूल की अन्य एक्टिविटी के चार्ज भी वसूले जाते हैं।
अवधपुरी के विजय चौहान कहते हैं, हम बेमतलब की फीस क्यों दें। यदि स्कूल खुले हो और अन्य एक्टिविटी चालू हो तो भी फीस देने को तैयार है।
करोंद के मुकेश जाटव का कहना है कि कोरोना काल में सरकार ने ट्यूशन फीस लेने का अच्छा फैसला किया है। तीसरी लहर आने की आशंका के चलते स्कूल नहीं खोलने का निर्णय भी अच्छा है।
प्राइवेट स्कूल संचालक बोले- हम शिक्षकों को सैलरी कहां से दें
इधर, प्राइवेट स्कूल संचालकों की भी अपनी पीड़ा है। एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल्स मध्य प्रदेश के वाइस प्रेसिडेंट विनय राज मोदी का कहना है कि डेढ़ साल से स्कूल बंद है, लेकिन बैंक का ब्याज, बिजली के बिल, शिक्षकों की सैलरी व अन्य खर्चे चालू ही है। वर्तमान में बाजार, शॉपिंग मॉल सबकुछ खोले जा चुके हैं, लेकिन स्कूल ही बंद है। सरकार स्कूल खोल दें तो ट्यूशन फीस का मसला ही न रहे। फीस का मामला स्कूल संचालक और पेरेंट्स के बीच का मामला हो जाएगा। सरकार जहां स्कूल नहीं खोल रही है। वहीं ट्यूशन फीस ही वसूलने का एक तरफा फैसला ले रही है। इसलिए हड़ताल पर जा रहे हैं।
इधर, रविवार को भोपाल में संचालकों की बैठक, कोर्ट जाएं या नहीं लेंगे फैसला
प्राइवेट स्कूल संचालकों की शुक्रवार को बैठक हुई थी। इसमें सरकार के ट्यूशन फीस वसूलने के आदेश के विरुद्ध कोर्ट जाने की रणनीति बनाई गई। हालांकि, इस पर निर्णय रविवार को होगा। प्राइवेट स्कूल संचालक फिर से बैठक करेंगे।
स्कूल संचालकों की ये हैं 8 मांगें
- कोरोना की तीसरी लहर की सिर्फ संभावना के आधार पर स्कूल बंद करने का निर्णय तत्काल वापस लें।
- निजी स्कूलों को आर्थिक पैकेज, बिजली के अनुसार बिल लेने व पुराने बिल को समायोजित किया जाए। संपत्ति कर, स्कूल वाहनों का रोड टैक्स, परमिट आदि में राहत प्रदान की जाए। वहीं आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले बच्चों के एवज में बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
- केंद्र सरकार के जारी एसओपी के अनुसार 9 से 12वीं के स्कूल को तुंरत खोल जाए।
- अभिभावक नियमित फीस न दे तो विलंब शुल्क देने के लिए बाध्य किया जाए।
- मप्र शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया था कि बिना टीसी कोई विद्यालय प्रवेश न दें, पर कई विद्यालय ऐसा नहीं कर रहे हैं। उन पर कार्रवाई की जाए।
- शिक्षण शुल्क न देने वाले बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट न किया जाए।
- सरकार निजी स्कूल संचालकों के साथ मिलकर बैठक करें और निजी स्कूलों के बारे में कोई भी निर्णय में एसोसिएशन को भी शामिल करे।
- माध्यमिक शिक्षा मंडल से संबद्धता प्राप्त स्कूलों की मान्यता का नवीनीकरण 5 वर्ष के लिए कर दिया जाए।
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