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ओबीसी में जाने के लिए सिख, जांगिड़ ब्राह्मण, किराड़ पंजाबी भी कतार में


केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद अब मप्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची और लंबी होने की संभावनाएं बन गई हैं। सिखों के साथ जांगिड़ ब्राह्मण, किराड़ पंजाबी, रामगढ़िया, तरखान जैसी कुछ जातियों ने अपने आपको ओबीसी में शामिल करने का जो आवेदन दिया है, अब वो निर्णय की स्थिति में आ जाएंगी। मप्र का पिछड़ा वर्ग आयोग तय करेगा कि इनका दावा कितना कारगर है। इस समय मप्र की ओबीसी की लिस्ट में 175 से ज्यादा जातियां शामिल हैं। यह संख्या जल्द 200 से ऊपर हो जाएगी।

इधर, राज्य सरकार की ओर से दिल्ली भी एक सूची भेजी गई ताकि वो जातियां केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल हो जाएं। यह सूची 9 दिसंबर 2016 को भेजी गई थी। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इन जातियों के बारे में पूछा कि इनके सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन के साथ सेवा के आंकड़े बताएं। इसके बाद पिछड़ा वर्ग आयोग ने जिलों को जानकारी भिजवाने के लिए पत्र भेजा। एक-के बाद एक 2020 तक आठ पत्र कलेक्टरों को गए, लेकिन जानकारी नहीं आई। शासन ने 23 अक्टूबर 2020 को फिर पत्र भेजा। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही जानकारी केंद्र सरकार को भेजी जा सकेगी।

रामजी महाजन कमेटी की रिपोर्ट बुलवाई
ओबीसी आरक्षण की सरगर्मी के बीच राज्य सरकार ने रामजी महाजन कमेटी की रिपोर्ट बुलवाई है। यह कमेटी तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह ने विधायक रामजी महाजन के नाम से बनाई थी। इसी कमेटी को बाद में मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के रूप में बदला गया। इसकी अधिसूचना 17 नवंबर 1980 को जारी हुई। रामजी महाजन कमेटी की रिपोर्ट में इस वर्ग का खासा अध्ययन है।

केंद्र की लिस्ट के लिए भी दावा : लोधी राजपूत और रजभर या राजभर जाति ने केंद्र की सूची में शामिल होने के लिए अपना दावा किया है। इस पर अब विचार होने की संभावना है।

साढ़े चार साल पहले दिल्ली भेजा था आवेदन

केंद्र की लिस्ट में शामिल कराने के लिए राज्य की ओर से साढ़े चार साल पहले यानी 2016 में आवेदन दिल्ली भेजा गया। तब से इन जातियों को इंतजार है। प्रदेश की सूची में ये जातियां शामिल हैं। इनमें घड़वा, झारिया, दमामी, डूकर, कोल्हाटी, गोलान, गवलान, गौलान, जादम, कलार (जायसवाल) डडसेना, कुड़मी, लोढ़ा (तंवर), मानभाव, फूलमाली (फूरमारी), रुबाला या रुहेला, थारवार, वया मेहरा या कौशल वया, भोपा, मानभाव, दवेज, गयार या परधनिया, हरिदास, जनमालोधी, कोहरी, लिंगायत, तिलगा, तेलंगा, महाकुल(राउत), मोवार, रजवार, सुतसारथी, थोरिया और वोवरिया के साथ इस्लामिक समूह के अब्बासी के साथ सिक्का, गोली, संतरास, खरादी, कमलीगर, घोषी, गवली, शेख मेहतर शामिल हैं।

सरकार खुद संघर्ष कर रही है

सरकार 27% ओबीसी आरक्षण के लिए हर स्तर पर संघर्ष कर रही है। जहां तक बाकी जातियों को भी ओबीसी वर्ग में शामिल करने के आवेदन हैं, उन पर नियमानुसार विचार करके ही निर्णय लेंगे। आयोग पहले अपने स्तर से पूरे प्रकरणों को देख ले।’ - रामखेलावन पटेल, मंत्री, अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण

कई जातियों के आवदेन पेडिंग

मप्र में आखिरी जाति सोंधिया लिस्ट हुई थी। अभी कई आवेदन हैं। आयोग की बेंच बैठेगी और अनुशंसा सरकार को भेज देगी। राज्य अधिसूचना जारी करेगा। केंद्र की लिस्ट में शामिल होने वाले प्रकरण में जिलों से जानकारी मांगी गई है।’ - लता शरणागत, सचिव, पिछड़ा वर्ग आयोग

...इधर, पिछड़ा वर्ग आयोग खुद पिछड़ने लगा

  • ओबीसी और जनजाति वर्ग के लिए एकमात्र सीनियर रिसर्च अधिकारी रहे एमएस भलावी की कोरोना के दूसरी लहर मौत हो गई। तब से जातियों पर रिसर्च का काम ठप है। तीन साल से आयोग की कोई बैंच नहीं बैठी। न अध्यक्ष हैं और न सदस्य।
  • सचिव और उप सचिव के साथ तृतीय श्रेणी के तीन कर्मचारी से आयोग चल रहा है। जबकि स्वीकृत पदों की संख्या इससे छह गुना है।

राज्य की सूची के लिए इन जातियों ने किया आवेदन

  • जांगिड़ ब्राह्मण
  • किराड़ पंजाबी
  • शकबार समाज
  • रामगढ़िया व तरखान
  • विश्नोई वर्ग
  • मुस्लिम महोबिया
  • मुस्लिम मुंडा
  • बेलदार समाज और वनमाली (पहाड़-पहाड़ी)
  • सिख समुदाय
  • मीना (रावत)
  • जागा जाति

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